तब शाहीन बाग क्यों नहीं हुआ जब ‘कश्मीरी पंडितों’ को खदेड़ा गया

punjabkesari.in Sunday, Feb 02, 2020 - 03:53 AM (IST)

नागरिकता कानून के विरोध में विपक्ष ने जिस प्रकार का एक खतरनाक आंदोलन शुरू करवाया है, उसकी कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। पड़ोसी मुस्लिम देशों से प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को भारत का नागरिक बनाने की सुविधा एक बहुत साधारण और आवश्यक बात लगती थी। पाकिस्तान और बंगलादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यकों को भयंकर यातनाएं दी गईं। उनकी बेटियों को अगवा करके बलात्कार करके मार दिया जाता था। विवाह के मंडप से बेटियां उठाई जाती रहीं। पाकिस्तान बनने के तुरंत बाद इस प्रकार के अत्याचार शुरू हो गए थे। उसी समय से महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, डा. राजिंद्र प्रसाद, यहां तक कि कुछ वर्ष पहले डा. मनमोहन सिंह जैसे सभी नेता यह कहते रहे थे कि उन देशों से आने वाले प्रताडि़त अल्पसंख्यकों को भारत में बसाना और मदद देना हमारा कत्र्तव्य है। 

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नेहरू मंत्रिमंडल छोडऩे का यही बड़ा कारण था। उन सब देश के नेताओं की उस इच्छा को पूरा करने के लिए नागरिकता कानून बनाया गया। यह कभी कोई सोच भी नहीं सकता था कि इस महत्वपूर्ण और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति के कानून पर इतना भयंकर आंदोलन खड़ा हो जाएगा। कहा तो यह जाता था कि झूठ के पैर नहीं होते परन्तु इस बार यह सिद्ध हो गया कि वोट की राजनीति के लिए भारत का विपक्ष झूठ को बिना पैरों के भी बहुत दूर तर उड़ा कर ले जा सकता है। 

भारत का नागरिकता कानून विश्व में नया नहीं है। अमरीका में वहां के मूल निवासी जिन्हें रैड इंडियन कहा जाता था, उन्हें कभी भी अमरीका वापस आने पर नागरिकता दी जाती है। ब्रिटेन में आयरिश लोगों के लिए विशेष कानून बना है। आस्ट्रेलिया, ब्राजील, इटली, फ्रांस, जर्मन, रूस और स्पेन जैसे बहुत से देशों में ऐसे कानून बने हैं जिनके द्वारा उन देशों के मूल निवासी कभी भी अपने देश वापस आकर नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। जापान में तो किसी अन्य देश में बसे मूल निवासी को जापान में वापस आने के लिए एयर टिकट तक दिया जाता है। विश्व के लगभग सभी मुस्लिम और ईसाई देशों में इसी प्रकार के कानून हैं। विश्व में लगभग 56 मुस्लिम देश हैं। इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि मुसलमानों के लिए कहीं भी जाने हेतु 56 देश हैं परन्तु हिंदुओं के लिए पूरी दुनिया में एक देश भारत है। यदि किसी देश से पीड़ित और सताए हुए हिंदुओं को भारत में शरण नहीं मिलेगी तो वे कहां जाएंगे। विश्व के किसी भी कोने में बसा हिंदू भारत मां का पुत्र है। मां का पुत्र कभी भी मां की गोद में आ सकता है। 

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस श्री मुहम्मद करीम छागला ने एक बार मुम्बई में सार्वजनिक रूप से कहा था- ‘‘मेरी रगों में भारत के ऋषि-मुनियों का खून दौड़ता है।’’ उन्होंने अपने आपको चंगेज, गौरी, गजनी, औरंगजेब और बाबर जैसे बर्बर आततायी विदेशी आक्रमणकारियों का वंशज नहीं माना। यह ऐतिहासिक सच्चाई है कि आज के भारत के मुसलमान वे हैं जिनके पुरखे हिंदुओं ने किसी कारण इस्लाम धर्म को स्वीकार किया था। विदेशी हमलावर तो बहुत कम संख्या में आए और बहुत से वापस भी चले गए थे। भारत के मुसलमान देशभक्त हैं और इसी मानसिकता के कारण भारतीय राष्ट्र का हिस्सा हैं। 

जम्मू-कश्मीर में रोज घुसपैठ होती है। हमारे जवान और निर्दोष नागरिक मारे जाते हैं। पुलवामा में घुसपैठ हुई और 40 जवान मारे गए। समुद्र के रास्ते से मुम्बई में घुसपैठ हुई और ताज होटल में 160 भारतीय मारे गए। घुसपैठ करने वाले यहीं नहीं, भारत में और भी कई प्रकार की देश विरोधी गतिविधियां करते रहते हैं। इसका एक उदाहरण अभी-अभी सामने आया है। केरल के उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका मुख्य न्यायाधीश श्री अशोक भूषण की अदालत में आई। उसमें कुछ यतीमखानों के बारे में गंभीर शिकायतें की गई थीं। उस पर कार्रवाई करके सी.बी.आई. ने चार मुस्लिम यतीमखानों का निरीक्षण किया था। उन यतीमखानों में पूर्वी भारत के 450 छोटे हिंदू बच्चे पाए गए। उन्हें अगवा करके यहां लाया गया था, उन्हें इस्लाम धर्म में शामिल करके आतंक का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। उसके बाद जेहाद करने के लिए सीरिया भेजा जाना था। 

एक बात सोचकर मैं स्वयं शॄमदा हो रहा हूं। पड़ोसी मुस्लिम देशों से गैर कानूनी तरीके से घुसपैठ करके आए मुसलमानों को नागरिकता देने के लिए इतना बड़ा आंदोलन, हजारों मुसलमान महिलाएं व बच्चे तक शाहीन बाग में दिन-रात धरने पर, परन्तु जब कश्मीरी पंडितों को अपमानित करके खदेड़ा जा रहा था तब कहीं कोई शाहीन बाग क्यों नहीं हुआ। विपक्ष चुप रहा। स्वयं मेरी पार्टी ने भी कुछ नहीं किया। विश्व भर में शरणार्थी वे होते हैं जिन्हें एक देश से दूसरे देश में खदेड़ा जाता है परन्तु कश्मीरी पंडित अपने ही देश में खदेड़े गए और शरणार्थी बने। उनकी बेटियों को अगवा करके बलात्कार किया गया, हत्या कर दी गई। भयंकर अत्याचार हुआ तब इस देश में कोई शाहीन बाग क्यों नहीं हुआ। 370 समाप्त करने से भी कश्मीर का विलय तब तक अधूरा है जब तक पूरा भारत कश्मीरी पंडितों से क्षमा याचना करके उन सबको सम्मानपूर्वक अपने घरों में नहीं बसा देता। 

जिन्ना ने जब पाकिस्तान की मांग की थी तो किसी ने सोचा तक भी न था कि कभी पाकिस्तान बनेगा। इसीलिए महात्मा गांधी जी ने कहा था-‘‘पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा।’’ परन्तु जिन्ना मुसलमानों को भड़काने में सफल हुआ। देश का विभाजन हुआ। लाखों निर्दोष उस भयंकर कत्लेआम में मारे गए। आज भी ओवैसी व शेरदिल जैसे उसी प्रकार भड़का रहे हैं। शाहीन बाग जैसे कितने मोर्चे लग गए हैं। यह भारत के लिए एक बहुत बड़ा संकट बन सकता है। सावधान होने की आवश्यकता है।-शांता कुमार
 


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