पहलगाम हमले से देश सन्न

punjabkesari.in Saturday, Apr 26, 2025 - 04:10 AM (IST)

नि:संदेह, पहलगाम के बैसरान घाटी हमले पर पूरा देश क्षुब्ध है। चुन-चुनकर 26 निहत्थे हिन्दू पर्यटकों की हत्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के अंदर जम्मू-कश्मीर के स्पष्ट दिख रहे परिवर्तित हालात की दृष्टि से असामान्य और सन्न करने वाली घटना है। अनंतनाग में सन 2000 के बाद पहलगाम क्षेत्र का यह सबसे बड़ा हमला है जिसमें 36 लोग मारे गए थे।

चूंकि जम्मू-कश्मीर की स्थिति पिछले 5-6 वर्षों में काफी हद तक सामान्य हो गई है इसलिए भारी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ निर्भय होकर चारों ओर घूमते हैं। स्थानीय लोगों की दुकानें और अन्य कारोबार चल निकले हैं। यह घटना भी एक सामान्य चाय-नाश्ते की दुकान पर हुई। इस तरह की दुकानें कश्मीर घाटी से गायब हो गई थीं। आतंकवादियों के लिए ऐसी जगह अंधाधुंध गोलीबारी कठिन नहीं है। घटना का विवरण और इसकी पृष्ठभूमि हमें कई बातों पर विचार करने के लिए बाध्य करती है। आखिर यह कौन-सी सोच है जिसमें आतंकवादियों ने मजहब प्रमाणित करके लोगों को मारा?

प्रधानमंत्री मोदी ने घटना को इतनी गंभीरता से लिया कि सऊदी अरब की यात्रा बीच में रोक वापस लौटे, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बैठक की तथा गृहमंत्री अमित शाह सीधे कश्मीर पहुंचे। इसके साथ गृह मंत्री शाह का घटनास्थल तक जाना आतंकवाद के विरुद्ध ही नहीं जम्मू-कश्मीर को हर दृष्टि से सामान्य, शांत और समृद्ध बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है। ऐसी भूमिका से लोगों को सुरक्षा का आश्वासन मिलता है तथा आतंकवादियों एवं उनको प्रायोजित करने वाली शक्तियों को सख्त संदेश।

चूंकि यह घटना अमरनाथ यात्री निवास नुनवान बेस कैंप से महज 15 कि.मी. दूर हुई और 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है तो यह मानने में भी समस्या नहीं है कि पर्यटकों के साथ तीर्थयात्रियों के अंदर भय पैदा करने के लिए हमला हुआ। इसके साथ अमरीकी उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस की यात्रा तथा प्रधानमंत्री की सऊदी अरब जैसे प्रमुख मुस्लिम देश के दौरे से भी इसका संबंध जोड़ा जा सकता है। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टैंस फ्रंट’ (टी.आर.एफ.) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इसके बारे में जानकारी यही है कि जब पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित करने और नियंत्रित करने का दबाव बढ़ा तो लश्कर-ए-तैयबा और अन्य संगठनों ने टी.आर.एफ. नाम कर लिया। इसका प्रमुख शेख सज्जाद गुल पाकिस्तान में है। 

प्रधानमंत्री अगर सऊदी अरब से लौटते समय पाकिस्तानी वायु मार्ग का इस्तेमाल नहीं करते तथा साढ़े 5 घंटे समय लगाकर भारत आते हैं तो इसके निहितार्थ भी स्पष्ट हैं। सरकार के स्तर पर पाकिस्तान की भूमिका की सटीक सूचना नहीं होती तो ऐसा नहीं होता। जो जानकारी है उसके अनुसार आतंकवादी पाकिस्तान से निर्देश ले रहे थे। साफ दिखाई दे रहा था कि आंतरिक संकटों से ग्रस्त पाकिस्तान और अपनी छवि सुधारने के लिए संघर्षरत सेना-आई.एस.आई. के पास एकमात्र रास्ता जम्मू-कश्मीर ही बचता है। वस्तुत:जनरल मुनीर ने नए सिरे से इस्लामी जेहाद की बात की। उन्होंने कहा कि ङ्क्षहदू और मुसलमान साथ नहीं रह सकते क्योंकि हम दो अलग कौम हैं। हमने पाकिस्तान के निर्माण के लिए लंबा संघर्ष किया है इसे मत भूलना। हालांकि सच यह है कि मुस्लिम लीग को पाकिस्तान निर्माण के लिए कोई आंदोलन नहीं करना पड़ा। इसमें उन्होंने जम्मू-कश्मीर की भी चर्चा की। यह संकेत था कि पाकिस्तानी सेना ने जम्मू कश्मीर में ङ्क्षहसा करने की कुछ दीर्घकालीन नीतियां बनाई हैं। पाकिस्तान की आम जनता के विद्रोह से बचने के लिए यही एकमात्र रास्ता उनके पास बचा था।

