चीन को धराशायी करेगा 14 देशों का महागठबंधन

punjabkesari.in Saturday, Jun 10, 2023 - 06:00 AM (IST)

अभी तक चीन दुनिया की फैक्टरी हुआ करता था, इसी विनिर्माण के दम पर चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन बैठा, लेकिन आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ ही चीन दुनिया में सबसे बड़ी सैन्य शक्ति भी बनना चाहता था और अपने इस मंसूबे को पूरा करने के लिए चीन ने अपनी थल, जल और वायु सेना शक्ति बढ़ाने में दिन-रात एक कर दिया। अब यही आर्थिक और सैन्य शक्ति बन चुका चीन न सिर्फ अपने पड़ोसी देशों बल्कि पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन  चुका है, इसके इलाज के लिए अमरीका सहित पूरी पश्चिमी दुनिया अब एक मंच पर आ गई है जिससे कि चीन के आर्थिक शक्ति बनने के घमंड को तोड़ा जाए। 

चीन पूरी दुनिया के लिए फैक्टरी बनने के साथ-साथ विनिर्माण का केंद्र बन गया और ऐसे में चीन अपने मन मुताबिक कभी भी दुनिया भर की सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है, जिस तरह का चीन का रुख अभी दुनिया देख रही है उससे चीन की मंशा साफ जाहिर है। ऐसे में हाल ही में जापान की राजधानी टोक्यो में जी-7 देशों की बैठक हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को भी आमंत्रित किया गया था। 

इस बैठक में दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र के 14 देशों ने भी हिस्सा लिया। ये सभी देश चीन के पड़ोसी हैं। ये सभी देश चीन के खिलाफ एक बड़ी डील करना चाहते हैं जिससे ये चीन की आक्रामकता से बच सकें। इससे कुछ समय पहले ही अमरीका के मिशिगन शहर में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क देशों की बैठक हुई जिसमें दुनिया की चीन पर निर्भरता को कम करने के बारे में बातचीत हुई। इस बैठक में आपूर्ति शृंखला को मजबूत बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति के लिए योजना बनाई गई, जिसमें सप्लाई  चेन कौंसिल और क्राइसिस रिस्पांस नैटवर्क तैयार करेंगे जिससे कच्चे माल की कमी को तुरंत प्रभाव से पूरा किया जा सके क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान चीन में लगे सख्त लाकडाऊन के कारण कच्चे माल की कमी के कारण पूरी दुनिया की आपूर्ति शृंखला बाधित हुई थी। 

आई.पी.ई.एफ. देश आपस में  तैयार नैटवर्क के तहत कच्चे माल के साथ-साथ पेशेवर श्रमिकों की सप्लाई के साथ निवेश जुटाने में भी एक-दूसरे का साथ देंगे। जापान में हुई जी-7 देशों की बैठक में जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और बाईडेन की बैठक प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई। जिसमें आई.पी.ई.एफ. देशों ने अपना एजैंडा तय कर दिया। 

इन 14 इंडो पैसिफिक देशों में जापान, द. कोरिया, थाइलैंड, वियतनाम,भारत, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई, सिंगापुर, इंडोनेशिया, फिजी, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। ये सारे देश चीन के पड़ोसी देश हैं और अब ये सब मिलकर चीन को घेरने की योजना बना रहे हैं। जिससे चीन की आर्थिक कमर टूट जाए, जी-7 बैठक से चीन खासा परेशान है क्योंकि अब उसे लगने लगा है कि उसकी आक्रामकता वाले दिन अब लद गए हैं, यानी आने वाले दिनों में चीन सिर्फ एक सैन्य शक्ति बनकर रह जाएगा जिसे बनाए रखना चीन की अर्थव्यवस्था के लिए लगभग असंभव होगा। ऐसा इसलिए भी होगा क्योंकि भारत और अमरीका इस क्षेत्र में अमरीका की मौजूदगी बढ़ाएंगे। 


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