नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन : ‘स्वास्थ्य सेवा’ की ओर एक ऐतिहासिक पहल

punjabkesari.in Friday, Aug 28, 2020 - 04:20 AM (IST)

135 करोड़ की जनसंख्या वाले देश भारत को प्रत्येक परिस्थिति में  सबके लिए गुणवत्तापूर्ण, सस्ती एवं नैतिक तौर पर सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सुविधाएं, निजी अथवा सार्वजनिक, जनता को आपातकालीन परिस्थिति व दैनिक आवश्यकतानुसार उपलब्ध व व्यावहारिक होनी चाहिएं।

केंद्र तथा सभी राज्य स्वास्थ्य क्षेत्र को वास्तविक अर्थों में थोड़ा सस्ता बनाने हेतु निरंतर कार्यरत हैं, चाहे वर्तमान स्वास्थ्य सुविधाओं, संसाधनों व आवश्यकता पडऩे पर सही समय पर काम आने  की प्रभावशीलता को सुनिश्चित करने का कार्य चुनौतीपूर्ण है। इसी दिशा में, नैशनल डिजिटल हैल्थ मिशन (एन.डी.एच.एम.) जो भारत की स्वास्थ्य सेवा डिलीवरी प्रणालियों को सशक्त बनाने हेतु कुछ मसलों पर रुकावटों का समाधान ढूंढता है, के भारत के सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य की पूर्ति के मार्ग पर एक मील-पत्थर बनने की पूर्ण संभावना है। 

भारत क्योंकि अपनी धरती के कोने-कोने तक सबके लिए पहुंच योग्य उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा स्थापित करने हेतु वचनबद्ध है, अत: डिजिटल हैल्थ सुविधाओं की बड़ी भूमिका रहेगी।  यू.आई.डी.ए.आई. के भूतपूर्व अध्यक्ष तथा नैशनल डिजिटल हैल्थ ब्लूपिं्रट (एन.डी. एच.बी.) समिति के अध्यक्ष जे. सत्यानारायण के शब्दों में, डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं डिजिटल हैल्थकेयर कम्पोनैंट पर बल देते हुए सभी को स्वास्थ्य सेवा की परिधि में लाने (यू.एच.सी.) की लक्ष्य प्राप्ति की ओर भारत सरकार की सबसे बड़ी छलांग होगी। लम्बे समय से स्वास्थ्य क्षेत्र व डाटा की वर्तमान एप्लीकेशन्स को संगठित करने हेतु एक सांझे मंच की आवश्यकता महसूस की जाती रही है, अब तक भारत में सार्वजनिक या निजी दोनों प्रकार की स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं में सब अलग-अलग से चलता रहा है,परन्तु अब एन.डी.एच.एम. के रूप में यह एकजुट होगा। 

आवश्यकता नहीं है कि जहां तक हमारे स्वास्थ्य को डिलीवर करने से संबंधित प्रणाली का संबंध है, इसमें सही समय पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप अभी तक एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। वैसे चाहे गत कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी (आई.टी.) को बड़े स्तर पर अपनाया गया है, फिर भी अभी बहुत कुछ करना शेष है, विशेषतया चिकित्सीय सेवाओं तक सब की पहुंच बनाने के क्षेत्र में। यह आवश्यकता स्पष्ट तौर पर कोरोना वायरस की महामारी के साथ जूझते समय स्पष्ट तौर पर उजागर हुई है। 

एन.डी.एच.एम. के अंतर्गत प्रत्येक भारतीय को एक स्वास्थ्य पहचान (आई.डी.) दी जाएगी जिसमें प्रत्येक टैस्ट, रोग, जिन डाक्टरों ने चैक किया, जो औषधियां लीं तथा रोग के निदान (डायग्नॉस्टिक) से संबंधित प्रत्येक प्रकार की जानकारी  विद्यमान होगी। एन.डी.एच.एम. आई.डी. में निॢदष्ट सारी जानकारी न केवल पूर्णतया सही होगी, अपितु उसे कहीं भी ले जाया जा सकेगा तथा वह सुगमता से पहुंच योग्य होगी, चाहे रोगी किसी नए स्थान पर जाकर किसी नए चिकित्सक से उपचार करवाना प्रारंभ कर दे। यह एक समग्र, स्वैच्छिक स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जो चिकित्सकों, अस्पतालों, फार्मेसियों, बीमा कम्पनियों को संगठित करेगा तथा एक डिजिटल स्वास्थ्य आधारभूत संरचना का निर्माण भी करेगा। 

