‘लोगों को सही जानकारी देने में’ प्रिंट मीडिया भरोसे की कसौटी पर उतर रहा खरा!

punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 06:26 AM (IST)

समाचारपत्र पढऩे से लोगों का सामान्य ज्ञान और सामयिक घटनाओं बारे जानकारी बढ़ती है। भाषा और शब्दावली बेहतर होती है। आलोचनात्मक सोच का विकास होता है। प्रिंट मीडिया लोगों का ‘स्क्रीन टाइम’ कम करता है। ‘आडिट ब्यूरो आफ सर्कुलेशन्स’ (ए.बी.सी.) ने जनवरी-जून-2025 की आडिट अवधि के लिए प्रामाणिक प्रसार आंकड़े जारी किए हैं तथा इस अवधि में दैनिक समाचारपत्रों के प्रसार में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस दौरान दैनिक समाचारपत्रों की बिक्री 29,744,148 प्रतियां रही जबकि पिछली अवधि (जुलाई-दिसम्बर-2024) के दौरान यह 28,941,876 प्रतियां थी। यह 2.77 प्रतिशत (8,02,272 प्रतियां) की वृद्धि है जो प्रिंट मीडिया उद्योग में बेहतरी के ट्रैंड को दर्शाता है और आज भी लोग विश्वसनीय, तथ्यपूर्ण और सम्पूर्ण जानकारी के लिए समाचारपत्रों पर ही भरोसा करते हैं। 

कुछ समय पहले यह कहा जाने लगा था कि प्रिंट मीडिया को सोशल मीडिया  खा जाएगा लेकिन इस लेख के आरंभ में दिए गए आंकड़ों से स्पष्टï है कि कारोबारियों द्वारा नियंत्रित सोशल मीडिया द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर जागरूक पाठक भरोसा नहीं करते और खबर की प्रमाणिकता जानने के लिए समाचारपत्रों पर ही भरोसा करते हैं। इसी सिलसिले में राज्यसभा के उप सभापति ‘हरिवंश’ ने 21 जून, 2025 को भोपाल (मध्य प्रदेश) में एक समारोह में कहा था कि ‘‘सोशल मीडिया दोधारी तलवार है। यदि इसकी स्वतंत्रता को नियंत्रित न किया गया तो हमारी स्वतंत्रता पर खतरा आ जाएगा। दूसरी ओर प्रिंट मीडियाआज भी जिम्मेदार है तथा समाचारपत्रों की प्रमाणिकता आज भी सबसे ऊपर है। यदि ऐसा न होता तो समाचारपत्रों की प्रसार संख्या में वृद्धि न होती, बल्कि उसमें कमी आती।’’ 

सटीक खबरें देकर लोगों की जानकारी में वृद्धि करने में प्रिंट मीडिया का महत्व आज भी उतना ही है जितना पहले था। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर दी जाने वाली फालतू खबरें देखकर अपना समय नष्टï करने की बजाय छात्रों को अखबार पढ़कर उनमें विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने की इच्छा को बढ़ावा देने के लिए कुछ राज्य सरकारों द्वारा स्कूलों में सुबह की प्रार्थना सभा में बच्चों को अखबारें पढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जाने लगा है। इसी पृष्ठïभूमि में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक सरकारी स्कूल के औचक निरीक्षण के दौरान छात्रों के अधूरे ज्ञान पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए छात्रों का सामान्य ज्ञान सुधारने के लिए प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के प्रमुखों को नियमित रूप से अंग्रेजी तथा ङ्क्षहदी के समाचारपत्र मंगवाने का आदेश दिया है और वहां के सरकारी स्कूलों में अब सुबह की असैम्बली में छात्रों के लिए समाचारपत्र पढऩा अनिवार्य कर दिया गया है। 

इस फैसले के बारे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि इस तरह की पहल विद्याॢथयों को प्रतियोगी परीक्षाओं तथा दुनिया की वास्तविक चुनौतियों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी 21 मई, 2025 को कहा था कि समाचारपत्रों का मतलब है विश्वसनीयता, जिससे लोकतंत्र की आत्मा को छूने की कोशिश की जाती है। इसी प्रकार  2 फरवरी, 2025 को ‘प्रैस एसोसिएशन आफ इंडिया’ द्वारा पटना में आयोजित ‘संवाद से समाधान-लिट्टा चोखा’ में बोलते हुए बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के संयुक्त निदेशक ने कहा कि ‘‘सच्ची और सटीक खबरों से ही समाचारपत्रों की विश्वसनीयता बढ़ती है। आज सोशल मीडिया के युग में भी समाचारपत्रों की विश्वसनीयता कायम है।’’ 

इसीलिए हम कहते हैं कि समाचारपत्रों की विश्वसनीयता पहले भी थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। भारत में सोशल मीडिया के जमाने में अखबारों की बिक्री बढऩे से स्पष्टï है कि सही और तथ्यपूर्ण जानकारी के लिए अभी भी प्रिंट मीडिया पर लोगों का भरोसा कायम है। प्रिंट मीडिया ने खबरों में संतुलन बना कर लोगों का भरोसा जीता है और यह आगे भी कायम रहेगा।—विजय कुमार


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