अब महिलाएं हैं परिवार नियोजन में पुरुषों से आगे

punjabkesari.in Wednesday, Feb 03, 2016 - 01:17 AM (IST)

भारत की अनेक समस्याओं के पीछे एक बड़ा कारण इसकी अत्यधिक जनसंख्या भी है और इस समय हम भारत में गंभीर जनसंख्या विस्फोट का सामना कर रहे हैं जिससे देश में बेरोजगारी व गरीबी बढ़ रही है। इसीलिए अब जागरूक दम्पति 2 से अधिक बच्चे नहीं चाहते ताकि वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा एवं अन्य जीवनोपयोगी सुविधाएं सुगमतापूर्वक उपलब्ध करवा सकें। 

 
पढ़ी-लिखी महिलाएं भी अब 2 से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहतीं क्योंकि अधिक बच्चों को जन्म देने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वास्तव में आज परिवार को सीमित रखने के मामले में महिलाएं पुरुषों से कहीं अधिक जागरूक दिखाई देती हैं जिसका प्रमाण उनके द्वारा परिवार सीमित रखने के लिए करवाए जाने वाले नलबंदी आप्रेशनों से मिलता है।
 
हालांकि सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा लगाए जाने वाले परिवार नियोजन शिविरों के दौरान डाक्टरों की लापरवाही से महिलाओं के नलबंदी आप्रेशन खराब हो जाने के समाचार अक्सर आते रहे हैं तथा इसकी तुलना में पुरुषों की नसबंदी अधिक सुरक्षित मानी जाती है परन्तु इसके बावजूद नसबंदी की तुलना में महिलाएं अधिक संख्या में नलबंदी करवा रही हैं। 
 
परिवार नियोजन के अन्य उपायों के स्थान पर नलबंदी ही उनका पसंदीदा परिवार नियोजन माध्यम है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि नसबंदी करवाने वाले पुरुषों का प्रतिशत तो नाममात्र ही है जबकि कंडोम और गर्भनिरोधक गोलियों को भी कम पसंद किया जाता है। 
 
नलबंदी करवाने वाली महिलाओं और नसबंदी कराने वाले पुरुषों की संख्या में कितना अधिक अंतर है, यह इसी से स्पष्टï है कि गत वर्ष आंध्र प्रदेश में परिवार नियोजन के विभिन्न उपाय अपनाने वालों में से 0.6 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी कराई जबकि इनकी तुलना में 68.3 प्रतिशत महिलाओं ने नलबंदी करवाई। अन्य राज्यों की भी लगभग यही स्थिति है और यह आंकड़ा इस तथ्य के बावजूद है कि आंध्र प्रदेश में 62.9 प्रतिशत महिलाएं और 79.4 प्रतिशत पुरुष शिक्षित हैं।
 
ये आंकड़े जहां पुरुषों की संकीर्ण सोच के द्योतक हैं, वहीं इस बात का भी स्पष्टï संकेत देते हैं कि आज पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में महिलाएं अपने पारिवारिक सरोकारों के प्रति जागरूक हैं और ऐसा कोई भी पग उठाना नहीं चाहतीं जिससे उनके स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन और संतान के पालन-पोषण में व्यवधान उत्पन्न होता हो।

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