मध्य प्रदेश के चुनावों की चंद दिलचस्प बातें

punjabkesari.in Wednesday, Oct 25, 2023 - 05:27 AM (IST)

अगले महीने होने जा रहे पांच राज्यों के चुनावों में सर्वाधिक चर्चा मध्य प्रदेश और राजस्थान की है, जहां भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे से सत्ता छीनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। मध्य प्रदेश में अनेक दिलचस्प चीजें दिखने को मिल रही हैं। यहां तरह-तरह के उम्मीदवार सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं ‘इंदौरी धरती पकड़’ के नाम से मशहूर परमानंद तौलानी (65)। वह लोकसभा, विधानसभा और नगर निगम का चुनाव लड़ कर 18 बार जमानत जब्त होने के बावजूद अब 19वीं बार ‘इंदौर-4’ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इतनी पराजयों के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनका कहना है कि इंदौर के समझदार मतदाता एक न एक दिन उन्हें चुनाव जरूर जिताएंगे। 

इनके अलावा राज्य में कुछ रिश्तेदार भी आपस में टकरा रहे हैं। नर्मदा पुरम में 33 वर्षों से भाजपा से जुड़े रहे 2 भाइयों सीताशरण शर्मा (छोटे) और गिरिजा शंकर शर्मा (बड़े) के बीच मुकाबला है। भाजपा टिकट पर दोनों भाई इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।इस बार जब गिरिजा शंकर को भनक लगी कि भाजपा उन्हें टिकट नहीं देने जा रही तो उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया और अब अपने भाई तथा भाजपा प्रत्याशी सीताशरण शर्मा के विरुद्ध चुनाव में मैदान में हैं। गिरिजा शंकर शर्मा का कहना है कि चुनाव से पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीं होता और मैं यह चुनाव जीतने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ूंगा। 

‘बुधनी’ सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं और उनके मुकाबले कांग्रेस ने एक सीरियल में हनुमान की भूमिका निभा चुके अभिनेता ‘विक्रम मस्ताल’ को उम्मीदवार बनाया है। अब यह देखना रोचक होगा कि नेता और अभिनेता में किसका पलड़ा भारी रहता है। मध्य प्रदेश में एक रोचक चुनावी टक्कर समधी-समधन के बीच भी होने जा रही है। ‘डबरा’ विधानसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व मंत्री इमरती देवी को दोबारा टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने उनके समधी सुरेश राजे को उनके विरुद्ध चुनाव में उतारा है। 

इमरती देवी पहले कांग्रेस में थीं। इन दोनों के बीच यह तीसरा मुकाबला होगा। पिछले चुनाव में सुरेश राजे ने इमरती को 7000 वोटों से हराया था। मध्य प्रदेश में ‘देव तालाब’ सीट पर मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच है। तीन बार के विधायक और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम (भाजपा) तथा उनके भतीजे पामेश गौतम कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। विंध्याचल के ‘सफेद शेर’ के नाम से मशहूर गिरीश गौतम 1985, 1993 और 1998 में भाकपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर हारते रहे, जबकि 2003 में इन्होंने ‘कमल’ के चिन्ह पर चुनाव लड़ कर पहली बार विजय का स्वाद चखा। चाचा-भतीजे में मुकाबला कांटे का माना जा रहा है क्योंकि पिछली बार गिरीश गौतम 1080 वोटों के मामूली अंतर से ही जीते थे। ‘तिमारनी’ विधानसभा सीट पर भी मुकाबला चाचा-भतीजे के बीच ही है। यहां भाजपा ने 3 बार के वर्तमान विधायक संजय शाह को टिकट दिया है, जिनका दूसरी बार मुकाबला कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उनके भतीजे अभिजीत शाह से होने जा रहा है। ये एक भूतपूर्व शाही परिवार से संबंध रखते हैं और दोनों का ही बैतूल-हरदा संसदीय क्षेत्र में काफी प्रभाव है। पिछली बार चाचा-भतीजा में जीत का अंतर 2213 वोटों का था। 

जहां मध्य प्रदेश में रिश्तेदारों में टक्कर होने जा रही है, वहीं इन चुनावों में इस बार साधु-संतों, बाबाओं और कथा वाचकों के प्रवेश के साथ ही तंत्र-मंत्र और जादू-टोने की एंट्री भी हो गई है। हाल ही में वायरल एक वीडियो में महाकाल की नगरी उज्जैन के ‘चक्रतीर्थ श्मशान घाट’ में रात के 2 बजे सन्नाटे के बीच 6 तांत्रिक धधकती चिताओं के बीच कमलनाथ का फोटो लेकर मंत्रोच्चारण करते नजर आ रहे हैं। तंत्र क्रिया के दौरान उनके पास पुतलियां, हवन सामग्री, नींबू और शराब भी रखी दिखाई दे रही है। इस वीडियो के सामने आते ही भाजपा को कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है। इस पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि, ‘‘कमलनाथ कर रहे तंत्र-मंत्र लेकिन हमें चाहिए लोकतंत्र।’’मध्य प्रदेश के चुनावों में कुछ इस तरह के घटनाक्रमों ने चुनावों को काफी दिलचस्प बना दिया है लेकिन अभी चूंकि मतदान होने में समय है, अत: आगे-आगे देखिए होता है क्या! —विजय कुमार


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