मलेशिया व अन्य देशों द्वारा किशोरों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर बैन लगाना सही

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 05:40 AM (IST)

आज इंटरनैट के जमाने में हर चीज मोबाइल में उपलब्ध होने के कारण सोशल मीडिया का महत्व बहुत बढ़ गया है और लोग बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे जहां उपयोगी जानकारी मिलती है वहीं इस पर उपलब्ध गलत और आपत्तिजनक सामग्री बच्चों के लिए हानिकारक भी सिद्ध हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 99 प्रतिशत बच्चे मोबाइल की लत के शिकार हैं। स्कूल हो या घर, हर जगह बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते रहते हैं। सोशल मीडिया का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा असर डाल रहा है 
और बच्चों में नींद की कमी भी देखी गई है। यह बच्चों में डिप्रैशन, ङ्क्षचता और तनाव उत्पन्न करने का कारण भी बन रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अधिक समय बिताने के कारण इंटरनैट की लत लगने से बच्चों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है तथा माता-पिता के साथ उनकी दूरी एवं स्वभाव में ङ्क्षहसक प्रवृत्ति बढऩे के साथ-साथ एकाग्रता में कमी आ रही है।

सोशल मीडिया पर आसानी से अश्लील सामग्री उपलब्ध होने के कारण भी बच्चों का चरित्र खराब होने और उनमें ङ्क्षहसक भावना बढऩे की संभावना रहती है। इसी कारण गत वर्ष अमरीका के फ्लोरिडा तथा कुछ अन्य राज्यों में नाबालिगों द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है। इसे अमरीका में उठाए गए सबसे बड़े सुधारात्मक कदमों में से एक माना जा रहा है। इसके अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के सोशल मीडिया खातों पर रोक रहेगी और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए उनके अभिभावकों की अनुमति आवश्यक होगी। इससे पहले ब्रिटेन के स्कूलों में मोबाइल फोनों के इस्तेमाल पर पूर्ण रोक लगाने के निर्देश जारी करते हुए कहा गया था कि स्कूल में मोबाइल फोन पढ़ाई व अन्य गतिविधियों में बाधा बनते हैं। 

याद रहे कि फ्रांस सरकार भी पहले ही अपने देश में इस आशय का कानून लागू कर चुकी है तथा आस्ट्रेलिया में भी यह लागू किया जा चुका है। अब मलेशिया की सरकार ने भी वर्ष 2026 से 16 वर्ष से कम आयु के किशोरों के लिए सोशल मीडिया अकाऊंट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है जो जल्दी ही लागू कर दी जाएगी। मलेशिया के संचार मंत्री फहमी फादजिल ने कहा है कि मंत्रिमंडल ने युवाओं को आनलाइन डराने, धमकाने, धोखाधड़ी और यौन शोषण जैसे खतरों से बचाने के व्यापक प्रयास के तहत इस कदम को मंजूरी दे दी है।

उन्होंने कहा कि सरकार आस्ट्रेलिया और अन्य देशों द्वारा अपनाए गए तरीकों का अध्ययन कर रही है और यह भी देख रही है कि क्या पहचान पत्र या पासपोर्ट के माध्यम से उपयोगकत्र्ता की उम्र की इलैक्ट्रानिक जांच की जा सकती है। मलेशिया के साथ-साथ जो देश 16 वर्ष से कम आयु के किशोरों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगाने के विषय में सक्रियता से विचार कर रहे हैं उनमें डेनमार्क, न्यूजीलैंड, नार्वे शामिल हैं। अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और मलेशिया सरकारों के ये निर्णय छात्रों के लिए हितकारी हैं। इनसे न सिर्फ वे अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान दे सकेंगे, बल्कि मोबाइल फोन पर अश्लील सामग्री देखने से भी बच सकेंगे। 

भारत जैसे देशों में भी इन आदेशों को तुरंत लागू करने और उन पर अमल करवाने की जरूरत है, ताकि बच्चों को सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके क्योंकि पिछले कुछ समय के दौरान भारत में नाबालिगों द्वारा सोशल मीडिया पर अश्लील और ङ्क्षहसा को बढ़ावा देने वाली सामग्री देख कर बलात्कार व हत्या जैसी वारदातें करने के मामले सामने आए हैं। गत वर्ष 24 जुलाई को मध्य प्रदेश के एक गांव में 9 वर्ष की एक बच्ची से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या किए जाने का मामला भी सामने आया जिसकी जांच के दौरान यह पता चला कि अपनी छोटी बहन से बलात्कार और फिर अपना अपराध छुपाने के लिए उसकी हत्या कर देने वाला उसका सगा भाई ही था। अत: भारत में भी अन्य देशों के साथ-साथ जितनी जल्दी किशोरों द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बैन लगाया जाएगा उतना ही अच्छा होगा। —विजय कुमार


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