‘चुनावी बांड योजना को लेकर’ सुप्रीमकोर्ट का ‘स्टेट बैंक को झटका’

punjabkesari.in Tuesday, Mar 12, 2024 - 05:11 AM (IST)

15 फरवरी, 2024 को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला व मनोज मिश्रा पर आधारित संविधान पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राजनीतिक दलों को आॢथक मदद के लिए शुरू की गई ‘चुनावी बांड’ योजना रद्द कर दी। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) को 12 अप्रैल, 2019 के बाद से सभी ‘चुनावी बांडों’ की खरीद का विवरण 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग को देने का निर्देश दे दिया और उससे कहा कि निर्वाचन आयोग 13 मार्च तक अपनी वैबसाइट पर इसे उपलब्ध करवा दे। 

और अब 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने ‘चुनावी बांड’ संबंधी जानकारी का खुलासा करने के लिए स्टेट बैंक की ओर से समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए बैंक को 12 मार्च को कामकाजी घंटे समाप्त होने तक ‘चुनावी बांड’  संबंधी विवरण निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करवाने तथा इसके साथ ही निर्वाचन आयोग को 15 मार्च को शाम 5 बजे तक इसे अपनी वैबसाइट पर पब्लिश करने का आदेश दे दिया है। माननीय न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि ‘‘स्टेट बैंक द्वारा उक्त निर्देशों और समय सीमा का पालन करने में विफल रहने पर अदालत अपने 15 फरवरी के फैसले की ‘जानबूझकर अवज्ञा’ करने के लिए उसके विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है।

आपको कहां दिक्कत आ रही है? आपके पास तो सीलबंद लिफाफा है।  उसे खोलें और अदालत को आंकड़ा उपलब्ध करवाएं।’’ अदालत ने एस.बी.आई. को यह भी बताने को कहा कि उनके15 फरवरी के फैसले में दिए गए निर्देशों के पालन के लिए उसने क्या कदम उठाए? अदालत ने एस.बी.आई. के वकील हरीश साल्वे के किसी भी तर्क को स्वीकार नहीं किया और कहा, ‘‘जिस आधार पर आप अतिरिक्त समय मांग रहे हैं वह हमारे जारी किए हुए निर्देशों से बिल्कुल मेल नहीं खाता।’’ कानूनी जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के कहने का मतलब यह है कि एस.बी.आई. को खरीदे गए ‘चुनावी बांडों’ और भुनाए गए बांडों के सभी विवरण जमा करने होंगे। इससे पता चल जाएगा कि ‘चुनावी बांड’ किसने खरीदा और किस पार्टी को कितना मिला है। 

इस बीच चुनाव सुधार संस्था ‘एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफाम्र्स’  ने कहा है कि राष्ट्रीय वित्तीय वर्ष 2004-05 से 2022-23 के बीच सभी राष्ट्रीय दलों ने अज्ञात स्रोतों से 19083.08 करोड़ रुपए से अधिक आय एकत्रित की। इसमें से वर्ष 2022-23 के दौरान भाजपा ने अज्ञात स्रोतों से 1400 करोड़ रुपए से अधिक आय घोषित की है। ए.डी.आर. के अनुसार विभिन्न राजनीतिक दलों को अब तक ‘चुनावी बांड’ के जरिए 16,000 करोड़ रुपए से अधिक राशि प्राप्त हुई, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा (6565 करोड़ रुपए) भाजपा को मिलने का अनुमान है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अनुसार,‘‘बांड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पारदॢशता, जवाबदेही और लोकतंत्र में बराबरी के मौके की जीत है।’’राहुल गांधी के अनुसार,‘‘यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित होने जा रहा है। इसकी क्रोनोलॉजी स्पष्ट है-चंदा दो-धंधा लो, चंदा दो-प्रोटैक्शन लो। चंदा देने वालों पर कृपा की बौछार और आम जनता पर टैक्स की मार। यही है भाजपा की मोदी सरकार।’’ 

कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा,‘‘सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र को साजिशों से बचाने के लिए सामने आया है।’’सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के अनुसार,‘‘ इस सूची से पता चल जाएगा कि ‘चुनावी बांड’ किन-किन लोगों से सम्बन्धित हैं।’’बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के इस साहसिक फैसले को एस.बी.आई. के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है तथा इससे एक बार फिर इस तथ्य की पुष्टिï हो गई है कि इस समय जबकि विधायिका और कार्यपालिका लगभग निष्क्रिय हो गई हैं, जनता के हितों के पहरेदार के रूप में न्यायपालिका और मीडिया बेखौफ होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 11 मार्च को सुप्रीमकोर्ट का फैसला आते ही एस.बी.आई. के शेयरों में कम से कम 2 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। याद रहे कि निर्वाचन आयोग पहले ही कह चुका है कि चंदा देने वाले की पहचान उजागर होनी चाहिए।—विजय कुमार 


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