Opinion: क्या है जयंत अडवानी का मोदी से सीधा कनैक्शन

punjabkesari.in Sunday, Jul 08, 2018 - 11:03 AM (IST)

सियासत तो जैसे उनकी रगों में उबाल भरती हो, नरेन्द्र मोदी ने तो अपने राजनीतिक गुरु अडवानी को ही सियासत का एक नया ककहरा कंठस्थ करा दिया है। पखवाड़े पहले की बात है अडवानी के पुत्र जयंत अडवानी के मोबाइल की घंटी ने शोर मचाना शुरू किया तब वह नोएडा स्थित अपनी फैक्टरी में किसी काम में मशगूल थे। सूत्र बताते हैं कि तब जयंत की हैरानी का कोई ठिकाना न रहा जब उन्हें इल्म हुआ कि लाइन की दूसरी ओर कोई और नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री हैं। 

कहते हैं जयंत से प्रधानमंत्री की पहले से अच्छी बनती है, सो बगैर कोई भूमिका बांधे मोदी ने छूटते ही पूछा, ‘‘आप घर कब पहुंचेंगे, मैं आज आपके घर आ रहा हूं।’’ जयंत ने हैरत भाव से कहा-‘‘आप बताइए, आप कब आना चाहेंगे, मैं अभी तुरंत घर लौट जाता हूं क्योंकि देश के प्रधानमंत्री हमारे घर आना चाहते हैं।’’ तब मोदी ने किंचित गंभीर होते हुए कहा-प्रधानमंत्री की हैसियत से नहीं, एक मित्र की हैसियत से आपके घर आना चाहता हूं।’ इस बात की इत्तला जयंत ने तुरंत अपने पिता को दी, इस खबर पर एकबारगी अडवानी भी हैरान हुए, पर बदलती सियासत का मर्म बूझने में उनका भी कोई सानी नहीं, सो वह समझ गए कि मोदी-शाह क्यों उनके पास आना चाहते हैं। शाम को भाजपा के दोनों शीर्ष पुरुष अडवानी के घर पहुंचे, पुराने गिले-शिकवे भुला देने की बात हुई और फिर अडवानी के समक्ष यह अनुरोध प्रस्तुत कर दिया कि इस दफे के चुनाव में भाजपा के लिए एक-एक सीट की गिनती महत्वपूर्ण है सो इस बार भी उन्हें गांधी नगर संसदीय सीट से ही चुनाव लडऩा होगा। 

90 वर्षीय अडवानी यह सीट अपनी पुत्री प्रतिभा के लिए चाहते थे, जयंत की नजर भी इसी सीट पर है और मोदी-शाह दोनों की नजरें इन तीनों पर हैं। इस प्रस्ताव पर अडवानी कुछ बोल नहीं पाए, पर तभी उनके दिल से आवाज उठी-‘‘आंधियों से पहले हमने भी चिराग खूब जलाए थे, बस्ती की रौनकें भले ही आज अंधेरों में गुम हो गई हों।’’ 

अकाली या तृणमूल किसका होगा डिप्टी स्पीकर
राज्यसभा में डिप्टी स्पीकर चुने जाने की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। बदलते वक्त की आहटों को भांपते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व यह पद अपने किसी गठबंधन साथी को देकर उन्हें उपकृत करना चाहता है जिससे भाजपा के गठबंधन साथियों में यह संदेशा पहुंचाया जा सके कि भगवा पार्टी सबको साथ लेकर चलना चाहती है। ऐसे में एक नाम शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल का सामने आया है। भाजपा गुजराल के नाम पर एक आम सहमति बनाना चाहती है,वहीं राज्यसभा में जिनका दावा सबसे मजबूत है वह राहुल गांधी विपक्षी एकता के नए सुर को मजबूती देना चाहते हैं, इसके लिए वह ममता की तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेंदु शेखर राय का नाम आगे बढ़ा रहे हैं, पर इस नाम पर अभी अन्य विपक्षी दलों की सहमति आनी बाकी है। 

8वीं पास को हायर एजुकेशन का जिम्मा
कर्नाटक सरकार के हायर एजुकेशन मंत्री जी.टी. देवेगौड़ा किंचित परेशानी में हैं। यह वही शख्स हैं जिन्होंने चामुंडेश्वरी से तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को इस विधानसभा चुनाव में धूल चटा दी थी। ईनामस्वरूप उन्हें कुमारस्वामी सरकार में हायर एजुकेशन मंत्री बना दिया गया, जबकि जी.टी. महज 8वीं पास हैं और उन्हें भी हायर एजुकेशन मंत्रालय लेने में काफी झिझक हो रही थी। तब उन्होंने बड़े देवेगौड़ा यानी कुमारस्वामी के पिता से मिलकर अपने लिए पॉवर या लोक निर्माण मंत्रालय की मांग की थी पर इस प्रस्ताव पर कुमारस्वामी नहीं माने। लिहाजा जब से जी.टी. देवेगौड़ा ने अपना हायर एजुकेशन मंत्रालय संभाला है, अपनी खराब अंग्रेजी के लिए वह लगातार सोशल मीडिया के निशाने पर हैं। आए दिन ट्रोल हो रहे हैं। पिछले दिनों अमरीका से आए एक स्टूडैंट डैलीगेशन से उन्होंने खालिस कन्नड़ में बात की, मंत्रालय की ओर से इसके लिए एक दुभाषिया भी रखा गया था जो मंत्री जी और छात्र प्रतिनिधिमंडल के बीच संवाद सेतु का कार्य कर रहा था। 

