राज्यों में चुनावों की हार पर ‘आर.एस.एस.’ और राजनाथ सिंह ने स्थानीय नेतृत्व मजबूत करने पर दिया बल

punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2020 - 03:13 AM (IST)

भाजपा के अभिभावक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ ने अपने एक लेख में हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चुनावों में पार्टी की कमरतोड़ पराजय के कारणों का विश्लेषण करते हुए जहां स्थानीय नेतृत्व को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है, वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी राजनीति में घट रही विश्वसनीयता पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए इसे दूर करने की बात कही है। 

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में 22 वर्षों से सत्ता का वनवास झेल रही भाजपा के अनेक नेताओं को जिनमें केंद्रीय मंत्री भी शामिल रहे हैं, हाल ही में सम्पन्न दिल्ली विधानसभा के चुनावों में नफरत भरे नारे लगाते हुए देखा गया। भाजपा नेताओं द्वारा इस दौरान ‘देशद्रोहियों को गोली मारने’ और अरविंद केजरीवाल को ‘आतंकवादी’ कहने जैसे नारे लगाने के बावजूद दिल्ली में भाजपा को अप्रत्याशित और कमरतोड़ पराजय झेलनी पड़ी हालांकि कुछ ही महीने पहले सम्पन्न लोकसभा के चुनावों में इसे शानदार सफलता प्राप्त हुई थी। 

बेशक इन चुनावों में पार्टी पिछली बार की तीन सीटों के आंकड़े में ‘सुधार’ करके इस बार 8 के आंकड़े पर पहुंच गई परंतु इसे कतई संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। इसीलिए इस हार को लेकर पार्टी में बवाल मचा हुआ है और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने तो ‘‘मेरी पुरानी पार्टी को शानदार प्रदर्शन पर बधाई’’ कह कर भाजपा नेताओं के जले पर नमक छिड़क दिया है। दिल्ली विधानसभा के चुनावों में भाजपा तथा कांग्रेस की हार पर टिप्मणी करते हुए हमने 12 फरवरी के सम्पादकीय ‘केजरीवाल तीसरी बार बने मुख्यमंत्री, भाजपा और कांग्रेस करें आत्ममंथन’ में लिखा था कि : ‘‘यह पराजय भाजपा और कांग्रेस के लिए आत्ममंथन करने का एक अवसर है। भाजपा अपनी गलतियां सुधारे और कांग्रेस दूसरे दलों के साथ गठबंधन करके अपनी स्थिति मजबूत करे।’’ 

‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आर.एस.एस.) के अंग्रेजी मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ ने राज्यों के चुनावों में भाजपा की लगातार पराजयों और विशेष रूप से दिल्ली के चुनावों के संदर्भ में पार्टी को चेतावनी देते हुए लिखा है कि : ‘‘एक संगठन के रूप में भाजपा को यह समझने की जरूरत है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी विधानसभा स्तर के चुनावों में (पार्टी की) हमेशा मदद नहीं कर सकते हैं तथा स्थानीय आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दिल्ली में संगठन के पुनॢनर्माण के अलावा कोई विकल्प नहीं है।’’इसी प्रकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने (इन चुनावों में भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए नफरत भरे बयानों के संदर्भ में) देश की राजनीति में विश्वसनीयता का संकट पैदा होने के लिए नेताओं की कथनी और करनी में अंतर को जिम्मेदार ठहराते हुए इस पर काबू पाने की आवश्यकता पर बल दिया है।

उन्होंने कहा कि ‘‘राजनीति एक ऐसी प्रणाली है जो समाज को सही रास्ते पर ले जाती है परंतु वर्तमान में इसका महत्व और अर्थ खो गया है और लोग इससे नफरत करने लगे हैं। हम क्यों नहीं इसे चुनौती के रूप में ले सकते ताकि राजनीति के इस संकट को समाप्त किया जा सके।’’ 

‘‘भारत ने विश्व को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है और यह हमारी संस्कृति की अतुलनीय विशेषता है जिसमें देश की सीमाओं से दूर रहने वाले लोगों सहित सभी को एक माना जाता है परंतु संकीर्ण सोच वाले इसके बारे में सोच भी नहीं सकते।’’ इस समय हालत यह है कि पिछले 2 वर्षों में भाजपा 7 राज्यों में अपनी सत्ता गंवा चुकी है और यहां तक कि महाराष्टï्र, जहां संघ का मुख्यालय स्थित है, वहां भी पार्टी को सत्ता से वंचित होना पड़ा है। 

सत्ता के नशे में चूर और स्वयं को अजेय समझने वाले पार्टी के उच्च नेताओं के अहंकार और निचले काडर के वर्करों में व्याप्त निराशा और पार्टी में व्याप्त संवादहीनता की स्थिति ने इसे पराजय की ओर धकेल दिया है। ऐसे में पार्टी को ‘आर.एस.एस.’ एवं राजनाथ सिंह की ‘चेतावनियों’ और ‘परामर्शों’ का संज्ञान लेकर इन पर अमल करके दिल्ली ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में एक जैसी ‘कथनी और करनी’ का उदाहरण पेश करने की जरूरत है।—विजय कुमार 


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