अच्छे, खराब तथा संदेह पैदा करने वाले आंकड़े

punjabkesari.in Sunday, May 15, 2022 - 04:19 AM (IST)

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 का आयोजन 2019-21 के दौरान किया गया। इससे पहले का सर्वेक्षण (एन.एच.एफ.एस.-4) 2015-16 में किया गया। दोनों ही बार राजग सरकार  सत्ता में थी इसलिए दोनों सर्वेक्षणों के बीच बदलाव नीतियों के प्रभाव को प्रतिबिंबित करते हैं जिन्हें 2014-15 तक अपनाया गया और साथ ही नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियां। 

पहले वाले सर्वेक्षण की तरह एन.एफ.एच.एस.-5 के प्रमुख संकेतक जनसंख्या तथा घरेलू प्रोफाइल, साक्षरता, विवाह तथा प्रजनन दर, मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य, टीकाकरणों, चिकित्सा उपचार की गुणवत्ता, रक्ताल्पता, महिला सशक्तिकरण तथा तम्बाकू व अल्कोहल के इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर थे। संख्याएं सांख्यिकीय अनुमानों पर आधारित हैं जो चार वर्षों में दोनों सर्वेक्षणों को अलग करते हैं। चूंकि सर्वेक्षणों के लिए अपनाया गया तरीका एक समान था, संख्याओं में बदलाव, जिन्हें आंकड़ेबाज डैल्टा कहते हैं, बहुत उपयोगी सबक सिखाते हैं। कुछ बदलाव हमें गौरवान्वित करेंगे, कुछ निराश तथा कुछ संदेह तथा प्रश्र खड़े करेंगे। 

अच्छे समाचार
बड़ी, ‘ब्रेकिंग न्यूज’ यह है कि कुल प्रजनन दर 2.2 (प्रति महिला बच्चे) से घट कर 2.0 हो गई है। ‘बदलाव दर’ 2.1 है। 2.0 की संख्या की अच्छी के साथ-साथ नकारात्मक बाध्यताएं हैं जिनके लिए एक अलग निबंध की जरूरत है। इसलिए वर्तमान के लिए हम राहत महसूस कर सकते हैं कि भारतीय जनसंख्या ङ्क्षचताजनक दर से नहीं बढ़ रही और अनुमान से पहले स्थिर हो सकती है। पहले अच्छा समाचार। 88.6 प्रतिशत बच्चों का जन्म किसी संस्था में (अर्थात किसी तरह के चिकित्सा देख-रेख में) हुआ था, यह संख्या 78.9 प्रतिशत से बढ़ी है। परिवारों में अधिक बच्चियों का स्वागत हो रहा है, विशेषकर ग्रामीण भारत में। 

लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाएं) 991 से बढ़ कर 1020 हो गई हैं। जहां 2015-16 में 88.0 प्रतिशत जनसंख्या विद्युतीकरण वाले घरों में रह रही थी, मोदी सरकार ने इसमें 8.8 प्रतिशत की वृद्धि करके इस दर को 96.8 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है (रोम का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ था, जैसा कि दावा किया गया है।) 18 तथा 21 की कानूनी उम्र से पहले क्रमश: कम महिलाओं तथा पुरुषों का विवाह हुआ लेकिन 23.3 प्रतिशत महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले हुआ, अभी काफी लम्बा रास्ता तय करना है। 

ज्यादा अच्छे समाचार नहीं
बड़ा, ब्रेकिंग बुरा समाचार यह है कि भारत की जनसंख्या के आधे से जरा अधिक ने स्कूली शिक्षा के 10 वर्ष पूरे नहीं किए, 59 प्रतिशत महिलाएं तथा 49.8 प्रतिशत पुरुष। इसका अर्थ यह हुआ कि स्वतंत्रता के 75 वर्षों बाद आधी जनसंख्या 21वीं शताब्दी की नौकरियों तथा व्यवसाय करने के योग्य नहीं जिनके लिए उच्च शिक्षा, उन्नत तकनीक तथा बेहतर कौशल की जरूरत है। 

भारत की जनसंख्या अभी युवा है (26.5 प्रतिशत 15 वर्ष की आयु से नीचे है) लेकिन इस अनुपात में गिरावट आ रही है, अर्थात बूढ़े लोगों का अनुपात बढ़ रहा है। ‘जनसांख्यिकीय विभाजन’, जिसकी हम डींगें मारते हैं हमेशा के लिए नहीं रहेगा।

