...सिर्फ अपना पासवर्ड मत बदलिए!
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 05:44 AM (IST)
अभी -अभी खबर पढ़ी कि एक व्यापारी ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ से 58 करोड़ गंवा दिए। 58 करोड़! लेकिन घोटालेबाजों को दोष देने से पहले, शायद हमें आईने में खुद को देखना चाहिए क्योंकि सिर्फ दोषी जमीर वाले ही उन लोगों के झांसे में आते हैं जो कानून का ढोंग करते हैं।
एक साल पहले, भारत के सबसे पुराने रोटरी क्लब ने मुझे किसी भी विषय पर बोलने के लिए बुलाया था। मैंने उनसे कहा था कि मैं ‘पुलिस, ई.डी. और आयकर से कैसे बचें’ पर बोलूंगा। उस दोपहर, 5 सितारा बॉलरूम उद्योगपतियों, रईसों और समाजसेवियों से खचाखच भरा था, सभी कानून के लंबे हाथों से बचने की तरकीब ढूंढ रहे थे। मैंने गंभीरता से कहा, ‘‘पुलिस, ई.डी. और आयकर विभाग से बचने का सिर्फ एक ही अचूक तरीका है। ईमानदार रहो।’’
कुछ लोगों के चेहरे अचानक टैक्स लगने के बाद शेयर बाजार से भी तेजी से गिर गए। लेकिन मेरा काम अभी खत्म नहीं हुआ था। मैंने उनसे कहा कि अब, जब हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है, चाहे वह आपके फोन से हो, आपकी कार से, आपके सी.सी.टी.वी. कैमरे से, आपके सोशल मीडिया पोस्ट से, या यहां तक कि आपके फ्रिज से भी, जब आप उसे खोलते हैं तो वह आपके बारे में चुगली करता है तो ईमानदारी जीवन का एक तरीका बन जाना चाहिए। मैंने उन्हें एक उदाहरण दिया। अमरीका के एक सीनेटर ने एक बार उबर को निजता के उल्लंघन के लिए मुसीबत खड़ी करने की धमकी दी थी, जब तक कि कंपनी ने चुपचाप उसे उसकी मालकिन के अपार्टमैंट तक की सभी यात्राओं का रिकॉर्ड नहीं दिखा दिया। उसके बाद, सीनेटर चुप हो गया।
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘‘ईमानदारी अब सिर्फ एक गुण नहीं रही। यह सबसे अच्छी नीति है।’’ इस बार, तालियों की गडग़ड़ाहट गूंज उठी। शायद उन्हें एहसास हो गया था कि सच चुप रहने के पैसे से सस्ता है। अब, हमारे 58 करोड़ वाले पीड़ित की बात करते हैं। कौन किसी अजनबी को इतना पैसा देगा जब तक कि उसकी अंतरात्मा पहले से ही कटघरे में न कांप रही हो? घोटाले बाज सिर्फ आपका फोन नहीं हैक करते, वे आपके अपराधबोध को भी हैक करते हैं। वे जानते हैं कि एक गुप्त जासूस हर दस्तक पर, यहां तक कि डिलीवरी बॉय की दस्तक पर भी, कूद पड़ता है। अगर आपके लेन-देन साफ-सुथरे हैं तो आपको डिजिटल गिरफ्तारी का डर नहीं रहता। आप बस लॉग आऊट करके हंसते हैं। लेकिन अगर आप थोड़ी-बहुत लापरवाही बरतते हैं तो हर रिंगटोन सायरन जैसी लगती है। सच तो यह है कि ईमानदारी अब कोई विकल्प नहीं रही। यह एक जीवन-रक्षा कौशल है। हर क्लिक, हर स्वाइप, हर चैट, हर ट्रांसफर एक निशान छोड़ जाता है। तो लीजिए, मेरी ताजा साइबर सुरक्षा सलाह। फायरवॉल, ओ.टी.पी. और एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को भूल जाइए। ईमानदारी अपनाइए। यही एकमात्र सुरक्षा है जो कभी खत्म नहीं होती, हैक नहीं की जा सकती और जिसे नवीनीकरण की जरूरत नहीं होती।
उस रोटरी व्याख्यान के बाद, मैंने बेहतरीन खाने और मेहमाननवाजी का आनंद लिया। मुझे यकीन नहीं है कि सभी को मेरा भाषण पसंद आया लेकिन ईमानदारी धोखे से ज्यादा पचती है। मैं उस रात चैन की नींद सोया हालांकि मुझे उम्मीद थी कि कोई सरकारी दस्ता गिरफ्तारी से बचने के राज बताने के लिए मेरे दरवाजे पर दस्तक नहीं देगा।तो अगर आप मन की शांति चाहते हैं तो सिर्फ अपना पासवर्ड मत बदलिए। अपने तरीके बदलिए। याद रखें, सबसे सुरक्षित बदल अभी भी एक स्पष्ट विवेक है और सामना करने लायक एकमात्र गिरफ्तारी तब है जब आपका दिमाग अंतत: सच्चाई को पकड़ लेता है!-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
