हम सभी के सुख-दुख एक हैं, दुनिया वालो हम एक हैं

punjabkesari.in Tuesday, Jan 05, 2016 - 12:19 AM (IST)

आज जब देश में साम्प्रदायिक ताकतें लोगों में घृणा की दीवार खड़ी करने की कोशिशें कर रही हैं, भाईचारे के ऐसे उदाहरण भी सामने आ रहे हैं जो इस तथ्य की गवाही भरते हैं कि ‘हम एक थे और एक ही रहेंगे’। 

* 4 अक्तूबर 2015 को मुम्बई में जब एक गर्भवती मुसलमान महिला टैक्सी में अस्पताल जा रही थी तो एकाएक उसे प्रसव पीड़ा होने लगी। इस डर से कि कहीं वह कार में ही बच्चे को जन्म न दे दे तो टैक्सी ड्राइवर जबरदस्ती महिला और उसके पति को टैक्सी से उतार कर भाग गया।
 
संयोगवश निकट ही स्थित एक गणपति मंदिर जा रही श्रद्धालु महिलाओं की उस पर नजर पड़ी और वे उसे तथा उसके पति को मंदिर में ले गईं। वहां बिस्तर की चादरों से पर्दा करके हिन्दू महिलाओं ने उसे प्रसव कराया और उस महिला ने बेटे को जन्म दिया। इस मुसलमान दम्पति ने गणपति मंदिर में जन्मे अपने बेटे का नाम ‘गणेश’ रखा है। 
 
* ऐसी ही घटना गत मास चेन्नई की भयंकर बाढ़ में घिरे चित्रा और मोहन के साथ हुई और यूनुस नामक एक मुसलमान युवक ने गर्भवती चित्रा को अस्पताल पहुंचाया। वहां चित्रा ने बेटी को जन्म दिया जिसका नाम उन्होंने यूनुस के नाम पर रखा है। जब यूनुस को इसका पता चला तो उसने बच्ची की देखभाल और उसकी शिक्षा का खर्चा उठाने का वायदा किया।
 
* चेन्नई की बाढ़ के इन्हीं भयावह दिनों में जमात-ए-इस्लामी के 50 मुसलमान सदस्यों ने मंदिरों में बह कर आए कीचड़ आदि की सफाई में सहायता करने के लिए 2 मंदिरों में कार सेवा की। 
 
* 28 सितम्बर को यू.पी. के बिसाड़ा गांव में बीफ विवाद पर एक मुस्लिम मो. इखलाक की हत्या व उसके बेटे को गंभीर रूप से घायल कर देने की घटना से उत्पन्न असहिष्णुता के वातावरण के बीच राजस्थान का एक मुसलमान परिवार गौसेवा के प्रति वर्षों से पूर्णत: समॢपत चला आ रहा है।
 
लाडनूं तहसील के गांव ‘लेडी’ के फुले खां व उसके परिवार ने 600 अनाथ गऊओं को आश्रय दे रखा है। यह सिलसिला उसके भाई आसू खान ने 1965 में 20 गऊओं से शुरू किया था। फुले खां के अनुसार, ‘‘गौ सेवा द्वारा हम हिन्दू-मुसलमानों में भाईचारे की भावना बढ़ा रहे हैं। पवित्र कुरान में भी गौमांस का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया है।’’
 
* दक्षिण भारत के विजयवाड़ा में रहने वाले एक मुस्लिम दम्पति प्यारी जान और उसके पति खाजा वली ने नव वर्ष के दिन अपनी गोद ली हुई हिन्दू बेटी ‘आदि लक्ष्मी’ का विवाह हिन्दू रीति से सम्पन्न किया और पारम्परिक रूप से कन्यादान किया। लक्ष्मी के 7 वर्ष की आयु में अनाथ हो जाने पर इस दम्पति ने उसे अपने पास रख लिया और इसके बाद उनके घर में 2 बेटे पैदा हुए जो लक्ष्मी को बड़ी बहन का सम्मान देते हैं।
 
* आंध्र में तिरुमाला के श्री वेंकेटश्वर मंदिर में सब्जियों की ढुलाई के लिए अब्दुल गनी नामक मुस्लिम श्रद्धालु ने मंदिर को एक विशेष वैन दान की है जिसके लिए मंदिर के प्रबंधकों ने उसे सम्मानित किया। 
 
* फाजिल्का जिले में भारत-पाक सीमा से मात्र 3 किलोमीटर दूर ‘पक्का किस्ती’ गांव का सरकारी प्राइमरी स्कूल छुआछूत उन्मूलन का सजीव उदाहरण है। इस स्कूल में सभी जातियों और धर्मों के बच्चे पढ़ते हैं जिनके लिए भोजन बचनो बाई, गुरमीत कौर और परमजीत कौर नामक दलित कुक पकाती हैं। 
 
इसे लेकर यहां कभी कोई विवाद नहीं हुआ। इन सबमें इतना प्यार है कि बच्चे उन्हें प्यार से ‘आंटी जी’ बुलाते हैं। ये तीनों भी बच्चों से अत्यंत प्रेम करती तथा उन्हें समझाती और सिखलाती रहती हैं कि बड़ों का सम्मान करना चाहिए। परमजीत कौर का कोई भाई नहीं है, उसने स्कूल के हैड टीचर मनोज कुमार को अपना राखी भाई बनाया है। 
 
* 1 जनवरी, 2016 को भाईचारे का ऐसा ही उदाहरण हरियाणा में हिसार जिले के सियाहदवा गांव के लोगों ने दिया है। इस जाट बहुल गांव में उनके 3000 वोट व पिछड़ी श्रेणी में वर्गीकृत लोहार समुदाय के मात्र 45 वोट हैं। 
 
जातिगत भेदभाव भुला कर गांव वाले लोहार समुदाय के अश्विनी कुमार को सरपंच बनाना चाहते थे परंतु उन पर 1.75 लाख रुपए का बैंक और बिजली बिलों का बकाया होने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ सकते थे। 
 
इस पर गांव के लोगों ने आनन-फानन में 1.75 लाख रुपए इकट्ठे कर उनका ऋण चुका कर उनका नामांकन पत्र भरवाया और अन्य सब उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस लेकर उनका रास्ता साफ कर दिया। 
 
परस्पर सौहार्द तथा भाईचारे के ये उदाहरण प्रेरणास्रोत और विघटनकारी शक्तियों तथा स्वार्थी तत्वों के लिए एक संदेश हैं कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद हमारे देश से भाईचारे की भावना मिट नहीं सकती क्योंकि :
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा। 

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