प्रौद्योगिकी से समृद्ध भारत आज किसी के अधीन नहीं

punjabkesari.in Saturday, Nov 01, 2025 - 05:29 AM (IST)

भारत आज वैश्विक वैज्ञानिक पुनर्जागरण के द्वार पर खड़ा है। तकनीक से समृद्ध भारत आज केवल अनुयायी नहीं है बल्कि दूसरों को भी उसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर रहा है। पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, देश ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति देखी है। डिजिटल सशक्तिकरण से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण तक, आत्मनिर्भर और तकनीक-प्रधान भारत की रूपरेखा अब स्पष्ट दिख रही है। डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया की सफलताओं से लेकर स्वच्छ भारत और वन हैल्थ जैसे अभियानों तक, देश ने यह साबित किया है कि विज्ञान, तकनीक और नवाचार के माध्यम से बड़े पैमाने पर परिवर्तन लाया जा सकता है। 

यू.पी.आई. क्रांति ने डिजिटल भुगतान की परिभाषा ही बदल दी है और भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बना दिया है। भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है। 2014 में जहां इसका मूल्य 10 अरब डालर था, वहीं 2024 में यह बढ़कर लगभग 165.7 अरब डालर हो गया है। भारत अब बायोफ्यूल, बायोप्लास्टिक और ग्रीन कैमिकल्स जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। चंद्रयान और गगनयान मिशनों ने भारत की पहचान अंतरिक्ष शक्ति संपन्न देशों में मजबूत की है जबकि 5जी नैटवर्क की शुरूआत और डिजिटल कूटनीति ने देश के दूर-दराज इलाकों तक कनैक्टिविटी और सशक्तिकरण पहुंचाया है। भारत अब सबके लिए आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुद्धिमता और नवाचार का लाभ हर क्षेत्र तक पहुंचे। चाहे वह कृषि हो, स्वास्थ्य सेवा हो या शासन व्यवस्था। देश में 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियां और युवाओं द्वारा संचालित स्टार्टअप्स का मजबूत नैटवर्क भारत की वैज्ञानिक और उद्यमशीलता की भावना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहा है। 

ग्रीन हाइड्रोजन, क्वांटम विज्ञान और तकनीक, सैमीकंडक्टर निर्माण और सटीक कृषि जैसे क्षेत्रों में भारत की प्रगति यह दिखाती है कि भारत अब केवल दुनिया के साथ कदम नहीं मिला रहा बल्कि भविष्य की दिशा तय करने में मदद कर रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत की कहानी है। एक ऐसा आत्मविश्वासी और दूरदर्शी भारत जो विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की ओर, अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक, दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है। 

ई.एस.टी.आई.सी. : उपलब्धि से आकांक्षा तक : इस प्रगति की पृष्ठभूमि में  3 से 5 नवंबर 2025 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली में होने वाला इमॄजग साइंस, टैक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कान्क्लेव (ई.एस.टी.आई.सी.) एक साहसिक नया कदम है। भारत सरकार के 13 मंत्रालयों की ओर से आयोजित यह सम्मेलन सिर्फ उपलब्धियों का प्रदर्शन नहीं है बल्कि यह सहयोग, दूरदृष्टि और राष्ट्रीय रणनीति का मंच है। माननीय प्रधानमंत्री के हाथों उद्घाटन किए जाने वाला ई.एस.टी.आई.सी. 2025 देश-विदेश के प्रमुख वैज्ञानिकों, नवाचारकत्र्ताओं, नीति-निर्माताओं और विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा ताकि वे नई उभरती तकनीकों के भविष्य पर विचार-विमर्श कर सकें। 

ई.एस.टी.आई.सी. को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण 11 विषयों पर केंद्रित किया गया है। यह सम्मेलन एक ऐसा केंद्रीय मंच बनेगा जहां रणनीतिक संवाद, सहयोग और भारत की श्रेष्ठ उपलब्धियों को प्रस्तुत किया जाएगा। वर्तमान उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ, यह सम्मेलन नए विचारों पर मंथन, कमियों की पहचान और नीति-निर्माण में सुधार का अवसर भी प्रदान करेगा ताकि भारत की वैज्ञानिक प्रगति समाज की जरूरतों और वैश्विक अवसरों के साथ तालमेल में बनी रहे।

विकसित भारत 2047 की ओर: कई मायनों में, ई.एस.टी.आई.सी. भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का प्रतीक है। एक ऐसा आत्मविश्वास जो ज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में भारत को वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रहा है। यह एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसका उद्देश्य है कल्पनाशक्ति को जगाना, युवाओं को प्रेरित करना  और भविष्य के लिए नवाचार को बढ़ावा देना। जैसे-जैसे भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, ई.एस.टी.आई.सी. एक प्रेरक शक्ति और प्रतीक दोनों के रूप में खड़ा है।-डा. जितेंद्र सिंह(केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार)


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