जम्मू-कश्मीर में इस्लाम के नाम पर भड़काना और पहले से व्याप्त आतंकवादियों के इंफ्रास्ट्रक्चर को केवल सक्रिय करना है। जनरल मुनीर ने यही किया है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कुछ दिनों पहले रिकॉर्ड किया गया एक वीडियो भी शेयर हो रहा है, जिसमें एक आतंकवादी जनसभा में खुलेआम भारत को लहू-लुहान करने की धमकी दे रहा है। इनकी सोच और रणनीति देखिए। घायल पुणे की आसाबरी जगदाले बता रही हैं कि जब आतंकवादी आए तो उनका परिवार डर से टैंट के अंदर छिपा था। उन्होंने युवती के 54 वर्षीय पिता संतोष जगदाले से कहा कि वे बाहर आकर एक कलमा पढ़ें और जब वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उन्हें 3 बार गोलियां मारीं। उनके चाचा को भी गोली मारी। एक महिला बता रही है कि मैं और मेरे पति भेल पूरी खा रहे थे तभी आतंकी आए और बोले कि ये मुस्लिम नहीं लग रहे, इन्हें मार दो और मेरे पति को गोली मार दी। वे मुस्लिम हैं या हिंदू यह जानने के लिए लोगों को नंगा किया गया। 

हालांकि आतंकवादी संगठन, अलगाववादी तथा पाकिस्तान भूल रहा है कि भारत, जम्मू-कश्मीर और वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय स्थितियां भी बदली हुई हैं। जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बदली स्थिति का लाभ मिला है। वे खुलकर हवा में सांस लेने लगे हैं, बच्चे पढऩे लगे हैं, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं और सबसे बढ़कर विकास उनके घर तक पहुंच रहा है। पहले की तरह वहां आतंकवादियों से मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्रदर्शन, पत्थरबाजी और नारा नहीं लगता। यह तो नहीं कह सकते कि आतंकवादियों का स्थानीय समर्थन बिल्कुल खत्म हो गया है क्योंकि ऐसा होने के बाद उनका वहां रहना मुश्किल हो जाता। सारे अनुभव, लोगों की प्रतिक्रियाएं एवं खुफिया जानकारियां बताती हैं कि स्थिति पहले की तरह तो नहीं हैं। पुराने मंदिर एवं अन्य गैर-मुस्लिम धर्मस्थल धीरे-धीरे खुले हैं। कभी पाकिस्तान को अमरीका या कुछ यूरोपीय देशों की अंतर्राष्ट्रीय नीति के कारण शह मिल जाती थी किंतु अब वह अकेला है। अफगानिस्तान तक उसके विरुद्ध खड़ा है तथा अंदर बलूचिस्तान, सिंध, वजीरिस्तान आदि में विद्रोह का झंडा बुलंद है। 

ज्यादातर प्रमुख मुस्लिम देश भी पाकिस्तान का साथ देने को तैयार नहीं। भारत की स्थिति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पिछले 10 वर्षों में काफी बदली है और 2 बार सीमा पार कार्रवाई करके प्रदर्शित भी किया गया है कि हम प्रायोजित आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब देने वाले देश बन चुके हैं। आतंकवादियों ने पुरुषों को मारकर महिलाओं को छोड़ते हुए कहा कि जाओ मोदी को बता दो क्योंकि वह हमारे मजहब का दुश्मन है।-अवधेश कुमार
 


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