येद्दियुरप्पा को सरकारी जहाज का बिल
कर्नाटक की नई नवेली कुमारस्वामी सरकार ने विश्वासमत हासिल करने से चूक गए भाजपा के दिग्गज नेता येद्दियुरप्पा को सरकारी जहाज इस्तेमाल करने के लिए एक लम्बा-चौड़ा बिल पकड़ा दिया है। सूत्र बताते हैं कि हालिया कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद जैसे ही राज्य के गवर्नर ने येद्दियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई उसके बाद वह लगातार 3 बार राज्य सरकार के सरकारी विमान से अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके मठ को हो आए। कहते हैं जब कुमारस्वामी को कर्नाटक की गद्दी मिली तो उन्होंने येद्दियुरप्पा के पुराने हिसाब-किताब खंगालने शुरू कर दिए और उन्हें येद्दियुरप्पा द्वारा सरकारी विमान के इस दुरुपयोग की जानकारी प्राप्त हुई तो उन्होंने फौरन अपने अधिकारियों से कह कर सरकारी विमान के इस्तेमाल का एक लम्बा-चौड़ा बिल येद्दियुरप्पा को पकड़ा दिया है। 

शाह को गांव व गरीब की याद आई
‘धूप ही किस्मत है अगर तो छांव की तलाश बेमानी है, तेरी चिलमन में हम भी अपना सूरज जलता छोड़ आए हैं...’ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी अब एक बदली भाव-भंगिमाओं के साथ मीडिया वालों से रू-ब-रू हो रहे हैं। उनके चेहरे का दर्प रंग विहीन होता जा रहा है, लहजे के खुरदरेपन में एक नई आस्था के बीज अंकुरित होने लगे हैं। एक वक्त था जब उनसे उनके कुछ मुंहलगे पत्रकार ही मिल सकते थे, मन की बातें कर सकते थे। अब वक्त का दस्तूर बदला है, उनके दिल और दफ्तर के दरवाजे किंचित मीडिया वालों के लिए खुल गए हैं, पत्रकारों का उनसे मिलना और असहज से असहज सवाल पूछना भी सहज हो गया है। उनके दफ्तर से पत्रकारों को चाय पर न्यौता जा रहा है, खिलाया-पिलाया जा रहा है। पिछले दिनों एक पत्रकार मंडली से बातचीत में शाह ने एक नया तुर्रा उछाला और कहा-‘‘सरकार को गरीब के पास जाना चाहिए, न कि गरीब को सरकार के पास आना चाहिए।’ शाह की इसी भावना का सम्मान करते हुए मोदी सरकार ने पहल करते हुए अपने 1200 से ज्यादा काबिल अधिकारियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में गांवों में रात बिताने औरवहां के लोगों की समस्याओं को जानने के लिए भेजा है। 

उमा, बाबा और गंगा
‘तेरे हिस्से के चांद पर हम भी अपनी बदगुमानियों का दाग छोड़ आए हैं’ योग गुरु से बिजनैस गुरु के नए अवतार में आने वाले बाबा रामदेव जब पिछले दिनों लंदन पहुंचे और वहां के एक टी.वी. शो में शामिल होकर मन की बातें करने लगे तो बातों ही बातों में उन्होंने ‘नमामि गंगे’ में गंगा की सफाई को लेकर जाने-अनजाने इस मंत्रालय की पूर्व मंत्री उमा भारती पर तीखा हमला बोल दिया। बाबा कह गए कि उमा के समय बस फाइलों के ग_र बढ़ते रहे पर गंगा मैली की मैली रही, पर जब से नितिन गडकरी के हाथों में इस मंत्रालय की बागडोर आई है, ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम का रंग-रूप बदल रहा है।’ जब इस इंटरव्यू की भनक उमा भारती को लगी तो वह तिलमिला गईं। उन्होंने आनन-फानन में एक लम्बा-चौड़ा खत बाबा रामदेव को लिखा और कहा-‘आप मेरे आत्मस्वाभिमान को मत ललकारिए...वर्ना अंजाम भुगतने को तैयार रहिए।’ पत्र मिलते ही बाबा की भाव-भंगिमाएं ढीली पड़ गईं। उन्होंने फौरन एक ट्वीट किया और उमा को अपनी बड़ी बहन बताते हुए कहा कि उनका अपनी बहन का दिल दुखाने का कोई इरादा नहीं था, अगर अनजाने में कुछ ऐसा हुआ है तो इसका उन्हें खेद है।’ तो फिर यह बात यहीं आई-गई हो गई। 

करोड़ों का माल मुफ्त में
एयर इंडिया को बेचने का सरकारी प्रयास फच्चर में फंस गया लगता है। मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि अब 2019 में इसके विनिवेश के प्रयास होंगे। एयर इंडिया के पास 4 हजार से ज्यादा उम्दा आर्ट कलैक्शन हैं जिन्हें संस्कृति मंत्रालय बतौर उपहार मुफ्त लेना चाह रहा था। जब यह प्रस्ताव इसकी संसदीय कमेटी में आया तो तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सवाल खड़े कर दिए कि जब एयर इंडिया इतने भारी घाटे में है तो करोड़ों के मूल्य के इन आर्ट कलैक्शन की मार्कीट में बोली क्यों नहीं लगाई जा रही है। ब्रायन ने इस बाबत बाकायदा एक नोट भी तैयार किया है। सो, यह गिफ्ट का मामला भी एक नए फच्चर में फंस गया है और एयर इंडिया ने भी एक राहत की सांस ली है।-त्रिदीब रमण 


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Pardeep

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