चीन को दरकिनार कर टोयोटा ने भारत को बनाया अपना ठिकाना

punjabkesari.in Monday, Jun 13, 2022 - 01:39 PM (IST)

चीन में पिछले 2 वर्षों में कोरोना महामारी और उसके चलते लगे अनियमित लॉकडाउन ने वहां के देशी-विदेशी उद्योगों पर गहरी चोट की है। इस वजह से इन 2 वर्षों में चीन से कंपनियां बाहर निकल कर अपना नया ठौर ढूंढ रही हैं, चाहे वह अमरीकी मोबाइल फोन कंपनी एप्पल हो, ताइवानी माइक्रोचिप बनाने वाली फॉक्सकॉन हो या जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा अथवा जर्मनी की फॉक्सवैगन। ये सभी आटोमाबाइल एवं मोबाइल कंपनियां वहां से बाहर निकलना चाहती हैं। ऐसे माहौल में जापान ने भारत को अपना सुरक्षित और विकास करने वाला ठिकाना पाया है। 

 

अब टोयोटा भारत में निवेश करने जा रही है, यानी जापानी कार कंपनी ने पहले चीन को दरकिनार किया और अब भारत को अपना विनिर्माण केन्द्र बनाने जा रही है। टोयोटा भारत में यह निवेश पी.एल.आई. स्कीम के तहत करने जा रही है। टोयोटा कार कंपनी भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में 4800 करोड़ रुपए के निवेश से अपना विनिर्माण का काम शुरू करेगी। टोयोटा भारत में किर्लोस्कर के साथ मिलकर ऑटो पार्ट्स बनाएगी। इस निवेश का इस्तेमाल टोयोटा कंपनी अपनी इलैक्ट्रॉनिक कारों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को देसी स्तर पर बनाने के लिए करेगी। आने वाले दिनों में इसका बड़ा लाभ न सिर्फ टोयोटा कंपनी को मिलेगा, बल्कि भारत में भी सैंकड़ों लोगों को रोजगार के साथ भारत के विनिर्माण सैक्टर को मजबूत बनाने में मिलेगा। भविष्य में इन उपकरणों के विदेशों में निर्यात से विदेशी मुद्रा भारत में आएगी। 

 

जिन उपकरणों का देसी स्तर पर टोयोटा फैक्टरी में निर्माण किया जाएगा उनमें गियर, मोटर, कंट्रोलर और कनैक्टर शामिल हैं। इनका अधिकतर इस्तेमाल इलैक्ट्रिक कारों के लिए किया जाएगा। जब इन उपकरणों का इस्तेमाल पूरी तरह देश में होगा तो इलैक्ट्रिक कारों के निर्माण की लागत कम आएगी, जिससे विदेशी बाजारों में होने वाली प्रतिस्पर्धा में जहां ये कारें आगे निकलेंगी, वहीं भारत में इन कारों की खरीद पर भी असर पड़ेगा। 

 

इस क्षेत्र में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और टोयोटा किर्लोस्कर ऑटो पार्ट्स कुल 4100 करोड़ रुपए का निवेश करेंगी। इसके साथ ही टोयोटा इंजन इंडिया कंपनी इस परियोजना में 700 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। टोयोटा ग्रुप की 2 सहायक कंपनियों टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और टोयोटा किर्लोस्कर ऑटो पार्ट्स ने पहले ही 11812 करोड़ रुपए का निवेश किया है और उनका काम जारी है। फिलहाल इन कंपनियों में 8000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। 

 

ग्रीन तकनीक को बढ़ावा देने और भविष्य की तकनीक के इस्तेमाल के लिए टोयोटा 4800 करोड़ रुपए और निवेश करेगी, जिससे कर्नाटक में जिस यूनिट की शुरूआत होगी, वहां पर 3500 लोगों को रोजगार मिलेगा। सिर्फ इतना ही नहीं, इस यूनिट में पावर ट्रेन यानी इलैक्ट्रिक ट्रेन के कलपुर्जे भी बनाए जाएंगे। टोयोटा के इस बड़े निवेश से भारत में कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में कमी आएगी। टोयोटा कंपनी ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करेगी। टोयोटा की इस घोषणा के बाद भारत में होने वाले निवेश से कंपनी अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अग्रसर होती दिख रही है। 

 

टोयोटा की निर्माण शृंखला पहले चीन में भी चलती थी, लेकिन कोरोना के चलते वहां पर काम प्रभावित होने लगा। जापान ने निर्माण का सारा काम चीन में केन्द्रित कर रखा था, जिसका उसे कोरोना महामारी और उससे जुड़े लॉकडाऊन के दौरान बहुत नुक्सान हुआ और टोयोटा कार के निर्माण को कुछ समय के लिए रोकना भी पड़ा। माइक्रो चिप की कमी के चलते भी टोयोटा समेत कई कारों के निर्माण में बाधा आई थी। इसे देखते हुए न सिर्फ टोयोटा, बल्कि कई दूसरी कंपनियों ने भी अपने काम को दूसरी जगहों पर शिफ्ट करना जरूरी समझा। ऐसे में भारत एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है। 

 

वैसे तो टोयोटा कंपनी पिछले 25 वर्षों से भारत में काम कर रही है।  टोयोटा ने कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करते समय कहा कि वह अपनी कंपनी के लिए कर्नाटक राज्य को दुनिया की आपूर्ति श्रृंखला का केन्द्र बनाना चाहती है। वर्तमान में कर्नाटक के बिदादी में टोयोटा कार की कैमरी के हाइब्रिड माडल इन्नोवा और फॉच्र्यूनर का निर्माण हो रहा है, लेकिन कंपनी कर्नाटक में अपनी इलैक्ट्रिक कारों के कलपुर्जे भी बनाना चाहती है, जिसके लिए उसने हाल ही में बड़ा निवेश किया है। 

 

साथ ही टोयोटा स्थानीय स्तर पर अपने निर्माण कार्य को भी बढ़ाना चाहती है। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही गो ग्रीन, गो लोकल के साथ मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत टोयोटा कंपनी ने भारत में अनुकूल वातावरण को देखते हुए भारत को अपनी निर्माण स्थली बनाया है, जिससे दोनों देशों को वैश्विक स्तर पर लाभ होगा।


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