‘2021 में कुछ अच्छी और कुछ बुरी खबरें सुनने को मिलेंगी’

punjabkesari.in Tuesday, Dec 22, 2020 - 03:25 AM (IST)

प्रसिद्ध फ्रांसिसी ज्योतिषी, चिकित्सक और भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की है कि 2021 का वर्ष तबाही का वर्ष होगा क्योंकि महामारी जारी रहेगी। हालांकि कई आशावादी लोग इसे 2020 से भी बेहतर होने की उम्मीद करते हैं। कोरोना महामारी ने जब दुनिया को हिलाया तो यह सबसे अप्रत्याशित था और इसके लिए अनेकों देश तैयार ही नहीं थे। लोग अब दिमागी तौर पर कोविड-19 महामारी का सामना करने के लिए तैयार हैं। सौभाग्य से भारत सहित कुछ देश वैक्सीन के साथ आगे आए हैं। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी है कि विश्व की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी और अमीर कई बार मरेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि घर से कार्य करने की संस्कृति जारी रहेगी। 

वर्ष 2021 चुनौतियों का वर्ष होगा और मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 से निपटने की होगी। यह सुनिश्चित करना आसान नहीं है कि देश में 1.30 करोड़ लोगों को समय पर वैक्सीन मिल जाएगी। यह मानते हुए कि भारत के पास वैक्सीन रखने के लिए कोल्ड चेन का अभाव है। कोविड योद्धाओं ने अब तक कई बाधाओं के बावजूद एक उत्कृष्ट कार्य किया है। दूसरी चुनौती 2021 के बजट में कोविड से निपटने के लिए अधिक धन की तलाश करना है, क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की तत्काल आवश्यकता है खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। 

भारत के लिए तीसरी चुनौती फिसलने वाली अर्थव्यवस्था की है। कई अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2021 न केवल भारत के लिए बुरा होगा बल्कि यह पूरे विश्व के लिए भी अच्छा नहीं होगा। इकोनॉमिस्ट इंटैलीजैंस यूनिट ने भविष्यवाणी की है कि 2021 में बैंकिंग सैक्टर के सामने आने वाले तनाव के कारण भारत में आॢथक स्थिति कमजोर होने की संभावना है जिससे अर्थव्यवस्था को दोहरी डुबकी दर्ज कराने में मदद मिलेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) ने भी अनुमान लगाया था कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न होने वाले अवरोधों के बीच चालू वित्त वर्ष में जी.डी.पी. 9.5 प्रतिशत की दर से सिकुड़ेगी और यह अंतिम तिमाही (जनवरी से मार्च) में सकारात्मक हो सकती है। क्रैडिट रेटिंग एजैंसी ‘मूडीज’ ने भविष्यवाणी की है कि भारत के क्रैडिट प्रोफाइल में तेजी से कम वृद्धि, उच्च ऋण बोझ और कमजोर वित्तीय प्रणाली देखी जा सकती है। 

चौथी चुनौती लाखों लोगों के लिए नौकरियां जुटाने की होगी जिन्होंने लॉकडाऊन के चलते अपनी आजीविका खो दी। इसके अलावा प्रवासी श्रमिक मुद्दा उन लोगों का भी है जो तालाबंदी के दौरान अपने घरों की ओर लौट गए थे। प्रवासी श्रमिक जो अपने घरों की ओर लौट गए थे उन्हें लाकडाऊन के बाद अपने कार्यस्थलों को लौटना है। 

पांचवीं चुनौती बढ़ते किसान आंदोलन से निपटने की है। लगभग 11 राज्यों के हजारों किसानों ने दिल्ली तक मार्च किया और पिछले 22 दिनों से सर्द ऋतु में प्रदर्शन कर रहे हैं। पी.एम. मोदी को किसानों की लॉबी से सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो संसद द्वारा पारित 3 कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहती है। राजनीतिक तौर पर भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार संसद में और ज्यादा सुदृढ़ स्थिति में होगी। यह भाजपा को अपने राजनीतिक एजैंडे को और अधिक गतिशीलता प्रदान करेगी और अधिक सुधारों का प्रयास होगा। हालांकि इस तरह के सुधारों से मध्यम से लम्बी अवधि के विकास का समर्थन किया जाएगा। अल्प अवधि में कमजोर आॢथक स्थिति और तनाव जारी रह सकता है। 

राजनीतिक चुनौती अगले वर्ष के दौरान 5 राज्यों जैसे असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनावों की हो सकती है। मूलत: यह भाजपा और क्षेत्रीय क्षत्रपों के बीच की लड़ाई है। भाजपा के लिए यह प्रतिष्ठा का सवाल है जो दक्षिण में अपना विस्तार करना चाहती है और पश्चिम बंगाल को हड़पना चाहती है। इसके अलावा तमिलनाडु तथा केरल व क्षेत्रीय क्षत्रपों में अपनी स्थिति और बेहतर करना चाहती है। राजनीतिक प्रतिवेदनाएं होंगी। तमिलनाडु में राजनीतिक पटल पर सुपरस्टार रजनीकांत जैसे नए चेहरे के भाग्य का भी फैसला यह चुनाव कर देंगे। कांग्रेस के भाग्य का निर्णय भी हो जाएगा कि क्या यह और बेहतर स्थिति में होगी या फिर इसका ग्राफ और नीचे लुढ़केगा। 

जहां तक विदेश नीति का सवाल है नास्त्रेदमस ने भविष्यवाणी की है कि 2021 में भारत, चीन, ब्रिटेन और रूस के बीच एक संघ बनने की संभावना है। 2021 में नए सिरे से नए उपभेदों और व्यापार चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन जनवरी में गणतंत्र दिवस के मुख्यातिथि के रूप में भारत आएंगे। विदेशी गण्यमान्य व्यक्तियों की अधिकांश यात्राओं को रोक दिया गया है क्योंकि नया मानक आभासी बैठकों का है। नई दिल्ली अपनी कूटनीतिक व्यस्तताओं को जोश के साथ जारी रख पाएगी। कोविड-19 के बावजूद 2021 में बड़ी और छोटी शक्तियों के साथ जुड़ाव रहेगा। भारत-अमरीका संबंध गर्म रहेंगे क्योंकि नए बाइडेन प्रशासन के भारत के साथ अनुकूल रिश्ते होने की उम्मीद है। जो बाइडेन वीजा नियमों को कम कर सकते हैं क्योंकि ऐसा उन्होंने चुनावों से पहले वायदा किया था। ले-देकर वर्ष 2021 एक मिश्रित वर्ष होगा जिसमें कुछ अच्छी तथा कुछ बुरी खबरें सुनने को मिलेंगी। यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए होगा।-कल्याणी शंकर
  


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