भविष्य में चांद के डगमगाने से आएगा दुनिया पर बड़ा खतरा

punjabkesari.in Thursday, Jul 22, 2021 - 06:08 AM (IST)

इन दिनों कुदरत के कहर ने पूरी दुनिया को हिला कर रखा हुआ है, कहीं भीषण बाढ़ है, तो कहीं भीषण गर्मी। जर्मनी जैसे विकसित मुल्क भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं, वहां के मौसम वैज्ञानिक कह रहे हैं कि 1000 साल के इतिहास में यह सबसे विनाशकारी बाढ़ है। दूसरी तरफ अमरीका के 12 राज्य जंगलों में लगी आग से परेशान हैं, महाशक्ति पूरी शक्ति लगाने के बाद भी आग नहीं बुझा पा रही है। 

इसी बीच अमरीकन स्पेस एजैंसी नासा ने एक और ङ्क्षचता बढ़ाने वाली खबर दुनिया को दी है। नासा की एक रिसर्च में, जिसमें उसने सूरज, चांद, पृथ्वी और दूसरे ग्रहों के मूवमैंट की स्टडी की है, एक नई जानकारी सामने आई है, जो बेहद डराने वाली है। नासा ने दावा किया है कि सौरमंडल में ऐसा बदलाव होने वाला है, जिससे पूरी दुनिया में तबाही आ सकती है और तबाही भी ऐसी कि पृथ्वी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगेगा। इस तबाही में पूरी दुनिया समुद्र के पानी में डूब सकती है और यह खतरा सौ दो सौ साल बाद नहीं बल्कि 9 साल बाद ही आने वाला है। 

सौरमंडल का हर ग्रह एक तय स्पीड में अपने-अपने आॢबट में चक्कर लगाता है, लेकिन यदि उनमें से कोई अपनी स्पीड बदल दे, कोई ग्रह या उपग्रह अपने तय स्थान से भटक कर किसी दूसरे स्थान पर चला जाए, तो क्या होगा? नासा ने ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब ढूंढे हैं। नासा की एक स्टडी के मुताबिक 2030 में हाई टाइड से आने वाली बाढ़ बेहद विनाशकारी होगी, इसकी वजह चांद का अपनी कक्षा से डगमगाना होगा। 

धरती से करीब 3 लाख 50 हजार किलोमीटर दूर स्थित चांद, आज से 9 साल बाद दुनिया के तटीय इलाकों में भयंकर तबाही मचाने वाला है, यह चेतावनी नासा द्वारा दी गई है। नासा के मुताबिक 2030 तक ग्लोबल वाॄमग की वजह से समुद्री जल स्तर काफी बढ़ जाएगा और बढ़ते जलस्तर में चांद जब अपनी जगह बदलेगा तो हाई टाइड काफी बढ़ जाएंगे, जिससे विनाशकारी बाढ़ आएगी। नासा की यह स्टडी क्लाइमेट चेंज पर आधारित जर्नल नेचर में 21 जून को प्रकाशित की गई है। 

यदि नासा की यह भविष्यवाणी सच साबित हुई तो हर तटीय इलाके में आने वाली बाढ़ साल में एक या दो बार नहीं बल्कि हर महीने आएगी और वह भी पहले से कहीं ज्यादा विनाशकारी क्योंकि जब भी चांद के आॢबट में हल्का फुल्का बदलाव आएगा तो यह बाढ़  ज्यादा नुक्सानदायक हो जाएगी। चांद पर हलचल के चलते धरती पर आने वाली बाढ़ को उपद्रवी बाढ़ कहा गया है, इस तरह की बाढ़ तटीय इलाकों में आती है, जब समुद्र की लहरें रोजाना की औसत ऊंचाई के मुकाबले 2 फीट ऊंची उठती हैं। समुद्र में उठने वाली लहरों से घर और सड़क पानी में डूब जाते हैं और दैनिक दिनचर्या प्रभावित होती है, लेकिन ग्लोबल वाॄमग और चांद की जगह में बदलाव इन लहरों को और ऊंचा उठा सकता है। 

चांद हर 18.6 साल में अपनी जगह पर हल्का-सा बदलाव करता है, इस पूरे समय में आधे वक्त चांद धरती की लहरों को दबाता है, लेकिन आधे वक्त में चांद लहरों को तेज कर देता है, उनकी ऊंचाई बढ़ा देता है, जो कि खतरनाक है। भले ही चांद पृथ्वी का उपग्रह है, लेकिन चांद की हर मूवमैंट का असर पृथ्वी पर पड़ता है। चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी पर खासा असर डालती है, इसकी वजह से पृथ्वी की अपनी ही धुरी पर घूमने की गति पर असर होता है, वहीं पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण चांद की कक्षा पर भी असर पड़ता है, लेकिन 9 साल बाद यानी 2030 में चांद के अपनी जगह से खिसकने से पृथ्वी पर और भी ज्यादा असर होगा, हाई टाइड के समय आने वाली लहरों की ऊंचाई करीब 3 से 4 गुना ज्यादा हो जाएगी। 

नासा ने चेतावनी दी है कि न्यूसैंस लड साल 2030 तक बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगे, ये साल में एक या दो बार नहीं बल्कि हर महीने आएंगे, क्योंकि जब भी चांद की आॢबट में हल्का-फुल्का बदलाव आएगा तो बाढ़ ज्यादा नुक्सानदेह हो जाएगी। तटीय इलाकों में बाढ़ हर महीने दो या तीन बार आएगी। नासा की स्टडी में कहा गया है कि जैसे-जैसे चांद की स्थिति बदलती जाएगी, वैसे-वैसे तटीय इलाकों पर आने वाले न्यूसैंस लड वहां रहने वालों के लिए खतरनाक साबित होंगे।-रंजना मिश्रा
 


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