तबादलों की राजनीति और जनता का गुस्सा

punjabkesari.in Sunday, Mar 26, 2017 - 10:48 PM (IST)

पनवेल के निगम आयुक्त सुधाकर शिंदे के अचानक किए गए तबादले ने खारघर और पनवेल में लोगों के नागरिक समूहों ने उनकी वापसी की मांग करके सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। इस संबंध में एक ऑनलाइन याचिका दायर हुई और इस पर 1,000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर भी कर दिए, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस से शिंदे को वापस उसी पद पर बहाल करने की मांग की गई है। 

सूत्रों का कहना है कि शिंदे, जो कि भारतीय राजस्व सेवा के 2007 बैच के अधिकारी हैं, का तबादला कर उल्हासनगर में भेज दिया गया और उल्हासनगर के निगम आयुक्त राजेंद्र निम्बालकर को शिंदे की जगह पर भेज दिया गया। अधिकांश लोगों को शक है कि शिंदे को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने वाले आयुक्त के तौर पर जाना जाता है और आने वाले पी.सी.एम.सी. चुनावों को देखते हुए उनका तबादला किया गया है। 

शिंदे ने शहर में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और पोस्टरबाजी के खिलाफ अभियान चला रखा था और आयुक्त के तौर पर 6 महीने से भी कम के कार्यकाल में इन सभी की नकेल कस दी थी। शिंदे के लिए तेजी से समर्थन जुटाने के लिए ऑनलाइन याचिका को आगे बढ़ाया गया और आम लोगों को उन पर काफी विश्वास है। इस दौरान उनके समर्थन में एक ट्विटर अभियान भी गति पकड़ रहा है। 

इन सभी अभियानों को संचालित कर रहे लोग काफी गंभीर हैं और वे इस संबंध में एक याचिका प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजने की योजना बना रहे हैं। पर, जिस तरह से शिंदे को लेकर समर्थन बढ़ रहा है, उसको देखते हुए कई लोगों को लग रहा है कि मुख्यमंत्री लोगों की मांग को स्वीकार कर लें और आई.आर.एस. अधिकारी शिंदे का तबादला आदेश वापस ले लें। 

अधिकारियों की कमी से जूझती सरकार:
नौकरशाही में ऊपरी पदों पर बड़ी संख्या में अधिकारियों की कमी है और सरकार को खाली पड़े पदों को लेकर चिंता हो रही है। अब कार्मिक पर संसदीय स्टैंडिंग समिति, जिसकी अध्यक्षता सांसद आनंद शर्मा कर रहे हैं, ने संसद को सौंपी अपनी रिपोर्ट में भी यही कहा है। रिपोर्ट में आई.ए.एस. अधिकारियों की कमी के कारणों का पता लगाने के लिए 1951 तक के हालात की जांच-पड़ताल की गई है और अब हालात ‘चिंताजनक स्तरों’ पर पहुंचने की बात कही है। यह बात इस उच्च स्तरीय समिति द्वारा स्पष्ट की गई है। 

स्पष्ट है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 जनवरी, 2016 तक आई.ए.एस. के स्वीकृत 6,396 पदों के मुकाबले 4,926 आई.ए.एस. अधिकारी ही उपलब्ध हैं। सूत्रों के अनुसार डी.ओ.पी.टी. सचिव बी.पी.शर्मा ने बताया कि सीधी भर्ती में कमी के दो मुख्य कारण हैं-कैडर समीक्षा, जिसे हाल ही में किया गया गया है, बीते सालों में पदों की संख्या बढऩा और बीते 10 सालों में भर्ती का आंकड़ा असामान्य तौर पर काफी कम रहना है। 

समिति ने खाली पदों को भरने के लिए प्रयासों को तेज करने की सिफारिश की है और साथ ही मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नैशनल एकैडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (एल.बी.एस.एन.ए.ए.) में अतिरिक्त क्षमता का उपयोग किया जाए और या प्रशिक्षण क्षमता का स्तर बढ़ाया जाए, इस साल सरकार द्वारा प्रतिष्ठित आई.ए.एस., आई.एफ.एस. और आई.पी.एस. के खाली पदों को भरने के लिए सिविल सर्विसेज परीक्षा 2017 के माध्यम से 980 अधिकारियों को भर्ती किया जाए। ये भी बीते पांच सालों में सबसे कम होंगे। 
    


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