अधिकतर संख्याएं रक्ताल्पता की शिकार थीं : 15-49 आयु वर्ग की 57.0 प्रतिशत तथा अधिक चिंताजनक, 15-19 आयु वर्ग में 59.1 प्रतिशत। एन. एफ. एच. एस.-4 के बाद से दोनों अनुपातों में वृद्धि हुई है। एक अन्य कड़वा समाचार यह है कि 6.23 माह आयु के केवल 11.3 प्रतिशत बच्चों को पर्याप्त भोजन मिला। परिणामस्वरूप 5 से कम आयु के 32.1 प्रतिशत बच्चों का वजन कम था, 35.5 प्रतिशत अविकसित (बौने) थे, 19.3 प्रतिशत कमजोर थे तथा 7.7 प्रतिशत अत्यंत कमजोर थे। नवजात मृत्युदर (आई.एम.आर.) की 35.2 प्रति हजार की दर तथा 5 वर्ष से नीचे की 41.9 प्रति 1000 की मृत्यु दर (यू. 5 एम.आर.) अभी भी बहुत उच्च है तथा विश्व में सर्वाधिक कम से बहुत ऊंची है। 

समाचार जो प्रश्र खड़े करते हैं
कुछ आंकड़े उन पहलुओं पर और प्रश्र खड़े करते हैं जिन्हें स्पष्ट करना चाहिए। आंकड़ों में दावा किया गया है कि 95.9 प्रतिशत जनसंख्या ऐसे घरों में रहती है जहां ‘पेयजल के उन्नत स्रोत’ हैं। ‘पेयजल के उन्नत स्रोत’ को एक फुटनोट पाइपों के माध्यम से जलापूर्ति, सार्वजनिक नल अथवा एक ट्यूबवैल के तौर पर परिभाषित करता है। अच्छी बात है लेकिन जब परिभाषा में ‘एक संरक्षित खोदा हुआ कुआं, एक संरक्षित झरना तथा वर्षा जल’ शामिल किया जाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि 95.9 प्रतिशत जैसे प्रभावशाली अनुपात तक पहुंचने के लिए सदियों पुराने, असुरक्षित जलस्रोतों को शामिल करने का बड़ा प्रयास किया गया। मुझे संदेह है कि 2024 के लक्ष्य वर्ष तक सभी घरों तक टोंटी का पानी  उपलब्ध करवाने के लक्ष्य की घोषणा  से यह पहले का कदम होगा।

‘उन्नत स्वच्छता सुविधा’ इस्तेमाल करने पर आंकड़े भी प्रश्र के घेरे में हैं। उन्नत स्वच्छता सुविधा में गड्ढे वाली लैट्रिन में फ्लश, पता नहीं कहां फ्लश, स्लैब वाली गड्ढे वाली लैट्रिन तथा ट्विन पिट/कम्पोस्टिंग टायलैट शामिल है, अर्थात खुले में शौच (ओ.डी.) के अतिरिक्त सब कुछ एक उन्नत स्वच्छता सुविधा है। उज्ज्वला योजना को लेकर प्रचार के बावजूद केवल 58.6 प्रतिशत घरों (43.8 प्रतिशत से बढ़ कर) में भोजन पकाने के लिए साफ ईंधन का इस्तेमाल किया जाता है। वास्तव में यह प्रतिशत एल.पी.जी. अथवा पाइप्ड गैस कनैक्शनों से संबंधित है, न कि नियमित रूप से एल.पी.जी. सिलैंडरों का इस्तेमाल करने वालों की वास्तविक संख्या से। 

उदासीन वृद्धि दरों को इस बात का श्रेय जाता है कि लाखों लोग गरीब हैं और संभवत: बहुत से लोग अत्यंत गरीबी में रह रहे होंगे। हम केवल एक सूचकांक को लेते हैं, यानी भोजन का उपभोग। घरेलू आय पर भोजन पहला शुल्क है। यदि बड़े अनुपात में महिलाएं रक्ताल्पता की शिकार हैं तथा एक बड़े अनुपात में बच्चों का वजन कम है अथवा एनीमिक हैं या बहुत से बच्चे ठिगने या कमजोर हैं, इसका कारण पर्याप्त पोषण का अभाव है। मेरे अनुसार भोजन का अभाव गरीबी का एक निर्णायक सूचक है। उन गरीब लोगों को वर्तमान सरकार द्वारा भुला दिया गया है।-पी चिदंबरम


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