आतंकवाद के ऐसे व्यापक तंत्र से कैसे निपटें

punjabkesari.in Tuesday, Nov 25, 2025 - 05:11 AM (IST)

दिल्ली लाल किला आतंकवादी कार विस्फोट की छानबीन से आ रही जानकारियों ने पूरे देश में भय और सनसनाहट पैदा की हुई है। अभी तक की जानकारियां बता रही हैं कि अगर आतंकवाद का यह मॉड्यूल सफल हो गया होता तो देश में जगह-जगह अनगिनत विस्फोट होते और उसमें होने वाली मानवीय एवं संपत्तियों की क्षति का तो आकलन भी नहीं किया जा सकता। सच कहें तो आतंकवाद के दौर की शुरुआत से अब तक पूरे देश में विध्वंस पैदा करने का यह सबसे बड़ा तंत्र सामने आया है। बताया गया है कि विस्फोट के लिए 32 कारों की व्यवस्था थी जिनमें से कई बरामद हो चुकी हैं। इन कारों के अलावा अलग-अलग तरीकों से भी विस्फोटों की तैयारी थी। उनकी तैयारियों का एक उदाहरण देखिए। कार विस्फोट में आत्मघाती बने उमर उन नबी के जम्मू-कश्मीर अनंतनाग के काजीगुंडा के गिरफ्तार साथी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश से पता चला है कि हमास द्वारा 7 अक्तूबर, 2023 को इसराईल पर किए गए ड्रोन और रॉकेट से हमले की पुनरावृत्ति करने की भी तैयारी थी। उसे छोटे ड्रोन हथियार बनाने और उन्हें मॉडिफाई करने का तकनीकी अनुभव है। 

उसने डा. उमर को तकनीकी मदद दी और वह भीड़-भाड़  वाले इलाके में ड्रोन से बम गिराने की योजना को साकार करने के लिए ड्रोन और रॉकेट बनाने की कोशिश कर रहा था। विस्फोट में इस्तेमाल कार खरीदने के लिए दिल्ली आया राशिद अली भी जम्मू-कश्मीर का रहने वाला है। वास्तव में अब तक की छानबीन हमें कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने को भी विवश करती है। अभी तक इस भयानक आतंकवादी मॉड्यूल में 6 ऐसे सम्मिलित डाक्टर गिरफ्तार किए गए हैं जिनका दिमाग चिकित्सा में अच्छा करने की जगह मजहब के नाम पर हमला,  हत्या और विध्वंस पैदा करने की दिशा में ही लगा था। इन्होंने अचानक कार विस्फोट नहीं किया बल्कि पहले से कोशिश चल रही थी। 6 दिसंबर को अयोध्या से लेकर अनेक स्थलों पर विस्फोट करने और उसके बाद इसकी श्रृंखला कायम रखने की तैयारी थी।

अल-फलाह यूनिवॢसटी से गिरफ्तार डा. मुजम्मिल गनई के मोबाइल फोन से प्राप्त डंप डाटा से पता चला है कि उसने और उमर ने इस वर्ष जनवरी में लाल किला क्षेत्र की भी कई बार रेकी की थी। यह रेकी गणतंत्र दिवस पर इसको निशाना बनाने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी। उस समय क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के कारण ये ऐसा नहीं कर सके। उच्च शिक्षित होने के कारण ये किस तरह हर प्रकार की तकनीक को समझ कर उसका उपयोग कर पाते थे इसका प्रमाण भी देखिए। 

उमर उन नबी, डा. मुजम्मिल गनई और डा. शहीन शाहिद ने स्विट्जरलैंड के ‘थ्रीमा’ नाम के एन्क्रिप्टेड ऐप से बातचीत की थी। इसी ऐप के जरिए वे धमाके की योजना, नक्शे सहित आवश्यक दस्तावेज व  जानकारियां सांझा कर रहे थे। थ्रीमा ऐप फोन नंबर या ईमेल के बिना काम करता है और हर यूजर को एक यूनीक आई.डी. देता है, जिससे उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है। हम और आप में से कितने लोगों ने थ्रीमा ऐप का नाम सुना है या उपयोग किया है? पता नहीं अभी इसमें और क्या-क्या जानकारियां सामने आएंगी। डाक्टर बनने वाला कोई व्यक्ति छात्र के रूप में थोड़ा मेधावी तो होगा ही। 

इमरान मसूद जैसे नेता इनको भटका हुआ बता दें या हुसैन दलवई जैसे मुस्लिम नेता कहें कि चुनाव के पहले ही विस्फोट क्यों होता है, यह कहा जाए कि आप इसको इस्लामी आतंकवाद न कहिए तो क्या उत्तर दिया जा सकता है? पुलिस की छानबीन में उनके पहले किसी अपराधी से संपर्क  आदि की भी जानकारी नहीं है। एक डाक्टर को समाज में इज्जत मिलती है और उसकी गतिविधियों पर सहसा संदेह नहीं किया जा सकता। आखिर कानपुर में किसने सोचा होगा कि डाक्टर शाहीन शाहिद जैश-ए-मोहम्मद की इतनी बड़ी आतंकवादी होगी और उसके पास ए.के.-47 जैसा हथियार होगा? सामने आया है कि धमाके के लिए 20 से 25 लख रुपए इक_ा करने में उसकी प्रमुख भूमिका थी। इसमें हरियाणा और पंजाब से लेकर दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश तक आसानी से लोग आतंकवादी बन जाते हैं तो इसका कारण समझने के लिए अंतरिक्ष विज्ञानी होना आवश्यक नहीं है।

बगैर स्थानीय और परिवार के लोगों के सहयोग के इतना बड़ा तंत्र खड़ा हो ही नहीं सकता। फरीदाबाद के धौज मस्जिद के इमाम इश्तियाक और सिरोही मस्जिद के इमाम इमामुद्दीन अगर आतंकवाद इस्लाम का काम या जिहाद मानकर उनकी मदद कर रहे थे तो क्यों? इन्होंने मिलकर पूरी अल-फलाह यूनिवॢसटी को ही आतंकवाद के बड़े केंद्र में बदल दिया था। पठानकोट से गिरफ्तार डाक्टर रईस अहमद भी पहले अल-फलाह यूनिवॢसटी में काम करता था। अभी एक मॉड्यूल हमारे सामने आया है। निश्चित मानिए ऐसे कई मॉड्यूल देश की अलग-अलग जगहों में सक्रिय होकर साजिशों को अंजाम देने में संलिप्त होंगे। किसी तरह वे कुछ करने में सफल हुए या साजिश को अंजाम देने के पहले पकड़े गए तब भी सामूहिक प्रतिक्रिया ऐसी ही होगी।-अवधेश कुमार


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