अपना प्राकृतिक आवास छिनता देख वन्य प्राणी करने लगे शहरों का रुख

punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2024 - 05:21 AM (IST)

वन संरक्षण अधिनियम 1980 में वनों की कटाई को बड़े स्तर पर रोकने के लिए अधिनियमित किया गया था मगर अभी भी राज्य सरकारें और कार्पोरेशनों ने वनों की कटाई को रोकने का प्रयास नहीं किया है। जब से इंसानों ने शहरों का विस्तार  करने के लिए जंगलों का रुख कर लिया है, इससे अपना प्राकृतिक आवास छिनता देख जंगली जानवरों का शहरी इलाकों में आना-जाना आम होता जा रहा है।  

* 2 दिसम्बर को राजधानी दिल्ली के ‘सैनिक फार्म’ में तेंदुआ दिखाई देने के बाद लोगों में दहशत फैल गई। 
* 26 दिसम्बर को पीलीभीत (उत्तर प्रदेश) में एक बाघिन देर रात कलीनगर तहसील क्षेत्र के अटकोना गांव में घुस आई और एक दीवार पर काफी देर तक इधर से उधर घूमती या बैठ कर पोज देती रही। 
* 8 जनवरी को छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) शहर में एक बाघ घुस आया और सारी रात इधर-उधर घूमता रहा। इससे इलाके में दहशत फैल गई और वन विभाग ने लोगों को घरों में ही रहने का अलर्ट जारी कर दिया। 

* 14 जनवरी को वायरल हुए एक वीडियो में देहरादून (उत्तराखंड) की वृंदावन कालोनी में एक तेंदुआ घूमता दिखाई दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार इसी तेंदुए ने कनाल रोड के पास एक लड़के पर हमला किया था। 

* 18 जनवरी को एक हाथी ओडिशा के मयूरभंज जिले के बारीपदा शहर में घुस आया और शहर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक लोगों को दौड़ाता रहा। उसने कुछ घरों की चारदीवारी को भी तोड़ दिया तथा एक सरकारी स्कूल की चारदीवारी तोड़ कर वहां भी घुसने की कोशिश की। यही नहीं, पिछले कुछ दिनों से इंदौर (मध्य प्रदेश) में इंफोसिस और टी.सी.एस. के परिसरों में एक मादा तेंदुआ ने अपने 2 बच्चों के साथ डेरा जमा रखा है जिस कारण दोनों ही कम्पनियों के कर्मचारियों को सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। 

इन दोनों ने अपनी गतिविधियां दोनों परिसरों की कुछ इमारतों तक सीमित रखी हुई हैं। वन विभाग के लोगों का कहना है कि मादा तेंदुआ और बच्चे काफी समय से परिसर में ही रह रहे होंगे और शायद इनका जन्म भी वहीं हुआ हो। इनको पकडऩे के लिए पिंजरे लगाए गए लेकिन ये तेंदुए पिंजरों के निकट भी नहीं फटके। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि जहां मनुष्य वन्य जीवों के मूल निवास स्थान जंगलों का सफाया करके उन पर कब्जा कर रहे हैं वहीं वन्य जीव भी अपना प्राकृतिक आवास छोड़ कर शहरों में इन्सानी आबादी की ओर रुख करने को मजबूर होने लगे हैं। 

निश्चय ही यह एक चिंताजनक स्थिति है। इससे पहले कि अनेक वनस्पतियां और जानवर नष्ट हो जाएं, लोगों को जंगल काट कर वन्य प्राणियों को उनके प्राकृतिक आवासों से बेदखल करने की कोशिश बंद कर देनी चाहिए। 


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