वित्त विधेयक, 2017 द्वारा प्रस्तावित प्रमुख आयकर संशोधन

punjabkesari.in Friday, Feb 24, 2017 - 12:49 AM (IST)

वित्त विधेयक, 2017 ने वित्तीय वर्ष 2017-18 (अर्थात साधारणतया कर निर्धारण वर्ष 2018-19) हेतु आयकर अधिनियम में कई संशोधन प्रस्तावित किए हैं जिनका वर्णन नीचे के परिच्छेदों में किया जा रहा है लेकिन व्यक्ति या अविभक्त हिन्दू परिवार तथा व्यक्तियों के समुदाय पर लगने वाली आयकर दरों में कोई बदलाव प्रस्तुत नहीं किया गया है। अर्थात साधारणतया 2,50,000 रुपए की कुल आय पर कोई आयकर देय नहीं होगा। 2,50,000 रुपए से 5,00,000 रुपए की कुल आय पर 5' आयकर देय होगा। 

5,00,000 रुपए से 10,00,000 रुपए की कुल आय पर 20' आयकर देय होगा तथा 10,00,000 रुपए से अधिक कुल आय पर 30' आयकर देय होगा। 60 वर्ष से अधिक परन्तु 80 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों पर 3,00,000 रुपए की कुल आय पर कोई आयकर नहीं लगेगा। ऐसे व्यक्तियों को 3,00,000 रुपए से 5,00,000 रुपए तक की कुल आय पर 5' आयकर देना होगा। उन्हें 5,00,000 रुपए से10,00,000 रुपए की कुल आय पर 20' आयकर देना होगा। 10,00,000 रुपए से अधिक कुल आय पर ऐसे व्यक्तियों को 30' आयकर देना होगा। 

80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को 5,00,000 रुपए की कुल आय पर कोई आयकर नहीं देना होगा। 5,00,000 रुपए से 10,00,000 रुपए तक की कुल आय पर उन्हें 20' आयकर देना होगा जबकि 10,00,000 रुपए से अधिक की कुल आय पर 30' आयकर देना होगा। ऐसे व्यक्तियों को कुछ दशाओं में 10' या 15' आयकर सरचार्ज भी देना पड़ सकता है। अन्य करदाताओं पर अलग तरह से आयकर तथा सरचार्ज देय होगा। 
वित्त विधेयक द्वारा प्रस्तावित प्रमुख आयकर संशोधन निम्र हैं:- 

लाभांश पर लगने वाले आयकर में सुधार धारा 115 बी.बी.डी.ए.:
वर्तमान आयकर प्रावधानों के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक लाभांश की आय पर एक निवासी व्यक्ति, अविभक्त हिन्दू परिवार या सांझेदारी प्रतिष्ठान पर 10' आयकर देय है। इस प्रावधान में संशोधनके पश्चात निवासी कम्पनी तथा कुछ ट्रस्टों, संस्थानों तथा कोषों को छोड़ कर बाकी निवासी करदाताओं पर भी यह प्रावधान कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागूहोगा। 

कुछ व्यक्तियों तथा अविभक्त हिन्दू परिवार पर उद्गम स्थान पर कर की कटौती-धारा 94 आई.बी.:
व्यक्ति करदाता तथा अविभक्त हिन्दू परिवार (धारा 44 ए.बी. में सम्मिलित परिवारों को छोड़कर) जो 50,000 रुपए प्रतिमाह या माह के किसी हिस्से के लिए किसी निवासी को किराया देता है तो उसे ऐसी आय पर 5' आयकर काटना होगा। जिस गत वर्ष में ऐसा किराया जमा किया जाता है अथवा मकान खाली करने की दशा नकद चैक या बैंक ड्राफ्ट (जो भी पहले हो) द्वारा भुगतान हो तो इस कर कटौती को किराया जमा करने की दशा में गत वर्ष के आखिरी महीने में ऐसा करना अनिवार्य रहेगा। आयकर के ऐसे नियम का पालन करने की दिक्कत दूर करने की दृष्टि से यह भी प्रावधान किया गया है कि टैक्स काटने वाले को धारा 203 के तहत कर कटौती संख्या (टैन) लेने की आवश्यकता नहीं होगी। 

