आगामी लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार की रणनीति

punjabkesari.in Monday, Jul 16, 2018 - 03:52 AM (IST)

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ रात्रिभोज बैठक के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की यात्रा शुरू कर दी है जिसमें वह जनता को शराबबंदी और दहेज प्रथा तथा बाल विवाह पर लगाए गए प्रतिबंध के लाभ बताएंगे। 

पटना के सियासी गलियारों में चल रही चर्चा के अनुसार अमित शाह ने घोषणा की है कि वे आगामी लोकसभा चुनाव संयुक्त रूप से लड़ेंगे और नीतीश कुमार की सहायता से सभी 40 सीटें जीतेंगे लेकिन जद (यू) नेता अभी भी इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा उन्हें 25 सीटें देगी क्योंकि भाजपा को कुछ सीटें रामविलास पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को भी देनी हैं। इसलिए नीतीश बाबू राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ भी सम्पर्क साध कर चल रहे हैं ताकि यदि भाजपा उन्हें 25 सीटें न दे तो वह आगामी लोकसभा चुनाव में राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकें। नीतीश कुमार की ओर से प्रचार रणनीतिकार प्रशांत किशोर राजद-कांग्रेस गठबंधन के साथ बातचीत कर रहे हैं। इस बीच लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव महागठबंधन में नीतीश कुमार की एंट्री का विरोध कर रहे हैं। 

सी.डब्ल्यू.सी. सूची
यद्यपि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी को पूरा समय दे रहे हैं और कांग्रेस कार्य समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) को छोड़ कर पार्टी संगठन पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस कार्य समिति (सी.डब्ल्यू.सी.) यानी पार्टी की सबसे बड़ी निर्णायक संस्था का चुनाव फिलहाल रोक दिया गया है क्योंकि राहुल गांधी को अभी पार्टी के दो प्रमुख नेताओं ए.के. एंटनी और अहमद पटेल की भूमिका पर निर्णय लेना बाकी है। पटेल अभी भी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के अनाधिकृत ‘राजनीतिक सचिव’ हैं, जो अब भी सी.पी.पी. नेता और गठबंधन की संरक्षक हैं। अहमद पटेल यहां पर्दे के पीछे की भूमिका में हैं परन्तु एंटनी नहीं। बेशक, ये दोनों नाम नई सी.डब्ल्यू.सी. का हिस्सा होंगे परन्तु बहुत से लोगों का मानना है कि यही उनकी एकमात्र भूमिका नहीं होगी क्योंकि कार्य समिति की बैठक बहुत ही कम होती है। 

भाजपा का मिशन पश्चिम बंगाल और ओडिशा
आगामी लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अपना जनाधार मजबूत करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि भाजपा ने इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को पछाड़ते हुए अपना वोट बैंक काफी बढ़ा लिया है लेकिन इन दोनों राज्यों में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए उसे अभी भी कड़ी मेहनत करनी होगी। लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां लोकसभा की 42 सीटें हैं जिनमें से भाजपा के पास सिर्फ 2 सीटें हैं। पार्टी हाईकमान को इन 42 सीटों में से 22 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चलना होगा। प्रदेश में पार्टी के नेतृत्व ने हाईकमान को विश्वास दिलाया है कि यदि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं तो वह 22 सीटें जीत लेंगे। प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल के दौरे पर जा रहे हैं जहां वह मिदनापुर में किसान कल्याण रैली को सम्बोधित करेंगे। इसके लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच पोस्टर युद्ध शुरू हो गया है, जबकि भाजपा नेता और केन्द्रीय मंत्री राज्य के दौरे कर रहे हैं ताकि रैली को सफल बनाया जा सके और जनता पर इसका प्रभाव छोड़ा जा सके जिसकी बदौलत आगामी लोकसभा चुनावों में पार्टी को लाभ मिले। 

राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत
उपचुनाव और राजस्थान विधानसभा चुनाव में विपक्षी दल की जीत के चलन को देखते हुए कांग्रेस की जीत की संभावना काफी अधिक है, जिसको देखते हुए इस बार हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का टिकट चाहने वालों की संख्या काफी बढ़ गई है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने हर विधानसभा क्षेत्र में ‘‘बूथ मेरा गौरव’’ कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट और पार्टी के अन्य केन्द्रीय पदाधिकारी भाग ले रहे हैं। टिकट के चाहवानों की संख्या बढऩे के कारण हर कार्यक्रम में पार्टी कार्यकत्र्ताओं की अंतर्कलह खुल कर सामने आ रही है। कुछ स्थानों पर कार्यकत्र्ता अपने उम्मीदवार के नाम वाली टी-शर्ट पहन कर कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं। सचिन पायलट ने यह कार्यक्रम इसलिए शुरू किया है ताकि टिकट के चाहवानों के लिए अवसर बढ़ाए जा सकें और वे विधानसभा सीटों के लिए अपना शक्ति प्रदर्शन कर सकें। कांग्रेस के इस दाव से भाजपा कार्यकत्र्ताओं में चिंता देखी जा रही है। 

नाखुश हैं कांग्रेस के मुस्लिम नेता
सलमान खुर्शीद की ओर से हाल ही में राहुल गांधी की मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ करवाई गई बैठक से कुछ प्रमुख अल्पसंख्यक नेता नाखुश हैं। उनका मानना है कि खुर्शीद ने इस मुलाकात के लिए जिन बुद्धिजीवियों को चुना वह दिल्ली के उपेक्षित मुस्लिम नेता हैं जिनका समुदाय में कोई जनाधार नहीं है। उनका मानना है कि इस वार्तालाप के लिए धार्मिक नेताओं, अल्पसंख्यक संस्थाओं के शिक्षाविदें और विभिन्न राज्यों से प्रमुख अल्पसंख्यक नेताओं को बुलाया जाना चाहिए था।-राहिल नोरा चोपड़ा


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Pardeep

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