प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार की रणनीति बनाएंगी

punjabkesari.in Monday, Mar 04, 2019 - 03:51 AM (IST)

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार प्रियंका गांधी वाड्रा आने वाला लोकसभा चुनाव  नही लड़ेंगी और वह आम चुनावों के लिए केवल प्रचार तथा रणनीति का प्रबंधन एवं आयोजन करेंगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से 22 लोकसभा सीटों पर ध्यान केन्द्रित किया है तथा प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए 10 पर्यवेक्षकों की योजना बनाई है। जैसे कि सीट समन्वयक, अनुसूचित जाति समन्वयक, ओ.बी.सी. समन्वयक, किसान समन्वयक आदि।

इस बीच प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश में छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन को अंतिम रूप देने के लिए ब्लाक स्तर से लेकर राज्य नेतृत्व तक के साथ विचार-विमर्श में व्यस्त हैं। वह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रचार अभियान की व्यवस्था करेंगी। यद्यपि इलाहाबाद के कांग्रेस नेता तथा कार्यकत्र्ता मांग कर रहे हैं कि प्रियंका गांधी को फूलपुर से लोकसभा चुनाव लडऩा चाहिए, जो एक ऐसी सीट है जिसका प्रतिनिधित्व भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने किया था। 

विपक्षी नेताओं का दिल्ली में गठबंधन हेतु दबाव
सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में 7 लोकसभा सीटों में से 6 के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है और एक शीर्ष ‘आप’ नेता ने दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए पुन: वार्ता की सम्भावना पर बात करते हुए कहा कि शीघ्र ही 7वीं सीट पश्चिमी दिल्ली के लिए उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, जो ‘आप’ के साथ सम्पर्क में रही है, ने कभी भी यह आभास नहीं दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आदेश का पालन करते हैं तथा दिल्ली राज्य कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित के माध्यम से प्राप्त दिल्ली कांग्रेस के नेताओं के संकेत गठबंधन के पक्ष में नहीं थे, इसके परिणामस्वरूप ‘आप’ नेतृत्व ने 6 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है।

‘आप’ नेता कांग्रेस के साथ न केवल दिल्ली में बल्कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ तथा गोवा में भी तालमेल चाहते हैं। 2014 में ‘आप’ ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई थी जबकि विधानसभा चुनावों में ‘आप’ ने 70 में से 67 सीटें जीत ली थीं। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को एक ऐसी रणनीति बनाने को कहा गया है जो न केवल कांग्रेस के लिए अच्छी हो बल्कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की पराजय भी सुनिश्चित करे। अपने पार्टी नेताओं तथा कार्यकत्र्ताओं के विचारों के संबंध में दीक्षित सोमवार को केन्द्रीय नेतृत्व को अवगत करवाएंगी।

‘आप’ की दिल्ली इकाई के प्रमुख गोपाल राय के अनुसार उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन चाहती थी क्योंकि यह महसूस करती है कि दिल्ली में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष का एक ही उम्मीदवार होना चाहिए। शरद पवार, ममता बनर्जी, फारूक अब्दुल्ला तथा चन्द्र बाबू नायडू सहित सभी विपक्षी नेता कांग्रेस तथा ‘आप’ दोनों पर दिल्ली में भाजपा के खिलाफ लडऩे के लिए गठबंधन बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं। 

गुजरात मॉडल
जब तक नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब तक गुजरात में टिकट वितरण का मॉडल 50 प्रतिशत निर्वाचन क्षेत्रों में नए चेहरे उतारना था। पदेन विधायकों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के चलते इस मॉडल की उच्च सफलता को देखते हुए भाजपा द्वारा इसे लोकसभा चुनावों में भी दोहराया जा सकता है। रणनीतिक समीक्षाओं से लैस, अमित शाह के बारे में ऐसा माना जाता है कि वह कम से कम 100 सीटों पर नए चेहरे उतारने के पक्ष में हैं। नए चेहरों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे, प्रधान सचिव के बेटे तथा एक वरिष्ठ भाजपा नेता की बेटी हो सकती हैं। कुछ अन्य के लिए निर्वाचन क्षेत्र बदले जा सकते हैं। 

सावित्री बाई फुले करेंगी भाजपा की दलित विरोधी नीतियों का पर्दाफाश
दलित नेता एवं बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले, जिन्होंने गत वर्ष दिसम्बर में भाजपा छोड़ दी थी, शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी महासचिवों प्रियंका गांधी वाड्रा तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति में उन्हें पार्टी में शामिल किया। फतेहपुर से पूर्व समाजवादी सांसद राकेश साचन भी उसी समय कांग्रेस में शामिल हुए। भाजपा विधायक अवतार सिंह भडाना पहले ही प्रियंका तथा सिंधिया की उपस्थिति में 14 फरवरी को लखनऊ में कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।

फुले के अनुसार वह भाजपा की दलित विरोधी नीतियों के कारण कांग्रेस में शामिल हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा संघ की शह पर दलितों का आरक्षण समाप्त करने की योजना बना रही है और वह भाजपा की दलित विरोधी नीतियों बारे लोगों को बताने के लिए देश भर का दौरा करेंगी। प्रियंका गांधी तथा ज्योतिरादित्य की उपस्थिति को इस संकेत के तौर पर देखा जा रहा है कि इस जोड़ी ने विरोधी खेमे से नेताओं को पार्टी में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

राजस्थान में भाजपा की चिंता
राजस्थान में भाजपा अभी भी विधानसभा चुनावों में पराजय से उबरी नहीं है। जहां 2014 में भाजपा ने सभी 25 लोकसभा सीटें जीती थीं, वहीं इस बार सभी सीटें जीतना कठिन है क्योंकि वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कड़ी मेहनत कर रहे हैं और राज्य में उनकी अच्छी छवि है। गहलोत ने राज्य में बुजुर्गों, विधवाओं तथा दिव्यांगों के लिए योजनाएं शुरू की हैं, जिन पर वसुंधरा के कार्यकाल में ध्यान नहीं दिया गया था।

गहलोत ने किसानों को राहत के साथ-साथ राज्य में पैंशन में भी वृद्धि की है जबकि वर्तमान में भाजपा के पास राजस्थान में खुद को स्थापित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है। गहलोत ने गऊशालाओं के लिए कोषों तथा क्षेत्रों में वृद्धि की है। इन सभी को भाजपा के पारम्परिक समर्थकों को लुभाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। कांग्रेस सरकार ने शनिवार को जयपुर में गौरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया और दावा किया है कि कांग्रेस सच्ची गौभक्त है। परिणामस्वरूप भाजपा के बहुत से नेता कांग्रेस से टिकट पाने के लिए अब अशोक गहलोत तथा कांग्रेस नेताओं को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं।-राहिल नोरा चोपड़ा


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