अचल सम्पत्ति में निवेश के प्रोत्साहन हेतु प्रावधान-धारा 2 (42ए):
अचल सम्पत्ति (जमीन या मकानात) को दीर्घकालीन पूंजीगत परिसम्पत्ति बनाने के लिए उसे36 महीने के बजाय 24 महीने रखना ही पर्याप्त होगा। यह प्रावधान कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागूहोगा। 

मकानात को सामथ्र्यवान बनाने हेतु प्रावधान-धारा 80 आई.बी.ए.:
सामथ्र्यवान मकानात हेतु कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से रहवासी मकान के ‘निर्मित क्षेत्र’ के स्थान पर ‘कारपेट एरिया’ को लिया जाएगा। चेन्नई, दिल्ली, कोलकाता अथवा मुम्बई की नगरपालिका संबंधी 25 किलोमीटर की दूरी तक रहवासी इकाई हेतु 30 वर्घ मीटर वाली शर्त लागू नहीं रहेगी। ऐसे मकानात के निर्माण की अवधि को 3 साल से बढ़ा कर 5 साल किया जाएगा। 

संयुक्त विकास समझौते के अंतर्गत पूंजीगत लाभ की गणना हेतु विशेष प्रावधान-धारा 45 (5ए) एवं 194 आई.सी.:
एक व्यक्ति या अविभक्त हिन्दू परिवार को संयुक्त विकास समझौते के अंतर्गत होने वाले पूंजीगत लाभ की गणना उस गत वर्ष की आय के लिए की जाएगी, जिसमें वह सक्षम अधिकारी उस योजना के पूर्ण होने की स्वीकृति का प्रमाण पत्र देता है। ऐसे समझौते के अंतर्गत देय भुगतान पर 10' आयकर की कटौती होगी। यह संशोधन 1.4.2017 से लागू होगा। 

पूंजीगत लाभ की गणना हेतु आधार वर्ष 1981 के स्थान पर 2001-धारा 55:
1.4.2001 से पूर्व में अर्जित सम्पत्ति की वह कीमत गिनी जाएगी, जो 1.4.2001 को उसके बाजार मूल्य के बराबर थी। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

धारा 54 ई.सी. के अंतर्गत दीर्घकालीन बांडों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन:
केंद्रीय सरकार द्वारा ज्ञापित कोई भी बांड जो 3 वर्ष के पश्चात भुगतान योग्य होगा, वह धारा 54 ई.सी. के अंतर्गत गिना जा सकेगा। 

व्यापारिक स्टॉक के रूप में मकानात पर कर सुविधा-धारा 23:
यदि कोई मकानात व्यापारिक स्टॉक के रूप में रखा गया हो और उसे किराए पर नहीं दिया गया हो जो ऐसे मकानात की आय गत वर्ष की समाप्ति से उस समय तक जब तक कि सक्षम अधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र न मिले, ‘शून्य’ गिनी जाएगी। 

बाहरी व्यापारिक कर्ज के भुगतान  पर कर की सुविधा-धारा 194 एल.सी.:
1.7.2020 से पूर्व लिए गए बाहरी व्यापारिक कर्ज पर कर कटौती रियायती 5' आयकर की दर से मिलेगी। 1.7.2020 से पूर्व रुपए में वॢणत बांड जो भारत से बाहर जारी किए गए हैं, उनके ब्याज पर 5' आयकर कटौती की दर होगी। यह संशोधन 1.4.2016 से लागू होगा। अर्थात कर-निर्धारण वर्ष 2016-17 एवं उसके बाद के वर्षों के लिए जारी रहेगा। 

धारा 194 एल.डी. के अंतर्गत रियायती कर की अवधि में विस्तार: 
धारा 194 एल.डी. के अंतर्गत 5' आयकर कटौती का प्रावधान है, यदि वह 1.6.2013 के पश्चात लेकिन 1.7.2017 से पूर्व कुछ विदेशी संस्थानों द्वारा देय ब्याज के रूप में है और केंद्रीय सरकार द्वारा ज्ञापित दर से अधिक नहीं है। अब यह तिथि बढ़ा कर 1.7.2020 कर दी गई है। यह संशोधन 1.4.2018 अर्थात कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

