एयर इंडिया के ‘बिकने’ की संभावनाएं’ कोरोना से हुईं प्रभावित

punjabkesari.in Tuesday, Mar 10, 2020 - 02:16 AM (IST)

2002 में जब सार्स वायरस महामारी चीन में फूटी तब इसने न केवल 774 जानें निगल लीं बल्कि इसने बिजनैस को भी नुक्सान पहुंचाया। क्षेत्र की एयरलाइन इंडस्ट्री पर बहुत असर पड़ा। हांगकांग की मुख्य विमानन कम्पनी कैथे पैसिफिक संकट के दौरान बंद होने के कगार पर थी। हालांकि इस महामारी पर तेजी से हुई रोकथाम के चलते अर्थव्यवस्था तथा एयरलाइंस कम्पनियों ने अपने आपको संभाला। यह सब 2003 में हुआ मगर आज इस क्षेत्र की एयरलाइंस ‘चाइना’ की स्थिति बिल्कुल अलग है। ऐसा समझा जा रहा था कि अमरीका को पछाड़ चीन विश्व का सबसे बड़ा विमानन बाजार बन जाएगा। चीन ने एयरलाइनों का प्रसार देखा है जिसमें कम लागत के करियरों की गिनती लगभग 30 है। 

2003 में चीन आज की तरह इकोनॉमिक पॉवर हाऊस नहीं था जबकि आज कारोबार अन्य देशों से छूट कर चीन में आ गया है। चीनी विमानन कम्पनियां पूरे विश्व भर से यात्रियों को सफर कराती हैं। विश्व के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन (2016) पर होने वाले खर्चे में से चीनी पर्यटकों का हिस्सा 21 प्रतिशत था। चीन ने विश्व को खोजना शुरू किया और विश्व ने चीन को। इसी तरह हांगकांग भी चीन को खोजने में लगा है। 2016 तक पर्यटकों की ज्यादातर संख्या हांगकांग, मकाऊ, ताईवान से चीन को आने वालों की थी। हांगकांग से आने वाले यात्रियों की गिनती नाटकीय ढंग से बहुत ज्यादा थी। हांगकांग (2014) में आने वाले 60 मिलियन  यात्रियों में से 47 मिलियन तो चीन के ही यात्री शामिल थे। 2019 में थाईलैंड आने वाले पर्यटकों में से 28 प्रतिशत चीन के पर्यटक थे। 

क्योंकि कोरोना वायरस के चलते चीन सभी ओर से अपने आपको कटा हुआ महसूस कर रहा है। यही हालात वियतनाम, साऊथ कोरिया, जापान तथा ताईवान के भी हैं। यहां पर भी पर्यटकों की गिनती में बहुत ज्यादा गिरावट आई है। विशेषज्ञों की मानें तो वायरस का प्रभाव आने वाले दिनों में और भी ज्यादा हो जाएगा। उड़ानों के विघटन के चलते यात्रियों की संख्या में कमी आई है। विमान बनाने वाली कम्पनियां एयरबस तथा बोइंग भी इससे प्रभावित हो रही हैं। ये दोनों कम्पनियां नए विमानों की डिलीवरियों को या तो रोकने वाली हैं या फिर उसमें देरी करने वाली हैं। 

इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आई.ए.टी.ए.) के डाटा के अनुसार जनवरी 2020 में वैश्विक यात्रियों की गिनती में गिरावट आई है। इसके अनुमान के अनुसार 2020 में यात्री कारोबार में वैश्विक राजस्व घाटा 63 बिलियन डालर तथा 113 बिलियन डालर के बीच का हो जाएगा। पहला आंकड़ा (63 बिलियन डालर) कोरोना वायरस से प्रभावित वर्तमान बाजार को दर्शाता है तथा दूसरा आंकड़ा (113 बिलियन डालर) जोकि बहुत ज्यादा ऊंचे स्तर का है, कोरोना वायरस के तेजी से अन्य क्षेत्रों में फैलने का है। चीनी एयर ट्रैफिक पर पहले से ही खतरा मंडराया हुआ है। चीन तथा अंतर्राष्ट्रीय देशों के बीच साप्ताहिक यात्रियों की गिनती 80 प्रतिशत तक कम हुई है (जनवरी-मार्च 2020 के दौरान)। भारत में नई दिल्ली से मुम्बई  की तरह शंघाई तथा पेइङ्क्षचग में उड़ानों में बहुत ज्यादा गिरावट देखी गई है। घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें इससे प्रभावित हुई हैं। उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र में ज्यादातर उड़ानें चीनी ट्रैफिक पर निर्भर करती हैं। सार्स वायरस महामारी के फूटने के दो दशक बाद विमानन बाजार में बहुत-सी कम्पनियां नई आई हैं। 2004 में चीनी अर्थव्यवस्था ने बहुत जल्दी से अपने आपको संभाला और इसकी वृद्धि दर 2 अंकों में पहुंच गई। वर्तमान में विश्व तथा चीन की अर्थव्यवस्था बहुत ज्यादा सुस्त है। 

इस कारण विमानन कम्पनियां एक बहुत बड़ी चुनौती झेलेंगी। भारत अभी तक अपने आपको संभालने की स्थिति में है। हालांकि एयरलाइन स्टॉक में गिरावट देखी गई है। घरेलू ट्रैफिक निरंतर ही मजबूत स्थिति में है। डायरैक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन डाटा के हाल के अनुमान के अनुसार अभी तक 39 के करीब घरेलू एयरलाइनें रद्द हुई हैं जोकि चीन, हांगकांग, सिंगापुर, थाईलैंड, जेद्दा तथा जापान को जाने वाली थीं। ज्यादातर उड़ानें इंडस्ट्री लीडर इंडिगो द्वारा रद्द की गई हैं। उसके बाद नैशनल करियर एयर इंडिया ने उड़ानें रद्द की हैं। जहां तक एयर इंडिया के बिकने की बात है कोरोना वायरस के चलते इसमें दिलचस्पी लेने वालों के लिए डैड लाइन को बढ़ाया जा सकता है। भारतीय गैर-विमानन बोलीकत्र्ता इस समय इसमें कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं। एयर इंडिया को लेने के लिए सभी के लिए कई परेशानियां हैं। एयर इंडिया के बिकने की संभावनाएं कोरोना से प्रभावित हुई हैं।-अंजलि भार्गव


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