जस्टिस गोगोई व मिश्रा की जीवन भर की ‘बचत’ वरिष्ठ वकीलों की एक दिन की ‘कमाई’ से भी कम

punjabkesari.in Friday, Oct 05, 2018 - 04:57 AM (IST)

जब महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) के.के. वेणुगोपाल ने गत सोमवार को यह कहा कि जजों के वेतन तीन गुणा बढ़ा दिए जाने चाहिएं तो सम्भवत: उनके मन में सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा घोषित उनकी सम्पत्तियां रही होंगी, विशेष तौर पर पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा तथा नए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जिन्होंने बुधवार को अपने पद की शपथ ली। 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा स्थायी जज के तौर पर 21 वर्षों तक सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं, जिनमें से 14 वर्ष उन्होंने विभिन्न हाईकोर्ट्स में बिताए। जस्टिस गोगोई 28 फरवरी 2001 को गोहाटी हाईकोर्ट में स्थायी जज बने थे और सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर उन्होंने 23 अप्रैल 2012 को शपथ ली थी। हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के जजों के तौर पर उनकी निजी सम्पत्ति नगण्य रही और सफल वरिष्ठ अधिवक्ताओं की तुलना में उन्हें कंगाल ही माना जा सकता है। बैंक बैलेंस तथा अन्य पूंजियों के रूप में उनकी जीवन भर की बचत को अगर एक साथ रखा जाए तो वह कई वरिष्ठ वकीलों की रोज की कमाई से कम होगी, जो मोटी फीसें वसूलते हैं। 

जस्टिस गोगोई के पास सोने का अपना एक भी आभूषण नहीं है, जबकि उनकी पत्नी के पास जो आभूषण हैं वे उनकी शादी पर उनके अभिभावकों, संबंधियों तथा मित्रों द्वारा दिए गए थे। जस्टिस मिश्रा के पास सोने की दो अंगूठियां हैं, जिन्हें वह पहनते हैं और एक सोने की चेन है। उनकी पत्नी के पास जस्टिस गोगोई की पत्नी से जरा से अधिक आभूषण हैं। दोनों पूर्व तथा वर्तमान मुख्य न्यायाधीशों के पास अपना कोई निजी वाहन नहीं है, सम्भवत: इसलिए क्योंकि गत लगभग दो दशकों से उन्हें आधिकारिक कारें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। मगर सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के विपरीत जस्टिस मिश्रा तथा जस्टिस गोगोई शेयर बाजार में दिलचस्पी नहीं रखते। 

जस्टिस गोगोई का कोई ऋण बाकी नहीं है और न ही रहन पर रखी गई कोई वस्तु, ओवरड्राफ्ट, न चुकाया गया बिल या कोई अन्य देनदारी। जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के मयूर विहार स्थित अधिवक्ताओं की को-आप्रेटिव सोसाइटी में एक फ्लैट खरीदने के लिए एक बैंक से 22.50 लाख रुपए का ऋण लिया था, जिसे अब वह चुका रहे हैं। उनका कटक में एक अन्य घर है, जो उनके हाईकोर्ट के जज बनने से पूर्व एक दशक से भी पहले निर्मित किया गया था। दोनों जजों ने 2012 में अपनी ये सम्पत्तियां घोषित की थीं। एल.आई.सी. की पालिसी सहित जस्टिस गोगोई तथा उनकी पत्नी का बैंक बैलेंस मात्र 30 लाख रुपए है। गोगोई ने जुलाई में घोषणा की थी कि उन्होंने 1999 में गुवाहाटी के बेलटोला में एक प्लाट खरीदा था जिसे उन्होंने गत जून में 65 लाख रुपयों में बेच दिया था (उन्होंने खरीदने वाले का नाम भी घोषित किया)। 

उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मां ने जून, 2015 में गुवाहाटी के नजदीक जापोरीगोग गांव में जमीन का एक टुकड़ा उनके तथा उनकी पत्नी के नाम पर स्थानांतरित किया था। उनकी सम्पत्तियों की तुलना में सुप्रीम कोर्ट में एक सफल वरिष्ठ अधिवक्ता एक दिन में 50 लाख रुपए से अधिक कमाता है। सोमवार को जस्टिस मिश्रा के विदाई समारोह में बोलते हुए महान्यायवादी वेणुगोपाल के मन में सम्भवत: किसी सुप्रीम कोर्ट के जज का प्रतिमाह एक लाख रुपए का वेतन था। निश्चित तौर पर जजों को अच्छी सुविधाएं, भत्ते तथा आवास पर नौकर मिलते हैं मगर धन के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ताओं के मुकाबले जज कहीं अधिक नुक्सान में रहते हैं।-डी. महापात्रा


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Pardeep

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