‘उद्योग-धंधों में अब पिछड़ा नहीं है उत्तर प्रदेश’

punjabkesari.in Wednesday, Mar 17, 2021 - 05:10 AM (IST)

कुछ साल पहले तक उत्तर प्रदेश की गिनती देश के पिछड़े राज्यों में होती थी। खराब कानून व्यवस्था, बिजली संकट, भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के कारण कोई भी उद्यमी प्रदेश में उद्योग धंधा लगाने से कतराता था, लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद बड़े-बड़े माफिया, सरगनाआें के खिलाफ कार्रवाई होने के कारण अब स्थिति बदल गई है। 

सरकारी तंत्र के बेतहाशा भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है। कई बड़े-बड़े आई. ए. एस., आई.पी.एस. अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। लाल फीताशाही पर लगाम लगाकर उद्यमियों के लिए उद्योग-धंधों को लगाने का रास्ता आसान बनाया गया है। इसी का यह नतीजा है कि वैश्विक कोरोना संकट और मंदी के बावजूद उत्तर प्रदेश की आर्थिक दशा में सुधार हुआ है। 

उद्योग-धंधों के मामले में अब यह तेजी से प्रगति कर रहा है। स्वास्थ्य सुविधाआें, बिजली की आपूर्ति और आधारभूत संरचनाआें के विकास में राज्य ने नए मानदंड स्थापित किए हैं। सरकार प्रदेश की नई औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति के तहत स्टार्ट-अप, युवा उद्यमिता, नवाचार तथा मेक इन यू.पी. को बढ़ावा दे रही है। सरकार की नीतियां भविष्योन्मुखी हैं तथा ‘‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन का अनुसरण करते हुए समावेशी, सतत् एवं संतुलित विकास के उद्देश्य से लागू की गई है। 

उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2018 में इन्वैस्टर्स समिट आयोजित की। इसमें कुछ 4$ 68 लाख करोड़ रुपए के निवेश करार (एम.आे.यू.) हुए। इसके बाद चुनौती थी इन करार-समझौतों को जमीन पर उतारने की। नई औद्योगिक नीति लागू कर योगी सरकार ने बिजनैस रिफॉम्र्स एक्शन प्लान पर काम शुरू किया। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए 21 नई नीतियां बनाई गईं। निवेश मित्र पोर्टल बनाकर उस पर 227 सेवाएं शामिल कर उद्यमियों को 97840 एन.आे.सी. ऑनलाइन जारी की गई। सुधारों के फलस्वरूप न सिर्फ पुराने करार धरातल पर उतरते गए, बल्कि नए निवेश प्रस्ताव भी लगातार सरकार को मिले। 

सरकार का आंकड़ा कहता है कि लगभग तीन लाख करोड़ रूपए की निवेश परियोजनाआें पर जमीन पर काम शुरू हो चुका है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने लाकडाऊन में छोटे व मझोले उद्योगों से लेकर स्वयं सहायता समूहों, खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों से लेकर एक जिला उत्पाद (आे.डी.आे.पी.) योजना में रोजगार के अवसर तलाशने और उन्हें बढ़ाने के उपाय खोजे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए ‘‘यू.पी. आइए उद्योग लगाइए’’ महाअभियान शुरू किया है। इसके तहत 1000 दिनों की समयावधि के भीतर आखिरी सौ दिन में आवेदन कर तय एन.आे.सी. देने की व्यवस्था होगी। 

गुलाबी मीनाकारी तो काशी में दशकों से चली आ रही है, लेकिन इसका महत्व अब बढ़ा है। सरकार ने इसे अब देश-दुनिया में बेहतर पहचान दिलाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रकार शिल्पियों का ध्यान रखा है, शायद ही पहले किसी ने रखा था। यही कारण है कि सोने-चांदी पर गुलाबी मीनाकारी की मांग बढ़ी है। इसी तरह से सिद्धार्थनगर के काला नमक चावल की खेती करने वाले किसानों की बात की जाए तो उनकी भी किस्मत बदल रही है। खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर काला नमक चावल अब दक्षिण-पूर्व एशिया के बौद्ध देशों में अपनी महक बिखेरेगा। 

इन देशों में इस चावल की ब्रांडिंग महात्मा बुद्ध के चावल के रूप में की जा रही है। सरकार ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में काला नमक की ब्रांडिंग के लिए वृहद कार्ययोजना तैयार की है। बौद्ध देशों में इस चावल को महात्मा बुद्ध द्वारा भिक्षुआें को प्रसाद के रूप में दान किए गए चावल के रूप में पेश किया जाएगा। इसी तरह से प्रदेश सरकार ने हर जिले के छोटे उद्यमियों को आर्थिक मदद देकर उनके उत्पादन को न केवल बढ़ाया बल्कि बाजार भी मुहैया कराकर उनके आर्थिकक विकास का द्वार खोल दिया है।-निरंकार सिंह 
 


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