ट्रम्प का मोदी को सबसे बड़ा ‘सबक’

punjabkesari.in Sunday, Jul 28, 2019 - 04:02 AM (IST)

कितना भयंकर शोर-शराबा है। ट्रम्प की यह दावा करने वाली टिप्पणी कि नरेन्द्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर ‘मध्यस्थता’ अथवा ‘पंच-निर्णय’ करने को कहा था, अत्यंत असमंजस में डालने वाली है और द्विपक्षीय संबंधों के लिए उल्लेखनीय चोट है लेकिन अत्यंत अविश्वसनीय भी है। इस तथ्य के अतिरिक्त कि हम सबने उन्हें सुना तथा देखा है, आप तार्किक रूप से पूछ सकते हैं कि वास्तव में ट्रम्प ने ऐसा ही कहा है या वह कल्पना में थे अथवा मोदी ने वास्तव में जो कहा था उसे लेकर असमंजस में थे। 

दुर्भाग्य से, जो कुछ भी हुआ, सरकार उसे खारिज नहीं कर सकती। ट्रम्प द्वारा टिप्पणी ओवल आफिस में एक पै्रस कांफ्रैंस के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की सोहबत में की गई। दूसरे, वह इमरान खान की मध्यस्थता के लिए याचना के प्रति सीधी एवं तुरंत प्रतिक्रिया थी। उन्होंने कहा, ‘‘अमरीका उपमहाद्वीप में शांति लाने के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। केवल राष्ट्रपति ट्रम्प दोनों पक्षों को साथ ला सकते हैं... हमने अपनी ओर से बेहतरीन प्रयास किया। अब मुझे आशा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे।’’ और फिर तीसरे, ट्रम्प ने वास्तव में जो कहा। 

ट्रम्प ने एक वार्तालाप के बारे में बताया, जिसके बारे में उनका दावा है कि वह दो सप्ताह पूर्व मोदी के साथ हुआ था। अनुमान लगाया जा सकता है कि यह ओसाका में जी-20 के दौरान था जहां, इवांका ट्रम्प के अनुसार दोनों के बीच ‘आमने-सामने’ बैठक हुई। जो भी मामला हो, दोनों को ही पता होगा कि क्या कहा गया था। अब ट्रम्प के अनुसार, वे ‘इस विषय’ बारे बात कर रहे थे जब मोदी ने पूछा कि ‘‘क्या आप मध्यस्थ अथवा पंच बनना पसंद करेंगे?’’ ट्रम्प ने स्पष्टता के लिए पूछा, ‘‘कहां?’’ मोदी का संक्षिप्त तथा सीधा उत्तर था, ‘‘कश्मीर।’’ और फिर ट्रम्प ने कहा, ‘‘यदि मैं मदद कर सकूं तो मुझे मध्यस्थ बनकर खुशी होगी... यदि आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता अथवा पंच निर्णय करूं तो मैं ऐसा करना चाहूंगा।’’ 

ट्रम्प से यह सुनना काफी मुखर तथा स्पष्ट लगता है। वह काफी विस्तार में चले गए। यह कोई यूं ही कही गई पंक्ति अथवा हवाला नहीं था। और याद रखें कि वह अमरीका के राष्ट्रपति हैं, विश्व में सबसे शक्तिशाली देश में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति। फिर भी मेरे लिए यह स्वीकार करना कठिन है। मैं एक पल के लिए भी यह मानने को तैयार नहीं कि कोई भारतीय प्रधानमंत्री कश्मीर में दखल देने के लिए कहेगा। यह भारत के अच्छी तरह से स्थापित सात दशक पुराने स्टैंड के विपरीत है। यहां तक कि गलती से भी यह नहीं कहा गया होगा। 

फिर भी, फिर भी, फिर भी... तो हुआ क्या था? मैं पूरी तरह से सुनिश्चित हूं कि डीयर डोनाल्ड, कौन गलती कर सकता है और दुविधा में डाल सकता है लेकिन हमेशा सुनिश्चित होता है कि वह सही है। मगर ट्रम्प हमेशा वही टांग अड़ाते हैं जहां अन्य कोई घुसने से डरता है। उनका मानना है कि वह सर्वाधिक कठिन समस्याओं को सुलझा सकते हैं। कश्मीर एक ऐसी समस्या है जिसका वह विरोध नहीं कर सकते। अत: उन्होंने इसे गले लगा लिया। स्पष्ट कहूं तो यह ‘कामेडी आफ एरर्स’ की तरह है जो एक अनदेखे दुखांत में बदल गई जिसमें डोनाल्ड ने हीरो तथा जोकर दोनों की भूमिका निभाई। 

पाकिस्तान के लिए यह एक कूटनीतिक तख्तापलट की तरह है। दरअसल इमरान खान दावा कर सकते हैं कि उनका वाशिंगटन दौरा एक जबरदस्त सफलता थी। ऐसे ही कारण से भारत में विपक्ष अनियंत्रित हैं। ईमानदारी से कहंू तो मोदी गिरे हों अथवा नहीं, वह फंस अवश्य गए हैं, जिसमें ट्रम्प ने उन्हें धकेल दिया है। वह शीघ्र इससे बाहर निकल आएंगे लेकिन कुछ समय के लिए उनके कपड़ों पर दाग तथा उनकी भावनाओं पर खरोंचें दिखाई देती रहेंगी। यद्यपि एक चीज निश्चित है। ट्रम्प ने जो भी आरोप लगाया है दुनिया उस पर विश्वास नहीं करेगी। यूरोप की चांसलरीज के साथ-साथ खाड़ी की राजशाहियां तीसरे पक्ष की मध्यस्थता बारे भारत की स्थिति को जानती हैं, जिससे उसे डिगाया नहीं जा सकता। उन्हें एहसास है कि ट्रम्प मूर्ख बना रहे हैं, उन्हें इसे भुलाने में खुशी मिलेगी। 

और खुद ट्रम्प के बारे में क्या? इस बात की सम्भावना नहीं कि वह माफी मांगेंगे अथवा अपनी गलती को स्वीकार करेंगे लेकिन क्या वह इसकी भरपाई करने के लिए कोई रास्ता निकालेंगे। इसकी सम्भावना है लेकिन अभी भी यह एक अनुमान है। नि:संदेह नरेन्द्र मोदी के लिए यह सबसे बड़ा सबक है। इसके बाद उन्हें अत्यंत सतर्क रहना चाहिए कि वह डोनाल्ड ट्रम्प से क्या कहते हैं। दरअसल यह सुनिश्चित करना समझदारी होगी कि कमरे में हमेशा उनके अलावा कोई अन्य भी हो। और वह आङ्क्षलगन से परहेज करें। ट्रम्प इसे पसंद नहीं करते और बेहतर होगा कि उन्हें एक हाथ की दूरी पर रखा जाए।-करण थापर
 


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