हिमाचल में वोट देने वाली जनता गारंटियों का मातम मना रही
punjabkesari.in Saturday, Nov 23, 2024 - 05:49 AM (IST)
दिसम्बर, 2024 में हिमाचल प्रदेश में बनी कांग्रेस की सरकार के 2 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। बहुत ही उम्मीदों के साथ हिमाचल प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की सरकार को सत्ता की चाबी सौंपी और सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हुआ। 2 वर्ष के कार्यकाल का आकलन करना नितांत आवश्यक है क्योंकि कांग्रेस कुछ गारंटियों के दम पर सत्ता में आई तो पहली अपेक्षा, पहली उम्मीद मतदाताओं की उन गारंटियों को पूरा करने की रही जो चुनावों के दौरान दी गई थीं। इसमें ध्यान देने योग्य बात यह है कि चुनाव में गारंटियां देते समय कांगे्रस के राष्ट्रीय नेताओं से लेकर गली-मोहल्ले के नेता तक सभी ने घोषणा की कि गारंटियां पहली कैबिनेट बैठक में पूरी की जाएंगी और इन भाषणों की क्लिपिंग्स प्रत्येक व्यक्ति के मोबाइल में मौजूद है।
गारंटियों के प्रभाव से सत्ता तो आ गई और पहली कैबिनेट बैठक के बाद आज तक लगभग 75 से ज्यादा कैबिनेट मीटिंगें भी हो गईं परन्तु वह 1 लाख सरकारी नौकरियां, वह 28 लाख बहनों को मिलने वाला 1500 रुपए महीना, 22 लाख बिजली उपभोक्ताओं को मिलने वाली 300 यूनिट फ्री बिजली, 5 लाख रोजगार, 100 रुपए लीटर किसानों से दूध, 2 रुपए किलो गोबर खरीदने जैसी गारंटियां आज भी नदारद हैं और वोट देने वाली जनता इन गारंटियों का मातम मना रही है। इसके विपरीत मुख्यमंत्री महोदय और उनके सारे सहयोगी घोषणाएं करते घूम रहे हैं कि 5 गारंटियां पूरी कर दीं अर्थात ‘एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी’। गारंटियां दी नहीं और धौंस ऐसे जमा रहे हैं जैसे मान लो हमने गारंटियां दे दीं। कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री ने नियमों की, कानूनों की बलि चढ़ाते हुए अनधिकृत रूप से 6 मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर दी।
कांग्रेस की आपसी खींचतान में संतुलन बनाने के लिए सरकारी खजाने को दाव पर लगा दिया और गैर-कानूनी तौर पर सी.पी.एस. को मंत्रियों वाले सारे लाभ व अधिकार दे दिए। मामला यहीं नहीं रुका, मित्रों की फौज को चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, ओ.एस.डी. और सलाहकार जैसे पद रेवडिय़ों की तरह बांट दिए। उन्हें भी कैबिनेट दर्जा देते हुए प्रदेश के संसाधनों, कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए मित्र मंडली का राज प्रदेश में स्थापित कर दिया।
परिणाम यह हुआ कि आर्थिक अव्यवस्था फैल गई और प्रदेश कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए मोहताज हो गया। प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में सभी सरकारों ने नए स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, दफ्तर इत्यादि खोलने का काम समय-समय पर किया परन्तु सुखविन्द्र सिंह सुक्खू सरकार प्रदेश में निराली सरकार आई जिसने एक ही आदेश से 900 से अधिक संस्थान बंद कर दिए और दूसरे आदेश से 600 से अधिक स्कूल बंद कर दिए और इसको नाम दिया गया व्यवस्था परिवर्तन का।
अब पहली कक्षा के नन्हे-मुन्ने बच्चे 3-5 किलोमीटर पैदल पढऩे जा रहे हैं, मरीजों के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दूरियां बढ़ गईं, पटवार सर्कलों, सब-तहसीलों, तहसीलों, एस.डी.एम. दफ्तरों को बंद करके सामान्य जनता के ऊपर भारी-भरकम बोझ डाल दिया गया। इसका नाम व्यवस्था परिवर्तन रख दिया। बहुत शानदार तरीके से आयुष्मान भारत के साथ-साथ ‘हिमकेयर योजना’ के माध्यम से लाखों हिमाचलियों का इलाज हो रहा था, व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर इसे भी बंद कर दिया।
असहाय व्यक्तियों की सहायता के लिए ‘सहारा योजना’ के माध्यम से सेवा हो रही थी, इसे भी व्यवस्था परिवर्तन की भेंट चढ़ा दिया गया। सड़कों का निर्माण बंद, पेयजल योजनाओं का काम बंद, विकास बंद, डीजल पर 7 रुपए टैक्स, बिजली के दामों में 46 प्रतिशत की बढ़ौतरी, मुफ्त मिलने वाले पानी पर 100 रुपए का टैक्स, पानी के बिलों में 500 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी, स्टाम्प डयूटी में 500 प्रतिशत की बढ़ौतरी, राशन के डिपुओं पर मिलने वाले तेल, दालें, चावल, आटा महंगा, सरकारी बसों में किराया महंगा, हिमाचल में सीमैंट महंगा, यह है व्यवस्था परिवर्तन का सुक्खू युग, जिसने प्रदेश की जनता को दुख ही दुख दिया।
कहावत है कि ‘माल मालिकों का, मशहूरी कंपनी की’, यह चरितार्थ हो रहा है हिमाचल में। नरेन्द्र मोदी की सरकार हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नए-नए फोरलेन हाईवे का निर्माण कर रही है जिन पर 50 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का ग्रामीण सड़कों का काम चल रहा है, टनलों का निर्माण कर हिमाचल को चकाचक किया जा रहा है। केन्द्र सरकार की योजना ‘जल जीवन मिशन’ के माध्यम से घर-घर में नलके लगाते हुए नल से स्वच्छ जल का काम चल रहा है। 2 वर्ष का सुखविन्द्र सिंह सरकार का कार्यकाल प्रदेश की जनता के लिए कठोर और मित्रों के लिए मौज-मस्ती भरा रहा। जनता त्रस्त, कांग्रेस मस्त।-डा. राजीव बिंदल(प्रदेश अध्यक्ष भाजपा हिमाचल प्रदेश)