हिमाचल प्रदेश में भीषणतम स्कूल बस दुर्घटना

punjabkesari.in Wednesday, Apr 11, 2018 - 03:23 AM (IST)

देश में इन दिनों सड़क दुर्घटनाओं की बाढ़ सी आई हुई है तथा प्रतिदिन बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटनाओं में मौतें हो रही हैं। इसी कड़ी में 9 अप्रैल को हिमाचल में कांगड़ा जिले के नूरपुर में मलकवाल-ठेहड़ संपर्क मार्ग पर बच्चों को छोडऩे जा रही एक निजी स्कूल बस के 500 मीटर गहरी खाई में गिर जाने से उसमें सवार 23 बच्चों व ड्राइवर सहित 27 लोगों की मृत्यु हो गई। 

इसे हाल ही के वर्षों में होने वाली निकृष्टïतम स्कूल बस दुर्घटना माना जा रहा है। बस में सवार सभी बच्चे प्राइमरी कक्षाओं के थे। कई अभागे परिवारों की पूरी की पूरी दुनिया ही उजड़ गई और कई आंगन सूने हो गए। दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता तो जांच के बाद ही चलेगा, परंतु अपुष्टï समाचारों के अनुसार संभवत: ड्राइवर को दिल का दौरा पड़ा और वह वाहन से नियंत्रण खो बैठा जबकि एक अन्य समाचार के अनुसार एक बाइक को साइड देते समय यह दुर्घटना हुई। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 20 बच्चों की क्षमता वाली बस में कहीं अधिक छात्र बिठाए हुए थे और बस चालक गति सीमा नियमों का पालन भी नहीं कर रहा था। उल्लेखनीय है कि स्कूल बस में स्पीड गवर्नर होना जरूरी है तथा अधिकतम गति सीमा 40 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन इस गति सीमा का बहुत कम स्कूल बसों द्वारा ही पालन किया जा रहा है। 

नवीनतम दिशा निर्देशों में स्कूल बसों में जी.पी.एस. तथा सी.सी.टी.वी. कैमरों का होना भी जरूरी है और सी.सी.टी.वी. फुटेज 60 दिनों तक रखी जानी चाहिए ताकि जरूरत पडऩे पर पुलिस को दी जा सके परंतु शायद ही इन निर्देशों का पालन किया जाता हो। हालांकि प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा कर दी है परंतु इस घटना ने एक बार फिर स्कूली बच्चों के सुरक्षित आवागमन पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है जिसे सुनिश्चित करने के लिए स्कूली बसों संबंधी सुप्रीमकोर्ट के दिशा-निर्देशों का सख्तीपूर्वक पालन करना जरूरी है।—विजय कुमार 


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Pardeep

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