भाजपा और अकाली दल के लिए खतरा बनने जा रहे हैं सिद्धू

punjabkesari.in Monday, Jul 25, 2016 - 02:03 AM (IST)

(राजीव रंजन तिवारी): मीडिया में लगातार यह खबरें फ्लैश हो रही हैं कि भाजपा से नाराज होकर पूर्व क्रिकेटर व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी छोड़ी है। सिद्धू नाराज होंगे, इस बात से मैं इत्तेफाक नहीं रखता। ‘कॉमेडी विद कपिल’ शो देखने वाला कोई भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि सिद्धू के जीन में नाराजगी जैसा कोई वायरस होगा। हमेशा ठहाके लगाते रहने वाले सिद्धू ने निश्चित रूप से किसी कारण अथवा महत्वाकांक्षा की वजह से पार्टी छोड़ी होगी, नाराजगी की वजह से नहीं। 

 
यह अलग बात है कि सिद्धू के पार्टी छोडऩे से पंजाब में भाजपा को करारा झटका लगा है। दरअसल, भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कहा जा रहा है कि वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। 
 
कहा जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में लंबे वक्त से खबर आ रही थी कि वह भाजपा की आलाकमान से खुश नहीं थे। उनकी नाराजगी साल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त खुलकर तब सामने आई जब अमृतसर सीट से भाजपा ने सिद्धू की जगह अरुण जेतली को उम्मीदवार बनाया था। 10 साल से सिद्धू सांसद थे लेकिन फिर भी टिकट नहीं मिला। यह भाजपा की जीती हुई सीट थी।  इसके बावजूद भाजपा ने उन्हें हटाकर जेतली को सीट दे दी और दुर्भाग्यवश जेतली इस सीट से हार गए। इसके बाद से लगातार खबरें आ रही थीं कि सिद्धू भाजपा से काफी नाराज हैं।
 
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में भाजपा ने सिद्धू को खुश करने की कोशिश की और उन्हें राज्यसभा भेजा। लेकिन भाजपा का यह मरहम शायद सिद्धू के घावों को भर नहीं पाया। एम.पी. बनाए जाने के तीन महीने के अंदर ही सिद्धू ने पार्टी छोड़ दी।
 
मीडिया के हवाले से खबर आ रही है कि सिद्धू को आम आदमी पार्टी पंजाब में सी.एम. पद का उम्मीदवार बना सकती है इसी वजह से सिद्धू ने भाजपा छोड़ी है और अपने पति का साथ देने के लिए उनकी पत्नी ने भी एम.एल.ए. सीट छोडऩे का बयान दाग दिया। सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने साफ कहा है कि राज्यसभा से इस्तीफा यानी भाजपा से भी इस्तीफा। पहले सिद्धू तय करेंगे आगे की रणनीति फिर मैं अपनी रणनीति तय करूंगी। 
 
कौर ने कहा कि सिद्धू का मकसद पंजाब के लिए काम करना है। इस्तीफे पर संक्षिप्त बयान में सिद्धू  ने अपनी भावी योजना के बारे में ज्यादा खुलासा नहीं किया, लेकिन संकेत हैं कि वह अपनी पार्टी में राज्य में चल रही चीजों से नाखुश थे। सिद्धू ने अपने बयान में कहा, ‘‘सम्माननीय प्रधानमंत्री के कहने पर मैंने पंजाब के कल्याण के लिए राज्यसभा का मनोनयन स्वीकार कर लिया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पंजाब के लिए हर खिड़की बंद होने के साथ उद्देश्य धराशायी हो गया। अब यह महज बोझ रह गया। मैंने इसे नहीं ढोना सही समझा।’’ 
 
उन्होंने कहा, ‘‘सही और गलत की लड़ाई में आप आत्मकेन्द्रित होने की बजाय तटस्थ नहीं रह सकते। पंजाब का हित सर्वोपरि है।’’ नवजोत सिंह सिद्धू ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर लोकसभा सीट अरुण जेतली के लिए छोड़ी थी, तबसे वह पार्टी से नाखुश थे। सिद्धू पार्टी से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे लेकिन मीडिया के सामने उन्होंने कभी भी खुलकर यह नहीं कहा था। जानकार बताते हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू जहां भी रहे वहां अपनी अलग पहचान बनाई। 
 
क्रिकेट के मैदान पर सिक्सर सिद्धू कहलाए, तो कमैंट्री चाहे वह हिंदी में हो या इंगलिश में, अपने जुमलों और कहावतों से दर्शकों को खूब गुदगुदाया। राजनीति में भी उनका पंजाब में दबदबा रहा और एक समय भाजपा के स्टार प्रचारक रहे। पार्टी ने उनका उपयोग भीड़ खींचने के लिए खूब किया। टी.वी. शो में छाए और अब राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा देकर राजनीति में भी कुछ नया करने का संकेत दिया है। 
 