कुछ कम्पनियों के व्यापारिक घाटे को आगे ले जाने के बारे में परिवर्तन-धारा 79:
धारा-79 के अंतर्गत कुछ कम्पनियों के व्यापारिक घाटे को प्रतिसादित करने हेतु आगे ले जाए जाने का प्रावधान है। इस धारा में प्रस्तावित सुधार द्वारा इसे कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से ऐसी कम्पनियों हेतु सुगम बनाया जा रहा है। 

नई कम्पनियों को कटौती प्राप्त करने की अवधि में बढ़ौतरी-धारा 80 आई.ए.सी.:
नई कम्पनियों को अब 5 वर्ष के  स्थान पर उन 7 वर्षों में 100' नफे पर उन 3 वर्ष तक कटौती मिलेगी, जब से वे स्थापित हुई हैं।
ऌसहकारी बैंकों हेतु धारा 43 डी के कार्यक्षेत्र में विस्तार: धारा 43 डी के अंतर्गत कुछ किस्म के डूबत या संशय वाले ऋणों के ब्याज पर कराधान हेतु विशेष प्रावधान हैं जो अब सहकारी बैंकों के लिए भी लागू हो जाएंगे। यह संशोधन कर- निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

डूबत या संशय वाले ऋण हेतु प्रावधान में कटौती की बढ़ौतरी-धारा 36 (1) (1वीवीअ):
डूबत या संशय वाले ऋण हेतु प्रावधान करने पर कुल आय (साधारणतया अध्याय 6ए के अंतर्गत कटौती से पूर्व) के 7½' की सीमा को बढ़ाकर 8½' किया जाएगा, जो कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगी। 

नकद दान की कटौती हेतु रुकावट-धारा 80 जी:
यदि 2,000 रुपए से अधिक दान की रकम को नकद में दिया जाएगा तो उस पर धारा 80 जी के अंतर्गत कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से कटौती प्राप्त नहीं होगी। वर्तमान में ऐसे दान की कटौती हेतु सीमा 10,000 रुपए है। 

धारा 32 के अंतर्गत घिसाई की कटौती तथा धारा 35 ए.डी. के अंतर्गत पूंजीगत ऋण का नकद भुगतान होने पर अमान्य: 
यदि कोई करदाता एक दिन में किसी परिसम्पत्ति के क्रय हेतु 10,000 रुपए से अधिक राशि नकद में देता है तो घिसाई कटौती आदि के लिए इसकी वास्तविक कीमत निकलने हेतु ऐसी रकम को नहीं गिना जाएगा। यह संशोधन कर निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

नकदी सौदों को कम करना-धारा-40ए: 
एक दिन में 10,000 रुपए से अधिक के नकद भुगतान पर कटौती अमान्य होगी। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

छोटे असंगठित व्यापारों हेतु अंगुलित (डिजीटल) भुगतानों को बढ़ावा-धारा 44 ए.डी.:
अंगुलित (डिजीटल) भुगतानों को बढ़ावा देने हेतु रेखांकित चैक या बैंक ड्राफ्ट से प्राप्त भुगतान के 8' भाग के स्थान पर 6' भाग को ही कर योग्य कुल आय माना जाएगा। अन्य प्रकार के भुगतान पर कुल आय हेतु 8' दर ही रहेगी। यह संशोधन कर निर्धारण वर्ष 2017-18 से लागू होगा। 

नकद सौदों पर प्रतिबंध-नई धारा 269 एस.टी. तथा नई धारा 271 डी.ए.:
एक दिन में कुल मिलाकर या किसी एक सौदे या घटना के बाबत 3,00,000 रुपए या उससे अधिक नकद (अर्थात रेखांकित व्यक्ति के नाम से चैक या बैंक ड्राफ्ट के अलावा) नहीं ले सकेगा। यह प्रतिबंध सरकार, किसी बैंक, कम्पनी, पोस्ट आफिस, बचत बैंक या सहकारी बैंक तथा घोषित व्यक्ति पर लागू नहीं होगा। धारा 269 एस.एस. में वर्णित सौदों को भी इस प्रतिबंध से बाहर रखा जाएगा। इसका उल्लंघन करने की दशा में उस रकम के बराबर दंड लगाया जा सकेगा। 

