विवाह समारोहों में ‘अब आ रहे कुछ अच्छे बदलाव’

punjabkesari.in Thursday, Oct 25, 2018 - 04:25 AM (IST)

विवाह की बात चले और दहेज का उल्लेख न हो तो बात कुछ अटपटी-सी लगती है। पुरातन काल से विवाह और दहेज आदि का चोली-दामन का साथ चला आ रहा है जिसके चलते कन्या पक्ष पर भारी बोझ भी पड़ जाता है परंतु इसी समाज में ऐसे लोग भी मौजूद हैं जो कुछ अच्छा करने में विश्वास रखते हैं और विवाह जैसे पवित्र अवसर को अपने नेक कार्य से अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय बनाकर एक मिसाल पैदा कर रहे हैं। 

23 जून को मध्यप्रदेश में बैतूल की मुल्ताई तहसील के हिवरखेड़ गांव में आराधना की सुभाष गावंडे से शादी के अवसर पर दोनों ने ही अपने विवाह के जो कार्ड छपवाए उन पर लोगों से दहेज प्रथा समाप्त करने की अपील करते हुए लिखवाया कि ‘‘इस विवाह में दहेज प्रथा पूर्णत: प्रतिबंधित है तथा दहेज का लेन-देन बंद होने से अनेक परिवार बर्बाद होने से बच जाएंगे।’’ 27 जून को राजस्थान में रत्नगढ़ तहसील के गांव पाबुसर में अध्यापक किशोर कुमार शर्मा ने अपनी बेटी शकुंतला के विवाह के अवसर पर दोपहिया वाहन चलाते समय सड़क सुरक्षा संबंधी संदेश देने के लिए दूल्हे समेत बारात में शामिल सभी 150 बारातियों को हैल्मेट भेंट किए और उन्हें शपथ दिलवाई कि वाहन चलाते समय वे इनका उपयोग करेंगे। हैल्मेटों पर ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का संदेश देने वाला स्टीकर भी लगाया गया। 

28 जून को मध्यप्रदेश के मुरैना के रथोलकापुरा में गुर्जर समुदाय के एक परिवार ने एक स्थानीय संत श्री हरि गिरि द्वारा चलाए जा रहे दहेज बंदी अभियान से प्रेरित होकर अपने बेटे संदीप की शादी में मिली 5.11 लाख रुपए की राशि गांव में भगवान शंकर के मंदिर के निर्माण के लिए दान कर दी जिसके लिए इस परिवार की खूब प्रशंसा हो रही है। 16 अक्तूबर को लुधियाना जिले के झुनेर गांव के डाक्टर कुलविंद्र गिल और बूटाहरी गांव की गुरशमन कौर ने अपने विवाह को यादगार बनाने के लिए विवाह से पूर्व अमरगढ़ में एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें उन्होंने स्वयं और आमंत्रित नाते-रिश्तेदारों ने रक्तदान किया। इसके लिए एक ब्लड बैंक से डाक्टरों की टीम को आमंत्रित किया गया और लगभग 40 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। नव दम्पति के माता-पिता ने इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अपने बच्चों द्वारा अपने विवाह को अनुकरणीय बनाने के लिए अपनाए गए उपाय से वे अत्यंत प्रसन्न हैं। 

21 अक्तूबर को फाजिल्का के श्री रेशम लाल छाबड़ा ने अपने बेटे अंकुश छाबड़ा का ‘नशामुक्त विवाह समारोह’ आयोजित किया। इनके परिवार में चूंकि कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार का नशा नहीं करता इसलिए वह अपने मेहमानों को भी यही संदेश देना चाहते थे। उन्होंने इस अवसर पर अपने यहां ‘नशामुक्त विवाह’ का बैनर भी लगाया हुआ था। 21 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के बहराइच के अब्दुल कलाम का विवाह खुर्रमनगर, लखनऊ की युवती से होना तय हुआ। निश्चित समय पर बारात दुल्हन के घर पहुंची तो एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में दूल्हे अब्दुल कलाम ने शादी के दौरान दहेज कम मिलने की शिकायत करते हुए सोने की चेन और मोटरसाइकिल की मांग पेश कर दी और मांग पूरी न होने पर शादी न करने की धमकी भी दे डाली। 

इस पर क्रोध में आकर वधू पक्ष ने न सिर्फ दूल्हे को बंधक बना लिया बल्कि उसका सिर मूंड कर और बारातियों की पिटाई करके बारात को दुल्हन के बगैर बैरंग ही लौटा दिया। आम विवाह समारोहों से हट कर कुछ अलग किस्म के उक्त विवाह समारोह लोगों को शादी-विवाहों में दहेज का लेन-देन न करने, नशा न करने, सड़क सुरक्षा के लिए हैल्मेट का उपयोग करने और दहेज में प्राप्त राशि का नेक कार्यों के लिए इस्तेमाल करने का संदेश देते हैं। लोगों को इन सकारात्मक बदलावों को अपनाना चाहिए ताकि देश और समाज तरक्की कर सके।—विजय कुमार


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Pardeep

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