लव जिहाद : चुनावी अखाड़े में एक गरमागरम मुद्दा

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2024 - 05:23 AM (IST)

भारत में एक बार पुन: लव जिहाद चुनावी तापमान बढ़ा रहा है। लव जिहाद एक सुविधाजनक राजनीतिक औजार है, जिस पर कल्याण योजनाओं और विकास का आवरण चढ़ा दिया गया है तथा जिसने केन्द्र में दो बार भाजपा को सत्ता में आने में सहायता की है और जाति व धर्म की सीमाओं से परे इश्क, मुहब्बत, शादी तथा बलात् धर्म परिवर्तन ने राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी है, जिसके चलते एक राजनीतिक संघर्ष पैदा हो गया है। 

लव जिहाद के बारे में हालिया शोर का कारण कर्नाटक में एक कॉलेज जाने वाली लड़की की हत्या है। हुगली में इस लड़की की हत्या उसके पूर्व सहपाठी ने की, जिसके चलते में राज्य में एक राजनीतिक तूफान आ गया है। लड़की के परिवार वालों का कहना है कि आरोपी उस पर धर्म परिवर्तन और विवाह करने का दबाव डाल रहा था। स्वाभाविक है कि भाजपा ने इसे एक लव जिहाद का मामला बताया है और सिद्धारमैया सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह कानून-व्यवस्था की कीमत पर तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने यह कहते हुए इस आरोप का खंडन किया है कि यह दोनों के बीच पारस्परिक संबंध है और इस प्रकार पुन: संपूर्ण देश में एक पुराना चिर-परिचित दुश्मन उभर आया है। इस घटना के परिणामस्वरूप हिन्दू ब्रिगेड की बहू-बेटी बचाओ संघर्ष समिति सक्रिय हो गई और वह लोगों को जागरूक करने और लव जिहाद का मुकाबला करने के लिए एक आक्रामक और सुनियोजित अभियान चला रही है। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जो लोग अपनी पहचान छुपाते हैं और हमारी बहन-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ करते हैं, यदि वे अपने तौर-तरीके नहीं बदलते तो उनका राम नाम सत्य होने की यात्रा शुरू हो गई है। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह इस तरह की चाल चल कर हिन्दू बहुलवादी सांप्रदायिक राजनीति कर रही है, ताकि मुसलमानों को चुनावी दृष्टि से हाशिए पर लाया जाए जो विशेषकर लव जिहाद के भावनात्मक मुद्दे पर सांप्रदायिक हिंसा को संरक्षण दे रही है तथा उसके द्वारा शासित राज्यों में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून ला रही है। 

भाजपा ने कांग्रेस और उसके द्वारा शासित राज्यों पर आरोप लगाया है कि वह मुसलमान लड़ाकों के विरुद्ध कार्रवाई करने में विफल रही है। कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी है, टुकड़े-टुकड़े गैंग का हिस्सा है, आतंकवादियों को संरक्षण देती है, तुष्टीकरण की राजनीति और पाकिस्तान के एजैंडे पर काम करती है। जहां तक अन्य विपक्षी दलों का संबंध है, अल्पसंख्यक विरोधी मुद्दे पर हिन्दुत्व ब्रिगेड की आलोचना करने के बावजूद वे आक्रामक हिन्दुत्व एकीकरण का विरोध करते हैं और नहीं चाहते कि उन पर मुस्लिम समर्थक का बिल्ला लगाया जाए। वे मुस्लिम लोगों को भाजपा विरोधी मानते हैं और उसी के अनुसार अपनी राजनीतिक रणनीति बनाते हैं। फिर गलती किसकी है? हमारे नेता गत वर्षों में समाज में जहर फैलाने के लिए अविवेकपूर्ण भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं। राजनीति धु्रवीकरण, तुष्टीकरण, कट्टरवाद तक सीमित हो गई है। घृणा फैलाई जा रही है और इससे सांप्रदायिक मतभेद भी बढ़ रहे हैं। चुनावों से पूर्व सभी धर्मों में भावनाएं भड़काने का प्रयास किया जा रहा है। हर पार्टी ऐसा कर रही है और उन्हें आशा है कि इससे उन्हें लाभ मिलेगा। 

राज्य विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा और हिन्दू सांस्कृतिक पुनर्जागरण के बाद एक नई हिन्दुत्व राजनीति कर रही है, ताकि वह उन क्षेत्रों में भी अपनी पैठ बना सके, जहां पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग अधिक संख्या में नहीं हैं और उसने इस बार पुन: नारा दिया है, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और इस बार 400 पार, तथापि पार्टी समझती है मुस्लिम सोच अभी भी उसके लिए समस्या का कारण है। पिछले वर्ष विभिन्न दक्षिणपंथी संगठनों ने हिन्दू जन आक्रोश रैलियां निकालीं और लव जिहाद, लैंड जिहाद के विरुद्ध कानून बनाने की मांग की और हिन्दुत्व खतरे में है, का मुद्दा उठाया। 

