‘पढि़ए और हंसिए’ ये हैं हमारे चंद नेताओं के बयान

punjabkesari.in Friday, Sep 16, 2022 - 07:17 AM (IST)

हमारे चंद नेतागण आज के तनावपूर्ण माहौल में वातावरण शांत करने वाले बयान देने की बजाय उल्टे-सीधे बयान देकर माहौल को और बिगाड़ रहे हैं जो पिछले चंद दिनों के निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है : 

* 1 सितम्बर को बलरामपुर (छत्तीसगढ़) में राज्य के शिक्षा मंत्री प्रेम साईं सिंह टेकाम ने नशा मुक्ति कार्यक्रम में भाषण देते हुए फरमाया, ‘‘शराब लोगों को एकजुट करती है। इसका सेवन नियंत्रित तरीके से करना चाहिए तथा इसमें सही मात्रा में पानी मिलाकर पीने से बीमारियां खत्म होती हैं।’’
इसी प्रकार एक अन्य बयान में उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास सड़क की खराब स्थिति को लेकर लोगों के फोन आते हैं लेकिन जहां की सड़कें खराब होती हैं वहां दुर्घटनाएं कम होती हैं और लोग कम मरते हैं।’’ उनके इस बयान पर टिप्पणी करते हुए विपक्षी दल भाजपा ने कहा है कि, ‘‘छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में कार्टूनों की कमी नहीं है।’’ 

* 9 सितम्बर को तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने ममता बनर्जी की मौजूदगी में आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा, ‘‘यदि भाजपा के कार्यकत्र्ता हमारी ओर उंगली उठाएंगे या फिर हमें धमकी देंगे तो तृणमूल कांग्रेस के कार्यकत्र्ता उन्हें काट डालेंगे।’’
* 10 सितम्बर को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा, ‘‘बिहार में तो हम लोगों ने कई तरह के जोड़ों को बनते और बिगड़ते हुए देखा है। केवल एक ही जोड़ नहीं टूटा और वह मुख्यमंत्री की कुर्सी और नीतीश कुमार के बीच का है।’’ ‘‘ऐसी बाजीगरी केवल नीतीश कुमार ही कर सकते हैं इसलिए मैंने कहा कि फेवीकोल को इन्हें अपना ब्रांड एम्बैसेडर बना लेना चाहिए क्योंकि कुर्सी के साथ उनका जोड़ टूटता ही नहीं है।’’ 

* 13 सितम्बर को आल इंडिया इमाम संघ के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने मदरसों के सर्वे को लेकर भड़काऊ बयान देते हुए कहा, ‘‘प्राइवेट मदरसों का सर्वे करने वाली टीम को चप्पलों से पीटो।’’
* 13 सितम्बर को ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री तथा ‘हिन्दुस्तान अवाम पार्टी’ (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बलात्कार जैसी जघन्य घटना पर शर्मनाक बयान देते हुए कहा :
‘‘बिहार बड़ा राज्य है। ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। हो सकता है कि यह नीतीश सरकार को बदनाम करने की साजिश हो। यहां एक करोड़ या आधा करोड़ की जनसंख्या नहीं है।’’ ‘‘वैसे भी कहा जाता है कि जहां ज्यादा बर्तन रहते हैं वहां आपस में टकराते ही हैं। बिहार की आबादी 18 करोड़ है। कुछ न कुछ इस तरह की बातें होती ही रहती हैं।’’ 

* 14  सितम्बर को ए.आई.एम.आई.एम. के प्रधान असदुद्दीन ओवैसी प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए बोले, ‘‘देश में जब भी महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे उठाए जाते हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीते से भी तेज भागते हैं। ऐसे मामलों में वह काफी तेज हैं। हम कह रहे हैं कि थोड़ा धीमा हो जाएं।’’ 

* 14 सितम्बर को तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रमुक के सांसद ए. राजा ने कथित रूप से एक वर्ग विशेष की तुलना वेश्याओं से करते हुए उन्हें भड़काने की कोशिश की।
* 14 सितम्बर को ही हिन्दी दिवस पर कर्नाटक में जद (एस) के प्रदेशाध्यक्ष सी.एम. इब्राहिम ने हिन्दी बोलने वालों की तुलना गोलगप्पे बेचने वालों से की और मुख्यमंत्री बोम्मई पर केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य में हिन्दी भाषा थोपने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘हमें हिन्दी सीखने और गोलगप्पे बेचने के लिए उत्तर भारत जाने की जरूरत नहीं है। गुजरात और हिन्दी भाषी राज्यों के ये सभी लोग यहां पानीपूरी बेचने आते हैं। 

* 15 सितम्बर को उत्तर प्रदेश में मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद बागपत में बोले, ‘‘देश में मंदिरों के निकट जितनी भी मस्जिदें बनी हैं उन सबको हटा दिया जाए।’’
इसके उत्तर में देवबंदी उलेमा मौलाना कारी मुस्तफा देहलवी ने कहा है, ‘‘ऐसे लोगों का दिमाग खराब हो चुका है। उन्हें अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए। ऐसे मंत्री को तुरंत बर्खास्त कर जेल भेज देना चाहिए।’’ निश्चय ही इस प्रकार की बयानबाजी को कदापि उचित नहीं कहा जा सकता। इसके लिए जिम्मेदार लोगों को ऐसा करने से रोकने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान करने की आवश्यकता है।—विजय कुमार 


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