सुप्रीम कोर्ट का फैसला ‘दुर्घटनाओं में जिंदगियां बचाने के लिए’ ‘कैशलैस ट्रीटमैंट योजना’ जल्द लागू हो

punjabkesari.in Saturday, Apr 12, 2025 - 05:46 AM (IST)

भारत का नंबर सड़कहादसों में होने वाली मौतों के मामलों में दुनिया में पहले स्थान पर आता है। 2022 में भारत में कुल 4.61 लाख सड़क हादसे हुए थे जिनमें 1.68 लाख लोगों की मौत हो गई थी। 2023 में भी भारत में हुए कुल 4.80 लाख सड़क हादसों में 1.72 लाख लोगों की मौत हो गई। इनमें से हजारों मौतें हादसों के पीड़ितों को पैसे के अभाव में समय पर इलाज न मिलने के कारण हुईं। इन मौतों का संज्ञान लेते हुए 8 जनवरी को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत केंद्र सरकार को ‘गोल्डन आवर’ अवधि में वाहन दुर्घटना पीड़ितों के कैशलैस मैडीकल ट्रीटमैंट के लिए 14 मार्च तक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था। 

‘गोल्डन आवर’ का मतलब, दुर्घटना के तुरंत बाद का पहला एक घंटा है जो काफी अहम होता है जिसके भीतर उपचार उपलब्ध करवाने पर घायल की जान बचने की सर्वाधिक संभावना रहती है। तय तिथि 14 मार्च तक योजना तैयार न करने के कारण अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस ‘अभय एस. ओका’ और जस्टिस ‘उज्जल भुइयां’ की पीठ ने कहा कि ‘‘सरकार को दिया गया समय 15 मार्च, 2025 को ही समाप्त हो गया है। यह न केवल कोर्ट के आदेशों का गंभीर उल्लंघन है, बल्कि एक बहुत ही कल्याणकारी कानून को लागू करने में भी कोताही  है। हम सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव को यह बताने का निर्देश देते हैं कि कोर्ट के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया।’’

केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में पेश हुए एडीशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने अदालत में कहा कि इसमें ‘अड़चनें’ हैं। इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि ‘‘यह आपका अपना कानून है, लोग जान गंवा रहे हैं क्योंकि कैशलैस इलाज की कोई सुविधा नहीं है।’’ केंद्र सरकार को लगी सुप्रीम कोर्र्ट की फटकार के बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को तुरंत यह योजना लागू करनी चाहिए ताकि दुर्घटना में घायल होने वाले लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकें।—विजय कुमार


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