चुनावी कोष के द्वारा खर्च में पारदर्शिता-धारा 13ए:
एक राजनीतिक दल को आयकर मुक्ति हेतु कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य है। 2000 रुपए या उससे अधिक रकम का चंदा अब नकद नहीं लिया जा सकेगा। ऐसा चंदा केवल व्यक्ति के नाम वाले चैक या बैंक ड्राफ्ट या चुनावी बांडों द्वारा ही लिया जा सकेगा। चंदे की गोपनीयता बनाए रखने हेतु चुनावी बांडों द्वारा भुगतान करने वालों का नाम व पता राजनीतिक पार्टी को देना होगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

विदेशी कम्पनी के बचे हुए कच्चे तेल के स्टाक पर नफे की कर मुक्ति-धारा 10 (48बी):
एक विदेशी कम्पनी को धारा 10 (48बी) में वॢणत समझौते की समाप्ति के पश्चात बचे हुए कच्चे तेल के स्टाक की बिक्री पर होने वाला नफा, केंद्रीय सरकार द्वारा लगाई गई शर्तों के अधीन कर मुक्त रहेगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से लागू होगा। 

धारा 194 डी में वर्णित कमीशन भुगतान हेतु फार्म 15 जी/15 एच:
धारा 194 डी में वर्णित बीमा कमीशन भुगतानों हेतु व्यक्तियों तथा अविभक्त हिन्दू परिवारों को भी बिना आयकर की कटौती पाने का अधिकार (फार्म 15 जी या 15 एच भर कर देने पर) रहेगा। यह संशोधन 1.6.2017 से लागू होगा। 

व्यक्तियों तथा अविभक्त हिन्दू परिवार हेतु अनिवार्य रूप से हिसाब-किताब रखने की आय सीमा में वृद्धि-धारा 44 ए.ए. (2) :
व्यक्तियों तथा अविभक्त हिन्दू परिवार जो व्यापार कर रहे हों, की 2,50,000 रुपए या उससे अधिक आय होने पर या कुल बिक्री की राशि 25,00,000 रुपए या उससे अधिक होने पर उन्हें हिसाब-किताब रखना अनिवार्य रहेगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2018-19 से तथा आगामी वर्षों के लिए लागू होगा। 

धारा 44 ए.बी. के अंतर्गत कुछ व्यक्तियों को हिसाब-किताब की जांच (अर्थात ऑडिट) से छूट: 
छोटे करदाता को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से धारा 44 ए.बी. में संशोधन करने का प्रस्ताव है जिसके अनुसार कोई व्यक्ति जो धारा 44 ए.डी. (1) के प्रावधानों के अनुसार गत वर्ष में नफा घोषित करता है और जिसकी कुल बिक्री या कुल प्राप्तियां उस गत वर्ष में दो करोड़ रुपए से अधिक नहीं हैं, उसे धारा 44 ए.बी. के अंतर्गत हिसाब-किताब की जांच (ऑडिट) कराना अनिवार्य नहीं होगा। यह संशोधन कर-निर्धारण वर्ष 2017-18 से लागू होगा। धारा 194 एल.ए. के संशोधन के अनुसार इस धारा के अंतर्गत धारा 96 के अधीन कर मुक्त भुगतान पर किसी कर की कटौती नहीं होगी। यह संशोधन 1.4.2017 से लागू होगा। 

व्यावसायिक अथवा तकनीकी सेवाओं की फीस हेतु उद्गम स्थान पर कर कटौती के प्रावधान का सरलीकरण-धारा 194 जे:
तलब करने वाले केंद्र (अर्थात कॉल सैंटर) द्वारा भुगतानों की प्राप्ति या जमा करने हेतु रकम पर 10' से घटा कर 2' कर कटौती का प्रावधान 1.6.2017 से रहेगा।                           


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