अपराधी गिरोहों की शरणस्थली बनी ‘तिहाड़ जेल’‘गैंगवार और हिंसा से हो रही लहू-लुहान’

punjabkesari.in Thursday, May 04, 2023 - 04:34 AM (IST)

9 जेलों पर आधारित नई दिल्ली की ‘तिहाड़ जेल’ दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा जेल परिसर है जिसे मुख्यत: एक ‘सुधार घर’ के रूप में विकसित किया गया था। इसका उद्देश्य जेल के अधिवासियों को दस्तकारी का प्रशिक्षण तथा सामान्य शिक्षा देकर कानून के आज्ञाकारी नागरिक बनाना था परंतु आज स्थिति बहुत बदल चुकी है तथा यह अपराधियों का सुधार घर न रह कर अपराधियों की शरणस्थली बन चुकी है। तिहाड़ जेल में गैंगवार का सिलसिला लंबे समय से जारी है तथा पिछले चंद वर्षों में इस जेल में गैंगवार की अनेक वारदातों में कई कैदियों की मौत और कुछ जेल कर्मियों सहित अनेक लोग घायल हुए हैं। इनके चंद उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं : 

* 2 जुलाई, 2020 को तिहाड़ जेल परिसर में बंद एक कैदी ने अपनी एक रिश्तेदार से हुए बलात्कार का बदला लेने के लिए इसी जेल में बंद एक अन्य कैदी की हत्या कर दी।
* 30 नवम्बर, 2020 को तिहाड़ की जेल नं. 3 में एक हत्या के आरोपी की जेल में बंद 3 अन्य कैदियों ने तेजधार हथियारों से हमला करके हत्या कर दी। 
* 14 अप्रैल, 2023 को ‘दिल्ली का दाऊद’ कहलाने वाले गैंगस्टर प्रिंस तेवतिया पर गैंगस्टर लारैंस बिश्नोई के चहेते ‘रोहित मोई’ गैंग के गुर्गों ने छुरों से वार करके उसकी हत्या कर दी तथा 4 अन्य कैदियों को घायल कर दिया। 

* और अब 2 मई को सुबह साढ़े 6 बजे तिहाड़ जेल में प्रतिद्वंद्वी गोगी गिरोह के 4 कैदियों ने गैंगस्टर ‘टिल्लू ताजपुरिया’ की हत्या कर दी। गौरतलब है कि सितम्बर, 2021 में रोहिणी अदालत में गोलीबारी की घटना के बाद से आरोपी टिल्लू प्रतिद्वंद्वी गिरोहों के निशाने पर था। उस पर हमला करने वाले दीपक उर्फ तीतर, योगेश उर्फ टुंडा, राजेश और रियाज खान उसी वार्ड के पहले फ्लोर पर बंद थे और ताजपुरिया ग्राऊंड फ्लोर पर था। उन्होंने फिल्मी स्टाइल में उच्च सुरक्षा वाले वार्ड की पहली मंजिल पर लगी लोहे की ग्रिल को कथित तौर पर काटा तथा बैड शीट की सहायता से नीचे उतर कर ताजपुरिया के शरीर पर 20 मिनट तक ग्रिल के लोहे से लगभग 90 वार किए। 

ये तो तिहाड़ जेल में आपराधिक गतिविधियों के चंद उदाहरण मात्र हैं। दिल्ली सरकार के जेल विभाग के प्रबंध अधीन तिहाड़ जेल में हाई प्रोफाइल कैदी बंद होने के कारण यहां अभेद्य सुरक्षा प्रबंधों की अपेक्षा की जाती है और कहा जाता है कि अधिकारियों की अनुमति के बिना परिंदा भी वहां नहीं जा सकता पर सरकार के इन दावों को यहां होने वाली ङ्क्षहसक घटनाएं झुठलाती हैं। वास्तव में अधिकारियों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण तो इसे ‘घूस महल’ तक का नाम दे दिया गया है जहां खर्च करने पर सब कुछ उपलब्ध है और जेल में कैदियों की भीड़ भी इस अव्यवस्था का एक बड़ा कारण है।

गैंगस्टरों की सुरक्षित शरणस्थली बन गई इस जेल में भी विभिन्न गिरोहों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। प्रारंभिक जांच में इस हत्या की साजिश में तिहाड़ जेल के चंद अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह भी पैदा होता है। तिहाड़ जेल में लगभग सवा पांच हजार कैदी रखने की क्षमता है जबकि 20 फरवरी, 2023 के आंकड़ों के अनुसार यहां इस समय 13000 कैदी बंद हैं।

उल्लेखनीय है कि जब देश की सर्वाधिक सुरक्षित जेल कहलाने वाली तिहाड़ जेल में सुरक्षा का यह हाल है तो देश की दूसरी जेलों में सुरक्षा की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। 
स्पष्टï है कि जब तक तिहाड़ सहित अन्य सब जेलों में सुरक्षा प्रणाली अभेद्य नहीं बनाई जाती, तब तक उनमें अपराध होते ही रहेंगे। इसे रोकने के लिए प्रशासन को तिहाड़ व अन्य जेलों में कैदियों की भीड़ कम करने, बुनियादी ढांचे की त्रुटियां दूर करने, वहां होने वाली अप्रिय घटनाओं के लिए स्टाफ की जिम्मेदारी तय करने और कत्र्तव्य निर्वहन में ढील बरतने वाले कर्मचारियों के विरुद्ध भी उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार


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