क्या होगा येदियुरप्पा का ‘भविष्य’

punjabkesari.in Monday, Jul 29, 2019 - 01:19 AM (IST)

लम्बे नाटक और पिछले 14 महीनों में 5 असफल प्रयासों के बाद कर्नाटक में कांग्रेस की जद (एस) सरकार 6 मतों से विश्वासमत हार गई जिसमें सरकार को 99 वोट मिले। भाजपा को 105 वोट मिले तथा भाजपा के सभी विधायक उपस्थित थे और गठबंधन के 17 विधायक गायब थे। मतदान के तुरन्त बाद एच.डी. कुमारस्वामी ने अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया।

राजभवन में आनन-फानन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। येद्दियुरप्पा ने अपने नाम के अक्षरों में एक परिवर्तन किया है लेकिन क्या इससे उन्हें संख्या बल जुटाने में सहायता मिलेगी। यह भविष्य के गर्भ में छिपा है और यहां भी स्टार्स का खेल रहा, जब शुक्रवार को उन्होंने कार्यभार संभाला। अब पूर्व मुख्यमंत्री की पार्टी उनकी सरकार की स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए उनका समर्थन कर सकती है, कम से कम जब तक महत्वपूर्ण वित्त विधेयक पास न हो जाए। 

मुख्यमंत्री के रूप में येद्दियुरप्पा का चौथा कार्यकाल
बी.एस. येद्दियुरप्पा ने रिकार्ड चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। हालांकि भाजपा हाईकमान चाहती थी कि बागी विधायकों के मामले में विधानसभा स्पीकर के फैसले तक इंतजार किया जाए। लेकिन दबाव के बीच येद्दियुरप्पा को शपथ लेने की अनुमति दी गई। सूत्रों का कहना है कि येद्दियुरप्पा भाजपा हाईकमान की स्वाभाविक पसंद नहीं थे क्योंकि वह 75 वर्ष से पार हो चुके हैं और उन पर विभिन्न न्यायालयों में भ्रष्टाचार के केस चल रहे हैं। अब स्पीकर ने 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित ठहराने का फैसला दिया है। इसलिए येद्दियुरप्पा अब बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में एडजस्ट नहीं कर सकते। यदि इन बागी विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया गया होता और स्पीकर ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया होता तो येद्दियुरप्पा उन्हें मंत्री बना सकते थे और वे 6 महीने तक मंत्री रह सकते थे तथा फिर चुनाव लड़ सकते थे। वर्तमान में स्पीकर ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया है और अब उनके विधानसभा क्षेत्रों में फिर उपचुनाव होंगे। एक बार फिर येद्दियुरप्पा सरकार का भविष्य उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा। 

राजस्थान और मध्य प्रदेश पर भाजपा की नजर
कर्नाटक में कांग्रेस जद (एस) सरकार के विश्वासमत खोने के बाद  राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकारें गिर सकती हैं। गोवा में कांग्रेस के 10 विधायक पार्टी छोड़कर पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसी कड़ी में कमलनाथ ने भाजपा के दो विधायकों शरद कौल और नारायण त्रिपाठी का समर्थन हासिल किया है जिन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा में एक विधेयक पर मतदान के दौरान सरकार का समर्थन किया जिससे भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा है। 

उधर राजस्थान में अशोक गहलोत एक मजबूत नेता हैं और उनका अपने विधायकों पर पूर्ण नियंत्रण है। यहां भाजपा के पास केवल 73 विधायक हैं तथा उसे आर.एल.पी. के 3 और एक आजाद विधायक का समर्थन  हासिल है। 200 विधायकों के इस सदन में भाजपा के लिए कांग्रेस सरकार को उखाडऩा संभव नहीं है। ऐसे में भाजपा की नजर उन वरिष्ठ कांग्रेस विधायकों पर है जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में जारी अनिश्चितता के बीच भाजपा इन हालात का फायदा उठाते हुए कांग्रेस की प्रदेश सरकारों को अस्थिर करना चाहती है। 

सत्ता पक्ष के लिए परिवर्तन
तेलगु देशम पार्टी (टी.डी.पी.) के 2 सांसदों वाई.एस. चौधरी और सी.एम.रमेश के भाजपा में शामिल होने से राज्यसभा में सत्ता पक्ष को बड़ी कामयाबी मिली है। इन दोनों ने न केवल टी.डी.पी.के बाकी बचे सांसदों तथा वाई.एस.आर. कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य को एन.डी.ए.के पक्ष में करने में सफलता हासिल की बल्कि टी.आर.एस. के सदस्यों का झुकाव भी एन.डी.ए. की ओर हो रहा है। रमेश और चौधरी एक-एक सदस्य से जाकर मिले ताकि आर.टी.आई. संशोधन विधेयक पास करवाने के लिए सरकार को समर्थन दिलाया जा सके। उनके प्रयास रंग लाए और सत्ता पक्ष पहली बार उच्च सदन में कांग्रेस नीत विपक्ष को मात देने में सफल रहा। जाहिर है कि अब चौधरी और रमेश को तीन तलाक बिल पास करवाने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

नए कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला लेगी कांग्रेस कार्य समिति
नए कांग्रेस अध्यक्ष पर फैसला लेने के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बहुप्रतीक्षित बैठक संसद सत्र के समाप्त होने के बाद होगी। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार  कांग्रेस कार्य समिति के सदस्यों ने ए.आई.सी.सी. के महासचिव मोती लाल वोरा को पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नाम सुझाव दिए हैं और कर्नाटक का नाटक समाप्त होने तथा राहुल गांधी के अमरीका से लौटने के बाद इस संबंध में कोई सर्वसम्मत निर्णय लेने की संभावना है। इस बीच पूर्व लोकसभा सदस्य एकनाथ गायकवाड़ को मुम्बई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।-राहिल नोरा चोपड़ा
 


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