अब जज जोसेफ के ‘दर्जे’ ने पैदा किया नया विवाद

punjabkesari.in Thursday, Aug 09, 2018 - 04:04 AM (IST)

जस्टिस  के.एम. जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति को हरी झंडी दिखाने और यहां तक कि उनके शपथ ग्रहण करने के बाद भी न्यायपालिका तथा केन्द्र के बीच उनकी पदोन्नति को लेकर चल रहा झगड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा। नया विवाद उनकी वरिष्ठता में फेर-बदल को लेकर है, जिसमें उनका दर्जा घटाया गया है। 

यह विवाद 3 अगस्त को केन्द्र द्वारा जारी नियुक्ति की अधिसूचना के बाद उत्पन्न हुआ जिसमें उन्हें दो जजों-जस्टिस इंदिरा बनर्जी तथा जस्टिस विनीत सरन के बाद रखा गया जिन्होंने जस्टिस जोसेफ के साथ ही शपथ ग्रहण की। हालांकि तथ्य यह है कि जस्टिस जोसेफ पहले ऐसे जज हैं जिनका प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कालेजियम (सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस तथा 4 वरिष्ठतम जज) ने किया था। मगर केन्द्र इस वर्ष जनवरी से फाइल को दबा कर बैठा था। 

कालेजियम के वरिष्ठतम जजों में से एक ने अपनी पहचान छिपाने के निवेदन के साथ बताया कि वरिष्ठ जज सोमवार को चीफ जस्टिस से मिलेंगे और केन्द्र की ‘स्पष्ट दखलंदाजी’ के खिलाफ शिकायत करेंगे। उन्होंने कहा कि जस्टिस जोसेफ पहले ऐसे जज थे, जिनके नाम का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने किया था और उनका नाम नियुक्ति अधिसूचना में पहले स्थान पर होना चाहिए था। यद्यपि अधिसूचना में उनका नाम तीसरे स्थान पर रखा गया जिससे वे अन्य दो जजों से कनिष्ठ बन गए। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठता मायने रखती है। 

सरकार द्वारा जस्टिस के.एम. जोसेफ का नाम खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट कालेजियम ने 21 जुलाई को एक बार फिर उनके नाम का प्रस्ताव किया जिस कारण केन्द्र को अधिसूचना जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा। केन्द्र सरकार द्वारा लम्बे समय तक निर्णय न लेने और अंतत: जोसेफ की उम्मीदवारी खारिज करने को व्यापक तौर पर ‘बदले की कार्रवाई’ के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि उन्होंने अप्रैल 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को रद्द करके कांग्रेस को इस पहाड़ी राज्य में सत्ता में वापसी करने की इजाजत दी। मगर विधि मंत्रालय ने इस आरोप को सिरे से खारिज किया है। 

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चीफ जस्टिस को लिखे एक पत्र में कहा है कि जस्टिस जोसेफ का नाम ‘सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठता तथा योग्यता के मानदंडों के उल्लंघन’ के कारण क्लीयर नहीं किया गया था। इसने अन्य राज्यों से शीर्ष अदालत में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का हवाला दिया और कहा कि इसमें केरल से पहले से ही एक जज है। सबसे बुरी बात यह कि उनके नाम के प्रस्ताव को 3 महीने तक दबाए रखने के बाद खारिज किया गया जिस कारण कालेजियम के 4 वरिष्ठतम जजों को इसकी आलोचना करनी पड़ी जिन्होंने चीफ जस्टिस को इस पर कार्रवाई करने के लिए लिखा, नहीं तो इसे न्यायपालिका के कार्यपालिका के दबाव के आगे झुकने के संकेत के तौर पर देखा जाता। 

कालेजियम के 4 अन्य वरिष्ठ जज चेलामेश्वर (अब सेवानिवृत्त), रंजन गोगोई, कुरियन जोसेफ तथा मदन बी. लोकुर जस्टिस मिश्रा को हमेशा जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति के मामले में सरकार के दबाव के बारे में चेताते रहे थे। वे इस मामले में चीफ जस्टिस को सरकार को आड़े हाथ लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे।-एच.वी. नायर


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