कपिल मिश्रा को केजरीवाल पर दोष लगाने से क्यों रोक रहे हैं योगेन्द्र यादव

punjabkesari.in Wednesday, May 24, 2017 - 01:11 AM (IST)

कपिल मिश्रा रोजाना आम आदमी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर आरोप दाग रहे हैं और ऐसे में योगेंद्र यादव उन्हें नसीहत देने आ रहे हैं कि भई इस तरह रोज आरोप मत लगाओ। जनता का ईमानदार राजनीति पर से विश्वास उठ जाएगा। ठीक वैसे ही कि अगर कुछ घटित हुआ है तो उसे अपने तक रखो वर्ना कोई ईमानदार राजनीति पर विश्वास नहीं करेगा। 

केजरीवाल कह रहे हैं कि कपिल मिश्रा पर कोई विश्वास नहीं कर रहा लेकिन योगेंद्र यादव कह रहे हैं कि जनता का विश्वास टूटने का खतरा पैदा हो गया है। योगेंद्र यादव आशंकित हैं। दरअसल आज की राजनीतिक व्यवस्था को नकारने का आह्वान करते हुए केजरीवाल ने राजनीति की तरफ जब पहला कदम रखा था तो उस कदम में योगेंद्र यादव भी उनके साथ थे। साथ छूट गया और दोनों का आपस में विश्वास भी टूट गया। अब योगेंद्र यादव को इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि केजरीवाल पर जो आरोप लग रहे हैं, उनमें से कितने सच्चे हैं और कितने झूठे। 

उन्होंने कपिल मिश्रा को जो पत्र लिखा है उसमें कहा भी है कि आपके कुछ आरोप तो वाकई गंभीर हैं लेकिन कुछ ऐसे हैं जिनके कोई सबूत नहीं हैं। कहने का मतलब यह है कि उन्हें भी लगता है कि केजरीवाल पर लगे कुछ आरोप तो गंभीर किस्म के हैं लेकिन फिर भी वह कपिल मिश्रा को रोज-रोज प्रैस कांफ्रैंस करके आरोप दागने से रोक रहे हैं। नसीहत देते हुए वह कपिल मिश्रा को यह भी कह रहे हैं कि आप भी राजनीति जानते हैं लेकिन फिर भी नसीहत है कि इस तरह आरोप मत दागो क्योंकि जनता का विश्वास ईमानदार राजनीति से उठ जाएगा। 

केजरीवाल ने जब अपनी राजनीति शुरू की थी तो अपने और अपने साथियों के अलावा सभी को बेईमान करार दे दिया था। दिल्ली में 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान लोगों ने ऐसे सैंकड़ों ऑटो देखे थे जिनके पीछे केजरीवाल और शीला दीक्षित के फोटो लगे हुए थे। जनता से पूछा जा रहा था कि आप किसे चुनेंगे ईमानदार केजरीवाल को या बेईमान शीला दीक्षित को। केजरीवाल अपने आपको ईमानदार कहते हैं और आज भी कपिल मिश्रा के हजार आरोपों के बाद भी वह अपने आपको ईमानदार कह रहे हैं। अपने आपको कोई भी ईमानदार कह सकता है। 

वैसे भी, जब तक किसी पर कोई आरोप साबित नहीं हो, तब तक वह ईमानदार ही रहता है लेकिन इन सारे दावों के बीच यह भी सच्चाई है कि योगेंद्र या प्रशांत भूषण भी इस तरह के प्रचार के और इस तरह की राजनीति में केजरीवाल के हमसफर रहे हैं। वे अपने आपको तो ईमानदार कहते हैं लेकिन साथ ही इस बात से भी नहीं चूकते कि दूसरों को बेईमान कहना है। कांग्रेस और भाजपा के साथ-साथ पूरे राजनीतिक तंत्र पर इन सभी ने एक सवालिया निशान लगा दिया था। इस तरह का मायाजाल बुन दिया गया था कि आम आदमी पार्टी को छोड़कर सारे राजनीतिक दलों के नेता बेईमान हैं। इसीलिए तब केजरीवाल ने कहा था कि जो ईमानदार नेता दूसरी पार्टियों में बैठे हैं, उन्हें भी आम आदमी पार्टी के साथ आ जाना चाहिए यानी आम आदमी पार्टी गंगोत्री बन रही थी। 

कहने का मतलब यह है कि अब ईमानदार लोगों के समूह पर जब आरोप लग रहे हैं तो भले ही योगेंद्र यादव केजरीवाल को अपना दुश्मन नंबर वन मानते हों लेकिन वह कपिल मिश्रा को आरोप लगाने से रोक रहे हैं। इसका कारण यह है जिस धारा पर केजरीवाल की नैया चलती है, योगेंद्र यादव भी तो उसी धारा के खिवैया बनने की कोशिश कर रहे हैं। उनका स्वराज अभियान उसी तरह के सपने दिखा रहा है जिस तरह के सपने केजरीवाल ने दिखाए थे। राजनीति से बेईमानों का सफाया हो जाए और आम लोग राजनीति को बुरी शय नहीं मानें। यह तो सभी चाहते हैं लेकिन यहां सारा जोर और दावा इस बात पर था कि बस, हम ईमानदार हैं और बाकी सभी बेईमान हैं। लोगों ने एक बार इस पर विश्वास किया जिसका सबूत 70 में से 67 सीटें हैं। 

यही वजह है कि कपिल मिश्रा के आरोपों से यह भ्रम टूटता-सा लग रहा है और जनता यह सोच रही है कि ‘आप’ भी ऐसे ही हैं तो फिर योगेंद्र यादव को यह डर सता रहा है कि कहीं जनता के मन में यही बात अंदर तक घर न कर जाए। अगर ऐसा हो गया तो फिर गेहूं के साथ घुन भी पिस जाएगा। अगर आज कपिल मिश्रा केजरीवाल पर सवाल उठा रहे हैं तो उन पर भी सवाल उठ रहा है कि आप 2 साल तक क्यों खामोश रहे। 

जब तक मंत्री पद रहा, तब तक सब ठीक था और जैसे ही वह गया आप भी भाजपा और कांग्रेस से अलग होने वाले नेताओं की बोली बोलने लगे। इस तरह कपिल मिश्रा हीरो बन रहे हों। ऐसा नहीं है बल्कि जनता को लगने लगा है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं। योगेंद्र यादव को भी यही डर सता रहा है। इसीलिए वह चाहते हैं कि जनता का विश्वास न टूटे क्योंकि ऐसा हो गया तो फिर यह सिर्फ केजरीवाल की ही नहीं, उसके साथ इस सफर पर निकले पूरे काफिले की हार होगी। उनमें योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण भी शामिल होंगे।    


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