यह सुनिश्चित करने हेतु कि स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण की ओर भारत की छलांग निर्विघ्न व पारदर्शी ढंग से किसी तर्कपूर्ण परिणाम पर पहुंचे, पी.एम.जे.ए.वाई. को क्रियान्वित करने हेतु जिम्मेदार सर्वोच्च एजैंसी नैशनल हैल्थ अथॉरिटी (एन.एच.ए.) को देश में एन.डी.एच.एम. को तैयार करने, निर्माण करने, प्रारंभ करके उसे पूर्णतया लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है। इस समय यह योजना एक पायलट परियोजना के तौर पर छ: केंद्र शासित प्रदेशों, चंडीगढ़, लद्दाख, दादरा व नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, पुड्डुचेरी, अंडेमान व निकोबार द्वीपों तथा लक्षद्वीप में लाई गई है। 

इस नई पहल के छ: प्रमुख अंग या डिजिटल प्रणालियां-हैल्थ, आई.डी., स्वास्थ्य सुविधा, पंजीयन, निजी स्वास्थ्य रिकार्ड, ई-फॉर्मेसी तथा टैली-मैडीसिन  हैं। हैल्थ आई.डी., डिजी डाक्टर तथा स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एच.एफ. आर.) जैसे प्राथमिक अंग केंद्र सरकार की निगरानी में रहेंगे तथा उसी की ओर से इनका संचालन व रख-रखाव किया जाएगा। जहां तक निजी क्षेत्र के संबंधित पक्षों का संबंध है, उन्हें भी इन अंगों से जुडऩे का एक समान सुअवसर प्राप्त होगा तथा वे बाजार के लिए अपने उत्पाद बना सकेंगे परन्तु हैल्थ आई.डी. बनाने, किसी डाक्टर अथवा सुविधा की अनुमति जैसी आधारभूत गतिविधियों व पुष्टियों के मुख्य कार्य सरकार के पास रहेंगे। 

यहां गौरतलब है कि एन.डी.एच.एम. पूर्णतया राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 के अनुसार है, जोकि परिवर्तित हो रहे सामाजिक-आर्थिक, तकनीकी व महामारी के भू-दृश्य की आवश्यकतानुसार वर्तमान एवं उभर रही स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान ढूंढने पर केन्द्रित है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की रूप-रेखा के अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्पूर्ण नेतृत्व ने वर्तमान व्यवस्था के द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र को उचित फंड जारी करने सुनिश्चित किए हैं। केंद्रीय बजट 2017-18 में केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय हेतु 47,352.51 करोड़  रुपए की व्यवस्था रखी थी। यह बजट राशि में गत वर्ष के मुकाबले 27.77 प्रतिशत बढ़ौतरी थी।

ऐसे ही वर्ष 2018-19 में, स्वास्थ्य खर्चों में 2017-18 के मुकाबले 11.5 प्रतिशत बढ़ौतरी की गई तथा 52,800 करोड़ रुपए की बजट राशि रखी गई। वर्ष 2018-19 में नैशनल हैल्थ मिशन (एन.एच.एम.) हेतु 24,908 करोड़ रुपए की व्यवस्था रखी गई थी जो गत वर्ष की बजट राशि  से 2,967.91 करोड़ रुपए अधिक थी। वित्तीय वर्ष 2019-2020 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य  क्षेत्र हेतु 62,659.12 करोड़ रुपए का खर्च तय किया गया था, जो विगत दो वित्तीय वर्षों के मुकाबले अधिक था। केंद्र सरकार जिस सौहार्दपूर्ण ढंग से स्वास्थ्य क्षेत्र की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता किए बिना इसकी पारदर्शिता व इसे सस्ता बनाने हेतु कार्यरत है, उसी के कारण एक सशक्त भारत की नींव रखी जानी तय है।-राजीव रंजन राय


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