कालाधन : अब केवल टैक्स या जुर्माना भरकर नहीं बचा जा सकता

punjabkesari.in Tuesday, Jul 30, 2019 - 01:03 AM (IST)

इन दिनों वैश्विक स्तर पर कालेधन पर नियंत्रण से संबंधित जो अध्ययन रिपोर्टें प्रकाशित हो रही हैं, उनमें उभरकर दिखाई दे रहा है कि भारत में  कालेधन के बढऩे पर रोक लगी है। हाल ही में स्विस नैशनल बैंक द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीय लोगों और उपक्रमों का जमा धन 2018 में करीब 6 प्रतिशत घटकर 95.5 करोड़ स्विस फ्रैंक यानी 6,757 करोड़ रुपए रह गया है। यह दो दशक में इसका दूसरा निचला स्तर है। इसमें स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय शाखाओं के जरिए जमा धन भी शामिल है। नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैंस एंड पॉलिसी (एन.आई. पी.एफ.पी) के अनुसार कालाधन वह धन होता है जिस पर आयकर की देनदारी होती है लेकिन उसकी जानकारी आयकर विभाग को नहीं दी जाती है। कालेधन का स्रोत कानूनी और गैर-कानूनी कोई भी हो सकता है। 

कोई भरोसेमंद तरीका नहीं
संसद की वित्त मामलों की स्थायी समिति द्वारा विगत 28 मार्च को संसद को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार देश में कालाधन पता लगाने का कोई भरोसेमंद तरीका मौजूद ही नहीं है, जितने भी आंकड़े देश में मौजूद हैं, वे अनुमान पर आधारित हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित एशिया और प्रशांत क्षेत्र की आर्थिक-सामाजिक सर्वे रिपोर्ट 2017 में कहा गया है कि भारत में कालेधन पर आधारित अर्थव्यवस्था देश के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के 20 से 25 फीसदी के बराबर है। नैशनल काऊंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च यानी एन.सी.ए.ई.आर. का अनुमान कहता है कि विदेशों में जमा किया गया कालाधन 384 से 490 अरब डॉलर के करीब हो सकता है। कालाधन बाहर भेजने वाले शीर्ष पांच देश क्रमश: चीन, रूस, मैक्सिको, भारत तथा मलेशिया हैं। 

इसमें कोई दो मत नहीं कि देश में नवम्बर, 2016 में नोटबंदी के बाद कालाधन जमा करने वाले लोगों में घबराहट बढ़ी है और नोटबंदी के दौरान तथा उसके बाद भी बड़ी संख्या में लोगों ने कालेधन का खुलासा करके कालाधन प्रकटीकरण योजना का लाभ भी लिया है। नोटबंदी के बाद आयकरदाताओं की संख्या भी बढ़ी। वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2018-19 में आयकर रिटर्न फाइल होने की संख्या करीब दोगुनी हो गई। आयकर और जी.एस.टी. नैटवर्क को आपस में जोड़ दिया गया है। डाटा एनालिटिक्स से लोगों के खर्चों और बैंक लेन-देन पर नजर रखी जा रही है। 

रिटर्न भरना अनिवार्य
2019-20 के बजट में सरकार ने आयकर अधिनियम में संशोधन कर 4 ऐसी स्थितियां जोडऩे का प्रस्ताव रखा है जिनमें रिटर्न भरना अनिवार्य होगा। पहली स्थिति यह है कि अगर किसी व्यक्ति ने एक बैंक के एक या अधिक चालू खातों में 1 करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा कराई है तो उसके लिए रिटर्न भरनी जरूरी होगी। दूसरी स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति खुद या अन्य किसी के लिए विदेश यात्रा पर 2 लाख रुपए से अधिक खर्च करता है तो उसे रिटर्न भरनी होगी। तीसरी स्थिति यह है कि अगर किसी व्यक्ति का बिजली का सालाना बिल 1 लाख रुपए से अधिक है तो उसे रिटर्न भरनी होगी। चौथी स्थिति यह है कि अगर कोई व्यक्ति घर बेचता है और उससे प्राप्त होने वाली रकम को दूसरे घर या बॉन्डों में निवेश करता है तो ऐसे व्यक्ति की कोई कर देनदारी नहीं है, फिर भी उसे आयकर अधिनियम के किसी प्रावधान का लाभ लेने के लिए रिटर्न भरनी होगी। जिन लोगों के पास विदेश में सम्पत्ति है उनके लिए भी रिटर्न भरना जरूरी है। नए बजट के तहत एक सितम्बर 2019 से एक करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी पर स्रोत पर कर (टी.डी.एस.) लगाया गया है। 

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि  विगत 17 जून से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) ने अपराधों को दो कैटेगरी में भी बांट दिया है। सी.बी.डी.टी. के मुताबिक पहली ‘ए’ कैटेगरी में स्रोत पर कर की कटौती (टी.डी.एस.) को प्रमुखता से रखा गया है। टी.डी.एस. के भुगतान में विफल रहने के अपराध को भी बोर्ड ने इसी कैटेगरी में रखा है। दूसरी ‘बी’ कैटेगरी में जान-बूझकर टैक्स चोरी करने का प्रयास, अकाऊंट्स व दस्तावेज पेश करने में विफल रहना और सत्यापन में फर्जी दस्तावेज पेश करने जैसे अपराध शामिल किए गए हैं। सी.बी.डी.टी. ने कहा है कि इनमें से ‘ए’ कैटेगरी के अपराधों में तो टैक्स भुगतान, जुर्माना और ब्याज देकर छूटने का विकल्प  संभव है, लेकिन ‘बी’ कैटेगरी के अपराधों में अब ऐसा संभव नहीं होगा। इतना ही नहीं ‘ए’ कैटेगरी के अपराधों में भी तीन बार से ज्यादा दोषी पाए जाने पर उसे नॉन-कम्पाऊंडेबल की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि कोई कम्पनी या व्यक्ति अब टैक्स चोरी के मामले को महज टैक्स, जुर्माना और ब्याज भुगतान कर मामले से निजात नहीं पा सकता है। 

आयकर का योगदान
निश्चित रूप से कालेधन पर नियंत्रण के ऐसे प्रयासों से देश की जी.डी.पी. में आयकर का योगदान बढ़ सकेगा। इस समय देश की जी.डी.पी. में आयकर का योगदान एक फीसदी से भी कम है, जबकि यह चीन में 9.7 फीसदी, अमरीका में 11 फीसदी, ब्राजील में 13 फीसदी है। अर्थ विशेषज्ञों के मुताबिक कालेधन पर नियंत्रण और आयकर का आकार बढऩे से छोटे आयकरदाताओं के लिए आयकर छूट की सीमा भी बढ़ सकेगी। हम आशा करें कि 2024-25 में देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की ऊंचाई पर ले जाने का जो लक्ष्य रखा गया है उसमें कालेधन के नियंत्रण की प्रभावी भूमिका होगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी
 


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