‘पाकिस्तान की इमरान सरकार बची’ ‘...लेकिन तलवार अभी लटकी हुई है’

punjabkesari.in Sunday, Mar 07, 2021 - 03:43 AM (IST)

क्रिकेटर से राजनीतिज्ञ बने इमरान खान नियाकाी का जन्म 5 अक्तूबर, 1952 को लाहौर के एक रईस पश्तून परिवार में हुआ। उन्होंने 1975 में ग्रैजुएशन की। वह 1971 से 1992 तक पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के लिए खेले। 3 विवाह करने वाले इमरान खान 1996 में अपनी पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ बनाकर राजनीति में कूदे और चुनाव जीत कर 18 अगस्त, 2018 को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। 

इमरान खान की सरकार सत्ता में आने के समय से ही लगातार बढ़ रहे जन असंतोष का शिकार बनी हुई है और देश कंगाली तथा फटेहाली की कगार पर पहुंच गया है। देश की जी.डी.पी. में गिरावट आ रही है और अंतर्राष्ट्रीय कर्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका ब्याज चुकाने के लिए भी पाकिस्तान के शासकों को दूसरे देशों से ब्याज पर कर्ज लेना पड़ रहा है। 

पाकिस्तान में व्याप्त महंगाई और भ्रष्टाचार के चलते इसकी जनता का जीना दूभर हो गया है। इस कारण वयोवृद्ध नेता मौलाना फजलुर्रहमान ने ‘पाकिस्तान डैमोक्रेटिक मूवमैंट’ का गठन करके 11 विरोधी दलों के साथ मिल कर इमरान सरकार के विरुद्ध आंदोलन छेड़ रखा है। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)’ की नेता मरियम नवाज और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों की ‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी’ के नेता बिलावल भुट्टों भी शामिल हैं। 

विरोधी दलों के लगातार तेज होते जा रहे आंदोलन के फलस्वरूप गत वर्ष अक्तूबर में सिंध में पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध विद्रोह हो गया। इसमें सिंध पुलिस के 10 सिपाही और पाकिस्तानी सेना के 5 सैनिक मारे गए थे। यही नहीं कराची तथा देश के अन्य शहरों में लूटमार, तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाएं भी जारी हैं। लोगों में सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा के विरुद्ध इतना अधिक गुस्सा है कि कुछ समय पूर्व उन्होंने जनरल बाजवा के एक रिश्तेदार के कराची स्थित शॉपिंग माल पर हमला करके उसे लूट लिया और आग लगा दी। 

इस तरह के घटनाक्रम के चलते यह लगने लगा था कि अब इमरान सरकार कुछ ही दिनों की मेहमान है। यह आशंका इस वर्ष 3 मार्च को और बलवती हो गई जब इमरान सरकार में वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख को इस्लामाबाद की सीट से सीनेट के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री युसूफ राजा गिलानी (पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) ने 5 वोटों से हरा दिया। इसे इमरान खान के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा था। इसके बाद ‘पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी’ के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने 4 मार्च को कहा कि अब इमरान सरकार को कोई भी बचा नहीं सकता। दूसरी ओर अपने वित्त मंत्री की पराजय से क्षुब्ध होकर इमरान खान ने विपक्षी नेताओं को चोर बताते हुए आरोप लगाया कि :

‘‘मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही थी। मेरी पार्टी के 15-16 सांसदों के बिक जाने और पार्टी लाइन से हट कर वोट देने के कारण सीनेट चुनावों में हार हुई है और मैं विपक्ष में बैठने को तैयार हूं।’’ ‘‘मैं अपनी सरकार की वैधता सिद्ध करने के  लिए 6 मार्च को विश्वासमत का सामना करूंगा तथा वोटिंग में जो फैसला होगा उसका सम्मान करूंगा।’’ 

अपनी इसी घोषणा के अनुरूप 6 मार्च को विश्वासमत का सामना करने  से पूर्व इमरान खान ने अपनी पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ के सांसदों को पत्र लिख कर पार्टी लाइन पर वोट डालने या अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी भी दे दी। इस बार अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सीक्रेट वोटिंग की बजाय प्रत्यक्ष वोटिंग करवाने की व्यवस्था की गई। नैशनल असैम्बली की बैठक सुबह कुरान के पाठ से शुरू हुई तथा विरोधी दलों ने वोटिंग का बहिष्कार कर दिया। 

परम्परा के अनुसार प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वालों को लाबी के दाईं ओर इकट्ठे होने को कहा गया। 341 सदस्यों के सदन में इमरान खान को बहुमत प्राप्त करने के लिए 172 वोटों की जरूरत थी परंतु 178 वोट प्राप्त करके वह विश्वास मत जीत गए। विश्वासमत पास करने के बाद इमरान ने देश के सांसदों द्वारा उनमें विश्वास व्यक्त करने के लिए आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि मतदान से पूर्व इमरान की पार्टी  ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ तथा पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)’  के वर्करों के बीच नैशनल असैम्बली के बाहर मारामारी भी हुई । जिसमें अनेक लोग घायल भी हुए। 

इमरान समर्थकों ने (नवाज) पार्टी के पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को पीटा तथा एक अन्य नवाज समर्थक को जूता मारा। ‘शाहिद खाकान अब्बासी’ ने इमरान को ललकारा, ‘‘तू गुंडों के पीछे छिपा है। हम भी देखते हैं कि तुझमें कितनी गैरत है। अभी आ जा सामने।’’ ‘नवाज पार्टी’ की ही एक अन्य नेता मरियम औरंगजेब ने कहा, ‘‘वह (इमरान खान) किराए के गुंडे लाता है। किराए के प्रधानमंत्री को घर जाना ही होगा। तुम जितनी गुंडागर्दी करोगे हम उससे ज्यादा गुंडागर्दी करेंगे।’’ 

हालांकि इमरान ने अभी तो अपनी सरकार बचा ली है परंतु कहा नहीं जा सकता कि इससे उनकी समस्याएं टल गई हैं। देश में महंगाई, लाकानूनी और भ्रष्टाचार आदि के विरुद्ध विरोधी दलों का अभियान आगे भी जारी रहेगा। ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)’ की नेता मरियम नवाज ने इस विश्वासमत को निरर्थक बताया और कहा इमरान सरकार के दिन गिनती के रह गए हैं। ऐसे में हर समय इमरान सरकार पर अनिश्चितता की तलवार लटकती ही रहेगी। अत: या तो उन्हें अपने देश के बिगड़े हुए हालात सुधारने होंगे और या फिर इसी तरह के आंदोलनों के लिए तैयार रहना पड़ेगा।—विजय कुमार 


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