जाहिर है एक समय स्पिनरों को डराने वाले इस बल्लेबाज ने अब राजनीति में नए अंदाज में बैटिंग शुरू कर दी है। नवजोत सिंह सिद्धू छक्के मारने के लिए मशहूर थे। सिद्धू की छक्के लगाने की दीवानगी के बारे में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने एक कार्यक्रम में संस्मरण सुनाते हुए कहा था कि एक बार वह पंजाब गए थे तो अभ्यास के दौरान उन्होंने देखा कि एक बल्लेबाज अलग-अलग तरह के स्पिनरों को अलग-अलग जगह गेंद फैंकने के लिए कह रहा है और जैसे ही गेंद डाली जाती वह उसे छक्के के लिए उछाल देता था। 
 
बाद में उन्हें पता चला कि यह बल्लेबाज और कोई नहीं बल्कि सिद्धू थे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह छक्के के लिए नैट पर भी कितनी कड़ी मेहनत करते थे। सिद्धू ने साल 1987 के वल्र्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने पहले ही मैच में 79 बॉल में 73 रन बनाए जिसमें 5 छक्के शामिल थे। 
 
उनकी बल्लेबाजी से शेन वार्न, जॉन एंबुरी जैसे स्पिनर भी खौफ खाते थे। यहां तक कि एक दौर में तो सिद्धू के आऊट होने तक विरोधी कप्तान स्पिनर को बॉङ्क्षलग में ही नहीं लगाते थे। उनकी छक्का लगाने की काबिलियत देखकर उनके फैंस ने उन्हें ‘सिक्सर सिद्धू’ कहना शुरू कर दिया। 
 
क्रिकेट खेलने के समय सिद्धू बहुत कम बोलते थे लेकिन उनका अंदाज दबंगों वाला था और वह किसी से झिझकते नहीं थे। बात 1996 के वल्र्ड कप के बाद की है जब भारतीय टीम 3 टैस्ट मैचों की सीरीज के लिए जून में इंगलैंड गई थी, पहले टैस्ट के बाद कप्तान अजहरुद्दीन से मनमुटाव के चलते नवजोत सिंह सिद्धू बेहद नाराज हो गए और दौरा बीच में ही छोड़कर वापस भारत आ गए थे। 
 
गौरतलब है कि सिद्धू का जाना भाजपा और अकाली गठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। वैसे भी आम आदमी पार्टी की पंजाब में पकड़ मजबूत बताई जा रही है, ऐसे में सिद्धू यदि ‘आप’ में शामिल हो जाते हैं तो उनके लिए खतरा हो सकते हैं क्योंकि उनकी पत्नी की पकड़ भी क्षेत्र में काफी अच्छी है। यानी कह सकते हैं कि एक जमाने में स्पिनरों के लिए खौफ रहे सिद्धू अब राजनीति में भाजपा और अकाली दल के लिए खतरा बनने जा रहे हैं। 
 
सिद्धू ने अप्रैल में राज्यसभा सांसद की शपथ ली थी और उसके बाद पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ भाजपा के गठबंधन को लेकर अपनी बेरुखी जाहिर की थी। मालूम हो कि नवजोत ने कहा था कि वह पंजाब को छोड़कर पूरे मुल्क में कहीं भी चुनाव प्रचार के लिए जाने को तैयार हैं। उधर 8 मार्च, 2016 को सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर (मुख्य संसदीय सचिव) ने भी भाजपा-अकाली गठबंधन को लेकर अपनी बेमनी जाहिर की थी। 
 
नवजोत शायद बहुत वक्त पहले से इस्तीफा देने की तैयारी में थे। 4 महीने पहले 1 अप्रैल को उनकी पत्नी नवजोत कौर ने अपनी फेसबुक पोस्ट में भाजपा से इस्तीफे की बात कही थी। हालांकि बाद में उन्होंने बयान पलटते हुए इस बात से पल्ला झाड़ लिया। जून में सिद्धू ने पंजाब की राजनीति में एक बार फिर से वापसी की। वह राजनीतिक रैलियों में स्टेज पर दिखाई पड़े। उन्हें भाजपा की कोर टीम में भी शामिल किया गया। बहरहाल सिद्धू का जाना भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है। देखना है कि सिद्धू आगामी चुनाव में क्या गुल खिलाते हैं।

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