‘हिमाचल में फैलता नशों का जाल’ ‘लड़कियां भी अब होने लगीं इसकी शिकार’

punjabkesari.in Tuesday, Jul 26, 2022 - 04:30 AM (IST)

आज देश के अनेक राज्यों में नशे की लत महामारी की तरह फैलती जा रही है तथा हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा। अब तो प्रदेश में अफ्रीकी देशों के अलावा नेपाली और भारतीय तस्कर अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। 

वर्ष 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में पिछले एक दशक में नशे की तस्करी से जुड़े 6221 मामलों में 6175 भारतीयों तथा कई विदेशी नागरिकों को पकड़ा गया तथा प्रदेश में इसी महीने नशा कारोबार से जुड़े 2 दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। प्रदेश के कुछ इलाके ‘ड्रग टूरिज्म’ के लिए भी बदनाम हो गए हैं जहां सब तरह का नशा आसानी से मिलने के कारण प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। 

इसराईल सहित कुछ देशों के नशा प्रेमी पर्यटकों में तो हिमाचल काफी लोकप्रिय है। प्रति वर्ष बड़ी संख्या में इसराईली हिमाचल की धौलाधार शृंखला में बसे गांव ‘धर्मकोट’ में आकर रहते हैं। यहां तक कि यह गांव ‘तेलअवीव’ के नए नाम से पुकारा जाने लगा है। यहां हिब्रू शैली के अनेक ‘साइनेज’ भी बने हुए हैं तथा एक चार मंजिला ‘चबाड हाऊस’ (यहूदी सामुदायिक केंद्र) भी बना हुआ है। 

नशों की आसानी से उपलब्धता के कारण अब तो यहां भी मौज-मस्ती के लिए गोवा की भांति ही नशेडिय़ों की अवैध ‘रेव पार्टियां’ व ‘फुल मून पार्टियां’ आयोजित होने लगी हैं। इनमें नशे में धुत्त युवा ऊंची आवाज में बजाए जा रहे गीतों की धुन पर झूमते, नाचते-गाते तथा मस्ती करते हैं। पुलिस ने इसी वर्ष लाहौल-स्पीति जिले के ‘जिस्पा’ में पहली बार 1 तथा कुल्लू जिले में 5 ‘रेव पार्टियां’ पकड़ी हैं, जहां कई युवक-युवतियों को नशा करते हुए पकड़ कर अधिकारियों ने उनसे चरस, कोकीन, गांजा व एम.डी.एम.ए. नामक नशे के अलावा बड़े स्पीकर, एम्प्लीफायर, लैपटॉप, मिक्सर, जैनरेटर व हैडफोन आदि कब्जे में लिए हैं। 

आम तौर पर जंगलों आदि सुनसान और खुले स्थानों पर की जाने वाली इन पार्टियों के आयोजक इनमें शामिल होने वाले युवक-युवतियों से भारी रकम वसूल करते हैं। इसके बदले में उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं तथा नशा परोसा जाता है और ऊंचे संगीत की धुन पर मस्ती करवाई जाती है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार नशे की खेप के साथ पकड़े जा रहे लोगों में 70 प्रतिशत हिमाचली युवा हैं। युवकों के साथ-साथ प्रदेश की युवतियों में भी नशे का चलन बढ़ रहा है। हाल ही में मंडी जिले के करसोग में आठवीं कक्षा की एक 13 वर्षीय छात्रा चरस के नशे में धुत्त होकर अपने स्कूल पहुंच गई। 

स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा बुला कर पूछने पर छात्रा ने स्वीकार किया कि घर में अपने परिजनों को बीड़ी-सिगरेट और शराब पीते देखकर वह भी नशा करने की ओर प्रेरित हुई। इसी प्रकार एक वायरल वीडियो में रोहड़ू बाजार के साथ लगते ‘बखिरना पुल’ पर नशे में बेसुध 2 लड़कियां हुड़दंग मचाती और अपने पुरुष दोस्तों से लिपट कर गंदी भाषा का प्रयोग करती सुनाई दे रही थीं। 

निश्चित रूप से इस समस्या के साथ आॢथक पहलू जुड़ा हुआ है। अत: यदि इस समस्या पर नियंत्रण न पाया गया तो आने वाले वर्षों में यह बेकाबू हो कर युवा पीढ़ी को घुन की तरह खोखला कर देगी। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश की उस प्रतिष्ठा को भी बट्टा लगेगा जो यहां के पढ़े-लिखे और समझदार लोगों ने वर्षों की मेहनत के साथ बनाई है। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने नशे के कारोबार पर नकेल कसने के लिए ‘एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स’ (ए.एन.टी.एफ.) गठित करने का निर्णय किया है जिसमें सी.आई.डी. के ‘स्टेट नार्कोटिक्स क्राइम कंट्रोल  यूनिट’ (एस.एन.सी.सी.) को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। 

इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने नशीले पदार्थों की तस्करी, खेती, उत्पादन और खपत की गंभीर समस्या को रोकने के लिए ‘हिमाचल प्रदेश इंटैग्रेटिड ड्रग प्रिवैंशन पॉलिसी’ को भी स्वीकृति दे दी है। ये निर्णय अच्छे और सही हैं परंतु इनका लाभ तभी होगा यदि इन्हें तेजी से तथा कठोरतापूर्वक लागू किया जाए और इनके अंतर्गत पकड़े जाने वाले आरोपियों को शीघ्र और कठोरतम सजा दी जाए।—विजय कुमार


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