इसराईल-ईरान हमले दिन रात जारी : अब आगे क्या?

punjabkesari.in Monday, Jun 16, 2025 - 05:14 AM (IST)

इसराईल-ईरान युद्ध अभी शुरू ही हुआ है। पहले ही दिन इसराईल ने ईरान के 8 सेना जनरल, 6 परमाणु वैज्ञानिक मार गिराए और तेहरान से  135 मील दक्षिण पूर्व स्थित परमाणु स्थल नताज में भी क्षति पहुंचाई है। इसराईल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की है कि जितने दिन लगेंगे, इसराईल उतने दिनों तक, संभवत: कई सप्ताह तक, हमले जारी रखेगा ताकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करके उसकी सेना को तबाह किया जा सके। ईरान ने भी इसराईल पर ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं और उसके पास जवाबी कार्रवाई के कई अन्य विकल्प हैं जिसमें और अधिक रक्तपात की संभावना है, अत: यह देखना भी जरूरी है कि किन उपायों से यह युद्ध समाप्त किया जा सकता है। 

पहला विकल्प तो यह है कि ईरान ने इसराईल पर कई बार सैन्य हमले किए और अपने लोगों के सामनेे दावा किया कि उसने जवाबी हमला करके इसराईलियों को खून से लथपथ करके पीछे धकेल दिया है और वह संघर्ष विराम के लिए अमरीका तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को तुरंत स्वीकार कर ले। संक्षेप में आत्मसमर्पण अब करे ताकि फिर बाद में लड़ा जा सके। जिस प्रकार हिजबुल्ला जवाबी हमला किए बिना इसराईल की शर्तों पर संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गया था।दूसरी संभावना यह है कि ईरान डटा रहे और इसराईल के विरुद्ध कुछ आतंकवाद के रूप में या इसराईल की रक्षा को भेदने वाले कुछ मिसाइल हमले भी करे या अन्य तरीके अपनाए। जब तक युद्ध को रोकने के लिए इसराईल पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव न बने।

ज्यादातर जब इसराईल अपने दुश्मनों पर हमला करता है, तो उसे अक्सर अमरीका और प्रमुख यूरोपीय सहयोगियों से समर्थन मिलता है, लेकिन ये देश जल्दी ही शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करने लगते हैं, जबकि इस बार इसराईल हमले जारी रखना चाहता है। इसराईल को यूरोपीय देशों की राय की शायद ही परवाह हो, लेकिन यदि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नेतन्याहू पर वास्तविक दबाव डालेंं, तो इसराईल ऑपरेशन को छोटा कर सकता है। ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर इसराईल के हमलों के बाद वार्ता पर लौटने का आह्वान करते हुए लिखा है कि इससे पहले कि कुछ भी न बचे, ईरान को एक सौदा करना चाहिए, अब और मृत्यु नहीं, अब और विनाश नहीं, बस इसे करें, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। इस तरह की वार्ता तेहरान के लिए एक निश्चित आकर्षण रखती है-देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है और प्रतिबंधों में कमी का वादा आकर्षक है। ट्रम्प किसी भी रियायत का ढोंग करेंगे। इससे भी भयावह घटनाक्रम संभव है कि इसराईल-ईरान युद्ध एक क्षेत्रीय युद्ध में बदल जाए। इसराईली हमलों से पहले, ईरान ने मध्य-पूर्व में अमरीकी ठिकानों पर हमला करने की धमकी दी थी। अगर वे हमले हुए, तो यह बहुत अधिक संभावना है कि अमरीका बमबारी में शामिल हो जाएगा। 

अमरीका भी अपने निजी कारणों से इस हमले को बढ़ा सकता है। अमरीकी अधिकारी इस बात पर विचार कर सकते हैं कि इसराईल ने पहले ही आधा काम कर लिया है और अमरीका गहरी पैठ वाले हथियारों से बमबारी करके और इसराईल के शुरुआती हमलों के बाद जो कुछ भी बचा है, उसे निपटा कर काम पूरा कर सकता है। दूसरी ओर इसराईल पर हमला करने के लिए ईरान अपने सहयोगियों इराक, लेबनान, यमन आदि को बुला सकता है और ईरान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का भी उपयोग कर सकता हैै। हालांकि फिलहाल ऐसा होने की संभावना नहीं, मगर यह संभव है, कि अमरीका के अरब सहयोगी इसमें शामिल हो सकते हैं। जॉर्डन के सशस्त्र बलों ने पहले ही 13 जून को अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने वाली ईरानी मिसाइलों और ड्रोन को रोकने की सूचना दे दी है। एक अंतिम संभावना यह है कि युद्ध कभी खत्म नहीं होगा-कम से कम औपचारिक रूप से तो नहीं। हालांकि बड़े पैमाने पर इसराईली हमलों की लहरें किसी बिंदू पर रुक सकती हैं, लेकिन आने वाले महीनों में निम्न स्तरीय संघर्ष जारी रह सकता है। 

ईरान पर इसराईल कभी-कभार मिसाइल या हवाई हमला या ईरान में हत्या और तोडफ़ोड़ भी कर सकता है। ईरान समय-समय पर इसराईल पर गोलाबारी करेगा, साथ ही आतंकवाद और जवाबी हमले के अन्य प्रयास भी करेगा। यह पूर्ण युद्ध नहीं है, लेकिन यह शांति भी नहीं है। इसी तरह, अमरीका की मध्यस्थता वाला युद्ध विराम एक बड़े परमाणु समझौते की ओर पहला कदम हो सकता है। ईरान अल्पावधि के लिए हार मान सकता है, लेकिन उसका मानना है कि बदला लेना एक ऐसी प्रक्रिया है जो शांत मन से ही निपटानी चाहिए। इसी रणनीति के तहत आने वाले महीनों में ईरान प्रतिशोध के रूप में आतंकवादी हमले शुरू कर सकता है ।


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