पुतिन और विश्व के समस्त देश समझ लें कि अब युद्ध लड़ने का तरीका बदल गया

punjabkesari.in Monday, Nov 14, 2022 - 03:52 AM (IST)

इस वर्ष 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद अपने कब्जे में लिए खेरसोन इलाके से गत बुधवार को रूसी सेना को हटाने के निर्देश जारी करने के बाद रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु तथा जनरलों के चेहरे उतरे हुए हैं। युद्ध की शुरुआत के समय ये सब पुतिन का स्तुतिगान करते हुए अपने देशवासियों को बता रहे थे कि रूस युद्ध में कुछ ही दिनों में यूक्रेन को मात दे देगा पर युद्ध शुरू होने के 9 महीने बाद भी ऐसा नहीं हो पाया है। 

अमरीकी मीडिया के अनुसार दोनों पक्षों के कम से कम 2 लाख लोग इस युद्ध में मारे जा चुके हैं लेकिन इतना सब होने के बावजूद रूस इस युद्ध में निर्णायक जीत की ओर आगे नहीं बढ़ सका है बल्कि उसे सितंबर में यूक्रेन से अलग किए गए खेरसोन इलाके से भी अपनी सेना पीछे हटानी पड़ी है। रूसी कमांडर ने साफ कहा है कि वे खेरसोन में अब अपने सैनिकों तक सामान और रसद की आपूर्ति करने में विफल रहने के कारण अपनी सेना को शहर से बाहर निकलने को कह रहे हैं। 

पुतिन के इस फैसले को लेकर पश्चिमी देशों का मीडिया उनकी हार के तौर पर प्रचारित कर रहा है। यूक्रेन की सेना का कहना है कि रूस का सैनिकों को पीछे हटाने की बात करना उसकी एक चाल भी हो सकती है। इस बीच रूसी मीडिया अभी भी पुतिन के बचाव में है। जब उनके एक जनरल और प्रतिरक्षा विशेषज्ञ ने टी.वी. पर बैठ कर पीछे हटने की घोषणा की, उस समय पुतिन का चेहरा भी दिखाई नहीं दे रहा था। 

इस बीच रूस की आम जनता पुतिन का समर्थन कर रही है लेकिन रूस के सभ्य वर्ग में पुतिन की साख को इस कदम से आघात जरूर लगा है तथा उनके विरुद्ध कुछ आवाजें भी उठने लगी हैं। खेरसोन से रूसी सेनाओं के पीछे हटने का पुतिन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। 

पुतिन और विश्व भर में सभी देश ये समझ रहे हैं कि अब युद्ध करने का तरीका बदल गया है। जिस प्रकार 15वीं शताब्दी में युद्ध में हाथियों की जगह गनपाऊडर ने ले ली थी या प्रथम विश्व युद्ध में मशीनगन ने तोपों की जगह या द्वितीय विश्व युद्ध में वी 2 राकेट, टैंक और बाम्बर ने ले ली, उसी प्रकार इस बार यह स्पष्ट हो गया है कि लड़ाई पैदल सैनिकों से नहीं बल्कि ड्रोन, लम्बी दूरी की मिसाइलों, होवित्जर गनों, हिमार्स सिस्टम, एयर डिफैंस सिस्टम और टैक्नोलाजी से जीती जाएगी। ऐसे में युद्ध का इतना लम्बा चलना और रूसी सेनाओं का पीछे हटना पुतिन की समझ, युद्ध कौशल और प्रतिष्ठा पर यकीनन एक धब्बा तो है। 


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