विपक्षी दलों ने भगवा संघ पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि मुसलमानों की आबादी में वृद्धि से किस तरह हिन्दू राष्ट्र की सर्वोच्चता खतरे में पड़ गई है और उनकी निगाहें चुनावी लाभ पर हैं। तथापि यह सब कुछ सांप्रदायिक सौहार्द के लिए अच्छा नहीं है। कम लोग जानते हैं कि लव जिहाद कार्यक्रम केरल में कुछ मुस्लिम संगठनों के संरक्षण में 1996 में शुरू हुआ था, हालांकि यह शब्द पहली बार सितंबर 2009 में केरल के पथानामथिट्टा जिले में सुनाई दिया और इसका इस्तेमाल तीन माह बाद केरल उच्च न्यायालय के एक निर्णय में हुआ और इसे युवा होनहार हिन्दू लड़कियों को बलपूर्वक मुसलमान बनाने के लिए एक मुस्लिम षड्यंत्र बताया गया, जिसके अंतर्गत मुस्लिम लड़के उन लड़कियों को प्यार के जाल में फंसाते हैं। 

न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा था कि वह इस तरह के लव जिहाद के धोखाधड़ी वाले कृत्यों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाने पर विचार करे। मुस्लिम कट्टरवादी संगठनों, जैसे नैशनल डैमोक्रेटिक फ्रंट और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कैम्पस फ्रंट द्वारा इसका खंडन किए जाने के बावजूद केरल सरकार ने कहा कि वर्ष 2006 के बाद राज्य में 2667 महिलाओं ने धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाया है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार वर्षों में ऐसे धर्मपरिवर्तन की 8 हजार घटनाएं हुई हैं। हिन्दू जन जागृति समिति के अनुसार अकेले कर्नाटक में 60 हजार लड़कियों का धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनाया गया और पिछले 6 माह में उत्तर प्रदेश में लव जिहाद के 20 मामले सामने आए हैं। 

उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम, देश के किसी भी भाग में जाएं, स्थिति ऐसी ही है। धर्म पैसा बनाने का साधन बन गया है। अमरीका से अनेक गिरजाघरों को पैसा मिल रहा है और वे तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कश्मीर में लड़कियों को पैसे और रोजगार देकर उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने छत्तीसगढ़ के प्रत्येक गांव में भी युवाओं के सशस्त्र दल बनाए हैं, ताकि वे लोगों को ईसाई धर्म अपनाने से रोक सकें और मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, गुजरात तथा ओडिशा में आदिवासी ईसाइयों को पुन: हिन्दू धर्म में लाने के लिए घर वापसी कार्यक्रम शुरू किया है। इस पर रोक लगाने के लिए राजस्थान, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात ने धर्म परिवर्तन रोधी कानून पारित किए हैं, जिसमें धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाया गया है, किंतु यदि कोई हिन्दू धर्म में वापस आना चाहता है, पुन: धर्म परिवर्तन की अनुमति दी गई है। झारखंड ने भी ऐसा ही कानून बनाने का इरादा व्यक्त किया है। 

ओडिशा और मध्य प्रदेश द्वारा 1967-68 के दौरान पारित धर्म परिवर्तन कानूनों की संवैधानिक वैधता को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा था कि संविधान में एक व्यक्ति को अपने धर्म से किसी और धर्म में धर्म परिवर्तन का अधिकार नहीं दिया गया, अपितु अपने धर्म के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार करने की अनुमति दी गई है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि संगठित धर्म परिवर्तन धर्म निरपेक्षता के विरुद्ध है और सभी धर्मों का संबंध भारत की धर्म निरपेक्षता का मूल है। समय आ गया है कि हमारे नेता इस पर उन सब लोगों के बारे में विचार करें जिन्होंने निरर्थक लव जिहाद के चलते अपनी जान खोई है और राजनीति से धर्म और विभाजनकारी भाषा को दूर रखें तथा विभाजनकारी राजनीति पर प्रतिबंध लगाने के बारे में विचार करें। हमें लव जिहाद को एक राजनीतिक दिखावे तक सीमित नहीं करना चाहिए। हमारे नेताओं को इसके नफा-नुकसान का विश्लेषण करना चाहिए और धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए करने पर रोक लगानी चाहिए। यही असली लव जिहाद होगा।-पूनम आई. कौशिश
    


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