भारत पाक के विरुद्ध जो कर सकता है कर रहा है और करेगा
punjabkesari.in Monday, May 05, 2025 - 05:36 AM (IST)

इस समय विपक्ष का बयान है कि वह जम्मू-कश्मीर और पहलगाम मामले पर सरकार के साथ है। इससे पहली दृष्टि में आतंकवाद के विरुद्ध देश की एकता का संदेश जाता है। दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे यह कह रहे हैं कि सरकार की दिशा स्पष्ट नहीं है। यह दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यंत चिंताजनक है कि ऐसे समय जब राजनीतिक दलों में एकता दिखनी चाहिए, आरोप- प्रत्यारोप और छींटाकशी का तीखा दौर चल रहा है। आतंकवादी हमले के मामले में स्वयं कांग्रेस का रिकॉर्ड इतना बुरा है कि अगर उस दृष्टि से देखें तो फिर उसके द्वारा प्रश्न उठाने या नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने का नैतिक आधार नहीं होना चाहिए। हालांकि विपक्ष के द्वारा सरकार पर दबाव बढ़ाना या कमियों को सामने लाना स्वाभाविक स्थिति होती है।
हमारा दृश्य इससे अलग है। दबाव डालने और प्रश्न उठाने के पीछे स्पष्ट इरादा दुश्मन के विरुद्ध निर्णायक प्रतिकार का होना चाहिए। ध्यान से देखेंगे तो कांग्रेस सहित अनेक पार्टियां सरकार पर तो प्रश्न उठा रही हैं यह भी कह रही हैं कि कार्रवाई के मामले में सरकार के साथ हैं, पर आपको इनमें पाकिस्तान का नाम नहीं मिलेगा। दूसरे, इस समय धीरे-धीरे जिस तरह स्वयं जम्मू-कश्मीर के अंदर आतंकवादियों और पाकिस्तान के समर्थकों, जिन्हें ओवरग्राऊंड वर्कर कहा जा रहा है, की असलियत सामने आ रही है उन पर भी विपक्षी दल मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं। कोई भी आतंकवादी हमला बगैर स्थानीय समर्थन के संभव ही नहीं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर स्वयं यह वक्तव्य दे चुके हैं कि अब दुश्मन को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है तो उन्होंने केवल आम लोगों को खुश करने के लिए नहीं बोला होगा। सारे प्रमुख मंत्रिमंडलीय समितियां, सुरक्षा, राजनीतिक और आॢथक मामलों को लेकर बैठकें हो चुकी हैं।
विदेश मंत्री लगातार विदेशी नेताओं से बात कर रहे हैं और नई दिल्ली स्थित प्रमुख दूतावास के लोगों से संवाद हो रहा है। सैन्य प्रमुखों से मुलाकात के बाद यही बयान आया कि सरकार ने सेना को पूरी स्वतंत्रता दी है कि वह अपने अनुसार सूचनाओं के आधार पर जैसे चाहें कार्रवाई करें उसे सरकार का हर तरह का समर्थन प्राप्त होगा। ऐसी स्थिति में हमें अपने देश पर विश्वास करना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि एन.आई.ए. की जांच धीमी हुई हो। एन.आई.ए. की जांच के लिए बनाई गई 5-5 अफसरों की पांचों टीमें अलग-अलग पहलुओं पर काम कर रही हैं। जितनी जानकारी है एन.आई.ए.ने ओवरग्राऊंड वर्करों की पहचान कर उसकी एक सूची भी बनाई है। आतंकवादियों को हर हाल में जिंदा पकडऩे की कोशिश चल रही है। अभी तक ऐसा माना जा रहा है कि आतंकवादी 25 से 30 किलोमीटर के दायरे में ही हैं। उनको जिंदा पकडऩा इसलिए आवश्यक है ताकि पूरे षड्यंत्र का पता चल जाए। जितनी जानकारी है उसकी इनके माध्यम से पुष्टि भी हो जाए। अगर मिल गए तो हाल के समय में आम लोगों पर जितने हमले हुए उनमें से अनेक के षडयंत्रों का पता चलेगा?
पाकिस्तान में इनके ट्रेनिंग कैंपों और ट्रेनिंग मॉड्यूल का विवरण मिलेगा। सुरक्षा एजैंसियों का मानना है कि जब से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद आरंभ हुआ है तब से ऐसा पहला मामला है जब एक ही आतंकवादी दस्ता प्रदेश के विभिन्न भागों में लगातार सुरक्षा बलों और लोगों पर हमले भी कर रहा है और बचकर निकल रहा है। आतंकवादियों ने पहलगाम के आसपास किसी विशेष जगह पर हथियार छुपाए थे। अभी तक की जानकारी के अनुसार इन्होंने अपने भागने के सभी रास्ते भी पहले से तय कर रखे थे। आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में छानबीन कर सटीक जानकारी तक पहुंचने की सबसे बड़ी भूमिका होती है क्योंकि इसके बाद आपके लिए कार्रवाई के लक्ष्य तय करने आसान होते हैं। इसलिए एन.आई.ए. की जांच को आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का अभिन्न अंग न मानने की भूल नहीं होनी चाहिए।देश के लिए संतोष का विषय होना चाहिए कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, स्थानीय पुलिस, एन.आई.ए. आदि के बीच संपूर्ण समन्वय के साथ कार्रवाई आगे बढ़ रही है।
देश में आक्रोश है और सामूहिक मानस यह है कि कार्रवाई ऐसी हो ताकि दोबारा कोई हम में से किसी एक को लहूलुहान करने की हिमाकत न करे। हम अगर 100-200 आतंकवादियों को मार गिराएं , किसी आतंकवादी ढांचे को खत्म कर दें उससे इसका समाधान नहीं हो सकता। वह भी आवश्यक है किंतु जब तक पाकिस्तान को सीधी क्षति नहीं होगी ऐसे हमले पूरी तरह रुक ही नहीं सकते। पाकिस्तान को क्षति का मतलब मुख्य प्रायोजक सेना और वहां के राजनीतिक, मजहबी प्रतिष्ठान को क्षति नहीं होगी इस तरह का आतंकवाद रुक नहीं सकता। सेना की विचारधारा इस्लाम मजहब की ऐसी व्याख्या पर आधारित है जिसमें उनके लिए पाकिस्तान देश का लक्ष्य ही जम्मू-कश्मीर को इस्लामी राज्य में परिणत कर अपने साथ मिलाना है। हम आतंकवादी को मारेंगे, फिर आगे दूसरे हमले के लिए दूसरा समूह तैयार होकर आएगा और अपने अनुसार फिर हमला कर सकता है। इसमें दुनिया में कौन हमें क्या सुझाव देता है यह मायने नहीं रखता। हमें अपनी सुरक्षा करनी है और इसके लिए कोई ताकत हमको नहीं रोक सकती।
चीन और तुर्की को छोड़ अन्य देशों से भी अपने संबंधों का लाभ उठाते हुए भारत पाकिस्तान की हर स्तर पर घेरेबंदी की कोशिश कर रहा है। सबसे अंतिम कदम के रूप में भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय या तीसरे देश से भी संभावित व्यापार पर कानून में संशोधन कर पूरी तरह रोक लगा दी है।अभी तक सरकार की दिशा में भटकाव नहीं है, संकल्पबद्धता और दृढ़ता दिख रही है। यह आपसी राजनीतिक मतभेद या वोट की संकुचित ङ्क्षचता से बाहर निकल एकजुट होकर बहुस्तरीय कार्रवाई के साथ खड़ा होने का समय है।-अवधेश कुमार