चन्नी के पास समय कम, तेजी से काम करना होगा

punjabkesari.in Wednesday, Sep 22, 2021 - 05:42 AM (IST)

आशा के विपरीत कांग्रेस उच्च कमान की संकट प्रबंधन टीम जो मुख्य रूप से युवा जोड़ी राहुल तथा प्रियंका पर आधारित है और जिन्हें स्वाभाविक तौर पर रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अदृश्य हाथ के अतिरिक्त कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी का पूर्ण समर्थन प्राप्त है, ने एक साहसिक कदम उठाते हुए अमरेन्द्र सिह को त्याग पत्र देने के लिए बाध्य किया तथा उनकी जगह एक दलित चेहरे चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया जिसे विभिन्न धड़ों में बंटे नेताओं को एकजुट करने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। राजनीति एक अनिश्चितता का खेल है जिसके चलते चरणजीत सिंह चन्नी जैसा एक निचले स्तर का दलित नेता छुपा रुस्तम बन कर उभर सकता है। 1947 के बाद इस पद पर 15 मुख्यमंत्रियों के बाद एक दलित नेता ने पहुंच कर इतिहास बनाया है। दलित पंजाब की कुल जनसंख्या का 31.9 प्रतिशत बनाते हैं। 

दूसरे, चन्नी की राहुल गांधी के साथ निकटता ने एक प्रमुख भूमिका निभाई। तीसरे, जैसे भाजपा ने जाति समीकरणों के चलते पटेलों को खुश करने के लिए गुजरात में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को हटा दिया, कांग्रेस ने पंजाब में जाट-सिख नवजोत सिंह सिद्धू, जो पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं तथा दलित चन्नी के साथ एक जानलेवा मिश्रण बनाया है। यह जातीय मिश्रण आम आदमी पार्टी के दावों को ध्यान में रखने के अतिरिक्त शिरोमणि अकाली दल तथा बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के विरुद्ध लक्षित किया गया है। 
चौथे, भाजपा ने कांग्रेस को मुख्यमंत्री के तौर पर किसी दलित नेता का नाम घोषित करने की चुनौती दी थी जिसने ऐसा करके राज्य में पूरे समुदाय को एक राजनीतिक संदेश दिया है। जाट-सिख जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत बनाते हैं। एक ङ्क्षहदू तथा एक जाट की उपमुख्यमंत्रियों के तौर पर नियुक्ति जातियों के कुल मिश्रण में और भी वृद्धि करेगी। 

पांचवां, कांग्रेस ने अब गेंद भाजपा के पाले में डाल दी है जिसने ताना मारते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए एक दलित की घोषणा करने को कहा था, जिसने खुद कहा था कि सत्ता में आने पर वह उप मुख्यमंत्री का पद किसी दलित को देगी। कांग्रेस नेता महसूस करते हैं कि इससे राष्ट्रीय स्तर पर भी एक अच्छा संकेत जाएगा क्योंकि देश में दलितों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक है। छठा, यद्यपि चन्नी उन चार मंत्रियों में से एक थे जो सक्रिय रूप से अमरेन्द्र सिंह को हटाने के अभियान में शामिल थे, लेकिन वह पूर्व मुख्यमंत्री के कट्टर दुश्मन नहीं हैं जो सिद्धू को नया मुख्यमंत्री चुने जाने की सूरत में विद्रोह कर देते। इसी तरह रंधावा को कैप्टन का एक धुरविरोधी माना जाता था इसलिए उच्च कमान ने ऐसे चुनाव से बचने में ही बेहतरी समझी जिससे राज्य में स्थिति और भी खराब हो सकती थी। 

कैप्टन पहले ही नए मुख्यमंत्री को बधाई दे चुके हैं जिसे फिर से मैत्री भाव बढ़ाने के कदम के तौर पर परिभाषित किया जा रहा था। उच्च कमान अमरेन्द्र को दर-किनार करने के पक्ष में नहीं थी क्योंकि सीधा टकराव पार्टी के सत्ता में बने रहने की संभावनाओं को नुक्सान पहुंचा सकता था। सातवां, एक दलित नेता का चुनाव अमरेन्द्र सिंह सहित कांग्रेस नेताओं के लिए उच्च कमान के निर्णय का विरोध करना कठिन बना देगा क्योंकि चुनाव जीतने के लिए हर कोई दलित वोटें चाहता है। 117 सीटों वाली विधानसभा में 34 निर्वाचन क्षेत्र दलितों के हैं तथा उनकी नाराजगी बहुत बड़ा उल्ट-फेर कर सकती है। 

नए मुख्यमंत्री के सामने चुनौतियां : पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों को नाराज कर दिया था जब उन्होंने अपने धरनों को पड़ोसी राज्य अथवा दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए कहा था। राहुल गांधी जैसे कांग्रेसी नेता तथा उनकी पार्टी ने किसान आंदोलन को नजरअंदाज करने के लिए केंद्र सरकार को घेर रखा है तथा कानूनों को रद्द करने के लिए उनकी मांगों का समर्थन कर रहे हैं। किसान पंजाब में 113 स्थानों पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे हैं तथा राज्य में होने वाले चुनावों में वे सक्रियतापूर्वक भाजपा के खिलाफ प्रचार कर सकते हैं। बेरोजगारी की समस्या सबसे बड़ा कारक है जो अमरेन्द्र के इस बड़े दावे के साथ सीधा जुड़ा हुआ है कि 19 लाख युवाओं को नौकरियां दी जाएंगी क्योंकि जमीनी हकीकत अलग हो सकती है जिसे सामान्य लोग बेहतर जानते हैं। 

सिद्धू उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं जिन्होंने बेअदबी की है तथा अपनी ही सरकार पर अपराधियों के प्रति नर्मी बरतने के आरोप लगा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने इस मामले में कार्रवाई करने का ब्यौरा दिया है जिसमें 15 पुलिस कर्मियों को निलंबित करना, 24 आरोप पत्र दाखिल करना तथा 100 लोगों की गिरफ्तारियां आदि शामिल हैं। बिजली खरीद समझौतों की वैधता भी एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसके नए मुख्यमंत्री द्वारा शीघ्र समाधान करने की जरूरत है। मगर चन्नी के पास मुश्किल से 6-7 महीने हैं इसलिए उन्हें बहुत तेजी से काम करना होगा। अमरेन्द्र तथा सिद्धू धड़ों के बीच शक्ति समीकरणों में संतुलन बनाना एक कठिन कार्य साबित हो सकता है क्योंकि उनसे सरकार तथा पार्टी के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने के लिए उनसे बराबर की दूरी बनाए रखने की आशा की जाएगी।-के.एस. तोमर
 


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