चीन को दरकिनार कर ‘यूरोप से व्यापारिक रिश्ते मजबूत करता ताईवान’

punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 05:28 AM (IST)

चीन भले ही ताईवान पर अपना जोर-जबर दिखाता रहे और दुनिया के दूसरे देशों को ताईवान से किसी भी तरह के रिश्ते नहीं रखने की धमकी देता रहे लेकिन चीन की इस धमकी को न तो ताईवान मान रहा है और न ही अमरीका और यूरोप के कुछ देश मानने को तैयार हैं, इसीलिए हाल ही में करीब एक दर्जन यूरोपीय देश ताईवान के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। इन देशों में जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड, इटली और स्पेन शामिल हैं। इन सभी यूरोपीय देशों ने यूरोपियन यूनियन और ताईवान के बीच एक अभियान के तहत निवेश और व्यापारिक रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए पहल की और चीन की धमकियों को सिरे से दरकिनार कर दिया। 

व्यापार और निवेश का काम यूरोपीय आर्थिक और व्यापार कार्यालय द्वारा शुरू किया गया है जिसमें यूरोप के 15 देश शामिल हैं। ताईवान में यूरोपीय संघ का व्यापारिक और आॢथक दूतावास भी मौजूद है, जिसके माध्यम से ई.यू. और ताईवान में व्यापार और निवेश के कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

चीन की हाल की गतिविधियों से यूरोपीय देशों को चीन की हरकतों पर संदेह होने लगा है क्योंकि हाल के दिनों में चीन ने कई यूरोपीय देशों से होने वाले आयात पर प्रतिबंध लगाना शुरु कर दिया है जिससे यूरोपीय व्यापारियों को बहुत नुक्सान हो रहा है। हाल के दिनों में ई.यू.-चीन सम्मिट के दौरान यूरोपीय अधिकारियों ने बीजिंग से यूरोपीय उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने के लिए आग्रह किया था और कहा था कि चीन को व्यापारिक नियमों और मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए जिससे यूरोपीय संघ और चीन के संबंध बेहतर बनें। चीन यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा आयातक है और दूसरे नंबर का निर्यातक है। 

ताईवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन ने कहा कि यूरोपीय संघ ताईवान का सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है और उनका प्रशासन ई.यू. से ताईवान के रिश्तों को और मजबूत करने और बेहतर व्यापारिक वातावरण बनाने हेतु कृत संकल्प है। त्साई इंग वेन ने कहा कि हम न सिर्फ ई.यू. के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते अपनी घरेलू जरूरतों के लिए बेहतर करना चाहते हैं बल्कि मजबूत अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी के लिए भी बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यूरोपीय संघ के साथ ही हम एक बेहतर और उचित अवसर के साथ पारदर्शी वैश्विक व्यापारिक साझेदारी को प्रोत्साहित करते हैं। त्साई इंग वेन ने ये भी कहा कि सूचना उद्योग, संचार प्रौद्योगिकी, बायो-टैक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और गतिशीलता क्षेत्र में ताईवान ई.यू. का सबसे बड़ा साझीदार बनना चाहता है। 

ताईवान और ई.यू. के इस व्यापारिक समझौते से चीन बौखला गया है और ताईवान के साथ यूरोपीय देशों को सबक सिखाने के उद्देश्य से चीन ने कई यूरोपीय देशों से होने वाले आयात पर कोरोना महामारी संक्रमण का खतरा दिखाते हुए  प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन चीन की तरफ से हो रही इन सब रुकावटों को दरकिनार करते हुए यूरोपीय देश ताईवान के साथ आगे बढऩा चाहते हैं।

ताईवान और यूरोप की इस करीबी को चीन किसी भी तरह से हजम नहीं कर पा रहा है क्योंकि अब तक ताईवान पूरी तरह से चीन के चंगुल में था लेकिन अब ताईवान चीन की तानाशाही से बुरी तरह परेशान हो चला है और अपनी संभावनाएं दुनियाभर के दूसरे देशों में तलाश रहा है। इस अवसर पर ताईवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि यूरोपीय देशों के निवेश के लिए ताईवान एक आदर्श देश है, बावजूद इसके कि चीन ताईवान को वापस अपने खेमे में लाने के लिए उस पर धमकी भरे दबाव डाल रहा है। हालांकि चीन के इस संभावित ख़तरे के बावजूद यूरोपीय संघ वर्ष 2019 से ही ताईवान में सबसे बड़ा निवेशक बन चुका है। वहीं अमरीका भी इस नजदीकी के लिए ताईवान और यूरोपीय देशों का समर्थन कर रहा है। 

हाल ही में अमरीकी ऊर्जा और पर्यावरण मंत्री केथ क्राच और उससे पहले अमरीकी मानवाधिकार मंत्री एलैक्स आजार ने ताईवान की यात्रा कर अमरीका के साथ ताईवान की उच्च स्तरीय व्यापारिक वार्ता का द्वार भी खोल दिया। इसके तुरंत बाद ताईवान ने अमरीकी सूअर और गौमांस के अमरीकी आयात के लिए अपने दरवाजे खोलकर फ्री-ट्रेड समझौते के लिए सकारात्मक संकेत दिया। चैक गणराज्य के संसद अध्यक्ष मिलो वाइस्ट्रसिल हाल ही में 90 लोगों के शिष्टमंडल के साथ ताईवान पहुंचे जिसमें प्राग के मेयर जो ताईवान के मित्र हैं जेदनेक ह्रिब भी शामिल थे। ताईवान की सैमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी और यूनाइटिड माइक्रोइलैक्ट्रॉनिक्स जो चिप बनाने का काम करती है वह सारी मशीनरी यूरोप के सप्लायर्स से मंगवाती हैं जैसे ए.एस.एम.एल.। ताईवानी कम्पनियां अपनी यूरोपियन साझीदार इनफिनियॉन, एन.एक्स.पी. और एस.टी. माइक्रोइलैक्ट्रॉनिक्स के लिए माइक्रोचिप्स बनाने वाली मुख्य निर्माता है। 

वर्ष 2019 तक ताईवान ई.यू. का 15वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार था लेकिन अब चीन अमरीका और जापान के बाद ताईवान चौथा बड़ा व्यापारिक साझीदार बन चुका है। जहां तक यूरोपीय यूनियन के साथ ताईवान के व्यापार की बात है तो दोनों के बीच इस वर्ष की पहली छमाही तक 23.7 अरब अमरीकी डॉलर का व्यापार हो चुका है जोकि पूरे ताईवान के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 8.1 फीसदी हिस्सा है। इसे देखते हुए लगता है कि आने वाले मात्र चार-पांच वर्षों में ही ताईवान अपनी तकनीक और राजनीतिक ढांचे के आधार पर चीन को पछाड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी नई पहचान बनाएगा, ताईवान का लोकतांत्रिक और पारदर्शी ढांचा चीन का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी बनेगा।


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