‘अग्निकांडों’ से जानलेवा बन रहे जीवन देने वाले ‘शीर्ष अस्पताल’

punjabkesari.in Friday, Oct 20, 2023 - 05:10 AM (IST)

अस्पतालों में जहां बीमार लोग नया जीवन पाने के लिए जाते हैं, वहीं समय-समय पर होने वाले अग्निकांडों से वे लोग बेमौत मर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2020 से अप्रैल 2022 के बीच देश के अस्पतालों में आग लगने की 29 बड़ी घटनाओं में 122 लोगों की मौत हुई। इस वर्ष अस्पतालों में अग्निकांडों की घटनाएं निम्न में दर्ज हैं : 

* 16 अक्तूबर को सुबह के समय पी.जी.आई. चंडीगढ़ के ‘एडवांस आई सैंटर’ के बेसमैंट में आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। इससे पूर्व 9 अक्तूबर को भी पी.जी.आई. के ‘नेहरू अस्पताल’ में भयंकर आग लगी थी। 
* 12 अक्तूबर को इंदौर (मध्य प्रदेश) के सी.एच.एल. अस्पताल की पहली मंजिल पर रात के समय आग लग जाने से सारे अस्पताल में धुआं भर गया और आई.सी.यू. में दाखिल 5 रोगी बाल-बाल बचे। 
* 23 अगस्त को हिसार के एक अस्पताल में आग लगने से एक मरीज की झुलस कर दर्दनाक मृत्यु हो गई। 

* 7 अगस्त को दिल्ली के एम्स की दूसरी मंजिल पर आग लगने से अफरातफरी मच गई। फायर ब्रिगेड की 8 गाडिय़ों ने आग पर काबू पाया और मरीजों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। 
* 30 जुलाई को अहमदाबाद (गुजरात) के एक अस्पताल में तड़के आग लग जाने से वहां विभिन्न वार्डों में उपचाराधीन 106 रोगियों को आनन-फानन में निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। 
* 12 जुलाई को कोटा (राजस्थान) के मैडीकल कालेज में एक रोगी को लगाए आक्सीजन मास्क में भड़की चिंगारी से आग लग जाने के कारण मास्क मरीज की गर्दन पर ही चिपक जाने से उसकी मौत हो गई।
* 9 जून को दिल्ली के एक जच्चा-बच्चा अस्पताल में आग लग गई लेकिन समय रहते पहुंचे अग्नि शमन दल ने वहां से 20 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया। 
* 16 मार्च को बनासकांठा (गुजरात) जिले के शिहोरी शहर के एक अस्पताल में शॉर्ट सॢकट के कारण आग लगने से एक बच्चे की मौत हो गई जबकि 2 अन्य बच्चे बुरी तरह झुलस गए। 
* 28 जनवरी रात को धनबाद (झारखंड) के हजारा अस्पताल में लगी भीषण आग के कारण डाक्टर दम्पति सहित 6 लोगों की मृत्यु हो गई। 

* 1 जनवरी को दिल्ली में ग्रेटर कैलाश इलाके के एक नर्सिंग होम में आग लगने से 2 लोगों की जल कर मौत हो गई।
* 1 जनवरी को ही अहमदाबाद (गुजरात) में आंखों के एक अस्पताल में आग लग जाने से अस्पताल के 2 कर्मचारियों की मौत हो गई। 

अस्पतालों में उपचाराधीन अधिकांश रोगियों के चलने-फिरने में असमर्थ होने के कारण आग लगने जैसी स्थिति में उनके लिए जान बचाना कठिन होता है, अत: वहां बचाव के समुचित प्रबंध होने आवश्यक हैं। इसके बावजूद अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अवहेलना और सुरक्षा ऑडिट न करवाए जाने के मामले सामने आते रहते हैं तथा देश में बड़ी संख्या में अस्पताल बिना फायर लाइसैंस के ही चल रहे हैं। अकेले मध्य प्रदेश के भोपाल में ही 190 अस्पताल ऐसे हैं जहां आग से निपटने के संतोषजनक इंतजाम नहीं पाए गए। इसी प्रकार ‘कैग’ ने इस वर्ष अप्रैल में एक रिपोर्ट में बताया था कि हिमाचल प्रदेश के 99 प्रमुख अस्पतालों में से किसी ने भी अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो आब्जैक्शन सर्टीफिकेट) प्राप्त नहीं किया।  

केंद्र सरकार ने 30 नवम्बर, 2020 को जारी आदेश के अंतर्गत देश भर के अस्पतालों और नॄसग होम्स को आग से सुरक्षा के उपायों का पालन करने के लिए कहा था और सुप्रीम कोर्ट भी सभी राज्यों के अस्पतालों में फायर सिक्योरिटी ऑडिट कराने और फायर डिपार्टमैंट से एन.ओ.सी. लेने का भी आदेश जारी कर चुकी है, परंतु इनका पालन नहीं किया जा रहा।अत: ड्यूटी के समय अस्पताल के संबंधित कर्मचारियों के सचेत रहने, किसी भी खराबी के लिए उन पर जिम्मेदारी तय करने, बिजली आदि के उपकरणों की नियमित जांच सुनिश्चित करने के अलावा ऐसी मौतों के लिए जिम्मेदार स्टाफ के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है, नहीं तो अस्पतालों में लोग बेमौत मरते ही रहेंगे।—विजय कुमार  


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