महिलाओं व जमानत योग्य कैदियों की पहचान करने का सुप्रीम कोर्ट का आदेश
punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2024 - 05:34 AM (IST)
2018 की एक रिपोर्ट में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जेल में महिला कैदियों की खराब स्थिति का उल्लेख किया था। फिर 2021 में ‘राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो’ की एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में महिलाओं के लिए अलग जेलें होनी चाहिएंं। इस तरह के हालात में सुप्रीमकोर्ट ने 19 नवम्बर, 2024 को देश भर के जेल अधीक्षकों से जेलों में बंद जमानत योग्य विचाराधीन महिला कैदियों सहित सभी कैदियों की पहचान करने को कहा है। जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा :
‘‘जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बी.एन.एस.) की धारा 479 के अंतर्गत जमानत के योग्य हैं, ऐसे एक भी कैदी को जेल में नहीं रखना चाहिए। जेल अधीक्षकों को महिला विचाराधीन कैदियों की पहचान करने के लिए एक विशेष अभियान चलाना चाहिए जो धारा 479 के अंतर्गत जमानत की पात्र हैं।’’
धारा 479 के अनुसार, जिन कैदियों के विरुद्ध उम्र कैद के प्रावधान वाले या मृत्यु दंड जैसे गंभीर अपराध नहीं हैं, उन्हें अदालत द्वारा जमानत पर रिहा किया जाए, यदि वे उस अपराध के लिए निर्धारित एक तिहाई (पहली बार अपराध करने वालों) या अधिकतम निर्धारित सजा की आधे से अधिक (अन्य आरोपी विचाराधीन कैदियों के लिए) सजा काट चुके हों।
अलबत्ता एक से अधिक मामलों में मुकद्दमों का सामना कर रहे कैदी इस जमानत प्रावधान का लाभ नहीं उठा सकते। जजों ने विचाराधीन कैदियों संबंधी आंकड़े देखने के बाद इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि पहली बार अपराध करने वाले अनेक विचाराधीन कैदियों को मातहत अदालतों द्वारा जमानत नहीं दी जा रही है। इस समय जबकि देश की जेलें क्षमता से अधिक भीड़ की समस्या से ग्रस्त हैं, सुप्रीमकोर्ट के उक्त आदेश पर अमल करने से जेलों में भीड़ कुछ कम होगी।—विजय कुमार