भारत ‘विश्वगुरु’ और ‘विश्व मित्र’ के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित

punjabkesari.in Thursday, Sep 14, 2023 - 04:26 AM (IST)

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 20 वर्षों में एक बार मिलने वाली जी-20 की इंडिया यानी भारत की अध्यक्षता ऐतिहासिक मानी जाएगी। इस अध्यक्षता ने एक ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जिसकी अनदेखी करना घरेलू और विदेशी आलोचकों के लिए भी कठिन होगा। भारत की भौतिक, सांस्कृतिक, सभ्यतागत भव्यता और इसकी आर्थिक, वैज्ञानिक व तकनीकी प्रगति एवं गतिशीलता पूरी तरह से परिलक्षित हुई। 

भारत की कूटनीतिक व सर्वसम्मति निर्माण कौशल और सबसे अधिक आबादी वाले एवं युवाओं की संख्या के मामले में सबसे समृद्ध तथा सबसे पुराने, सबसे बड़े एवं सबसे अधिक विविधतापूर्ण लोकतांत्रिक देश की हैसियत ने इस ‘जनता के जी-20’ में इसकी अध्यक्षता को एक विशेष गरिमा प्रदान की। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की असाधारण प्रतिबद्धता ने भारत को ‘विश्वगुरु’ और ‘विश्व मित्र’ के रूप में वैश्विक मंच पर स्थापित कर दिया। भारत की यह छवि उच्चतम स्तर की भागीदारी और एक सार्थक दिल्ली घोषणा में दिखाई दी। 

यह छवि परिधि से निकलकर वैश्विक आर्थिक निर्णय-प्रक्रिया के केन्द्र में पहुंचने की भारत की यात्रा का प्रतिनिधित्व करती है। भारत ने यह संकेत दिया कि वह उत्तर-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने और संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसकी सामाजिक न्याय की विशाल परियोजना एंग्लोबल साऊथ के देशों में प्रतिकृति और विस्तार की दृष्टि से मानक बनती हैं। तीव्र आर्थिक विकास, सतत विकास, जलवायु कार्रवाई और सभी के लिए मानवीय प्रतिक्रिया से लैस वैश्विक सार्वजनिक कल्याण सुनिश्चित करने के विकसित एवं विकासशील देशों के इस सबसे शक्तिशाली समूह को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारियों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का समावेशी एवं मानव-केन्द्रित दृष्टिकोण जी-20 की भारत की सफल अध्यक्षता की पहचान बन गया। 

18वें जी-20 शिखर सम्मेलन में दक्षिणी दुनिया के देशों से किए गए प्रधानमंत्री मोदी के वादे ‘आपकी आवाज भारत की आवाज है, आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं’ को प्रभावशाली और ठोस तरीके से निभाया गया है। भारत ने 54 देशों वाले अफ्रीकी संघ-दूसरे सबसे बड़े संसाधन संपन्न महाद्वीप, जहां 1.466 बिलियन लोग सतत विकास लक्ष्यों (एस.डी.जी.) को पाने के लिए जूझ रहे हैं को जी-20 में शामिल करके वैश्विक शासन की समावेशिता एवं लोकतंत्रीकरण की राह में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। 

जी-20 की अध्यक्षता के लिए भारत की सभी 7 विषयगत प्राथमिकताओं का जहां तक प्रश्न है, इसने वास्तव में ग्लोबल साऊथ के देशों के लिए ‘समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्योन्मुख और निर्णायक’ परिणाम दिए हैं। इन परिणामों में एसडीजी को हासिल करने की दिशा में हुई प्रगति में तेजी लाना तथा जी-20 कार्य योजना एवं उच्चस्तरीय सिद्धांतों को लागू करना; वित्तपोषण के मामले में व्याप्त अंतर को पाटने तथा यू.एन.एस.जी. के एस.डी.जी. संबंधी प्रोत्साहन का समर्थन करने हेतु सभी स्रोतों से किफायती, पर्याप्त एवं सुलभ वित्तपोषण जुटाना; जी-20 रोडमैप के अनुरूप स्थायी वित्त को बढ़ाना; खाद्य सुरक्षा एवं पोषण से संबंधित दक्षिण उच्चस्तरीय सिद्धांतों के अनुरूप वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बढ़ाना, खाद्यान्नों एवं उर्वरकों की कीमतों में व्याप्त अस्थिरता से निपटना और आई.एफ.ए.डी. संसाधनों को बढ़ाना शामिल है।सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि पैरिस प्रतिबद्धताओं को लागू करने के मजबूत संकल्प के साथ ठोस हरित विकास समझौता थी। प्रधानमंत्री मोदी के लाइफमिशन को सतत विकास के लिए जीवनशैली से संबंधित जी-20 के उच्चस्तरीय सिद्धांतों में रूपांतरित कर दिया गया। 

इसने हरित जलवायु कोष (ग्रीन क्लाइमेट फंड) की महत्वाकांक्षी दूसरी पुन:पूर्ति और निजी वित्त और जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों के विकास, सांझाकरण, तैनाती और वित्तपोषण और बहुवर्षीय तकनीकी सहायता योजना (टी.ए.ए.पी.) कार्यान्वयन पर मजबूत प्रतिबद्धता का आह्वान किया। इसने अपने एन.डी.सी. को लागू करने के लिए 2030 से पहले ग्लोबल साऊथ के देशों के लिए 5.9 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की जरूरत और अकेले स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए चार ट्रिलियन अमरीकी डॉलर की जरूरत को रेखांकित किया।कम आय वाले देशों में डी.पी.आई. के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और वित्त पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के वन फ्यूचर एलायंस (ओ.एफ.ए.) के भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया गया। क्रिप्टो परिसंपत्तियों के लिए एक सांझा एफ.एस.बी. एवं एस.एस.बी. कार्ययोजना तथा एक व्यापक एवं समन्वित नीतियों एवं नियामक ढांचे के लिए एक रोडमैप निर्धारित किया गया।-लक्ष्मी पुरी
 


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